फर्जी डिग्री मामला: डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर मराठवाड़ा विश्वविद्यालय से पुलिस जांच में सहयोग नहीं

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फर्जी डिग्री मामला: डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर मराठवाड़ा विश्वविद्यालय से पुलिस जांच में सहयोग नहीं

छत्रपति संभाजीनगर: डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर मराठवाड़ा विश्वविद्यालय (बामू) से जुड़े फर्जी डिग्री रैकेट की पुलिस जांच में विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से अपेक्षित सहयोग नहीं मिल रहा है। इस मामले में पुलिस ने अब तक पांच आरोपियों को गिरफ्तार किया है और मामले में और भी गिरफ्तारियां होने की संभावना है, लेकिन विश्वविद्यालय से दस्तावेजों और डिग्रियों के सत्यापन में देरी जांच को प्रभावित कर रही है।

यह मामला कोहिनूर एजुकेशनल सोसाइटी के सचिव और संयुक्त सचिव के खिलाफ विश्वविद्यालय द्वारा फर्जी डिग्री के आधार पर पीएचडी में प्रवेश लेने की शिकायत दर्ज कराने के बाद सामने आया। पुलिस जांच के दौरान इस रैकेट में और लोगों के नाम भी जुड़े।

पुलिस अधिकारियों का कहना है कि जांच के लिए आवश्यक दस्तावेज और डिग्रियों के सत्यापन के लिए जब विश्वविद्यालय प्रशासन से संपर्क किया जा रहा है, तो उसमें अनावश्यक देरी हो रही है। इसी देरी का फायदा उठाकर मामले के एक मुख्य आरोपी को जिला न्यायालय से अग्रिम जमानत मिल गई है।

सूत्रों के अनुसार, विश्वविद्यालय ने अभी तक पुलिस को शिकायत दर्ज कराने के लिए उप कुलसचिव को अधिकृत करने वाला पत्र भी नहीं दिया है।

पुलिस हिरासत में लिए गए मुख्य आरोपी द्वारा भी जांच में सहयोग नहीं किया जा रहा है। आरोपी फर्जी डिग्रियां कहां से बनवाता था, कितने लोगों को उसने ये डिग्रियां बेची हैं और इस रैकेट में कौन-कौन शामिल है, इस बारे में वह पुलिस को जानकारी देने से कतरा रहा है। बताया जा रहा है कि कॉलेज के पूर्व प्राचार्य भी जांच में सहयोग नहीं कर रहे हैं।

विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से जांच में धीमी गति से सहयोग मिलने के कारण पुलिस को इस बड़े फर्जीवाड़े का खुलासा करने में चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। इस स्थिति को देखते हुए मामले की निष्पक्ष और त्वरित जांच के लिए विश्वविद्यालय से तत्काल और पूर्ण सहयोग की अपेक्षा है।