एक संत जिन्हें माँ कहा जाता है, वे हैं संत ज्ञानेश्वर

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एक संत जिन्हें माँ कहा जाता है, वे हैं संत ज्ञानेश्वर
एक संत जिन्हें माँ कहा जाता है, वे हैं संत ज्ञानेश्वर

प्रा. ज्ञानेश्वर कुलकर्णी का प्रतिपादन

सभी संतों ने मानवता का संदेश दिया। लेकिन एक संत जिन्हें पूरा विश्व माँ कहता है, वे हैं संत ज्ञानेश्वर। जिस प्रकार एक माँ अपने बच्चे से कितना भी बुरा क्यों न हो, उससे प्रेम करती है, उसी प्रकार संत ज्ञानेश्वर ने समस्त विश्व के लिए जो दान मांगा, वह पसायदान है। उसमें 'जे खळांची व्यंकटी सांडो'। उन्होंने बुरे लोगों के लिए नहीं बल्कि उनकी बुरी बुद्धि नष्ट होने की कामना की, इसलिए उन्हें माऊली कहा जाता है। यह प्रतिपादन प्रा. ज्ञानेश्वर कुलकर्णी ने रक्षाबंधन के अवसर पर महानगरपालिका केंद्रीय स्कूल में किया।

माननीय आयुक्त और प्रशासक जी. श्रीकांत की अवधारणा के अनुसार 'स्मार्ट स्कूल टू बेस्ट स्कूल' परियोजना के तहत गुणवत्ता में सुधार के लिए महानगरपालिका के सभी स्कूलों में विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। इसी क्रम में उपायुक्त और शिक्षा विभाग प्रमुख अंकुश पांढरे, नियंत्रण अधिकारी गणेश दांडगे, शिक्षा अधिकारी भारत तिनगोटे के मार्गदर्शन में महानगरपालिका के स्कूलों में विभिन्न विषयों पर व्याख्यान आयोजित किए जा रहे हैं। इसी क्रम में महानगरपालिका केंद्रीय प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालय हर्सूलगाव में रक्षाबंधन के अवसर पर 'मैत्री जीवांचे' विषय पर व्याख्यान का आयोजन किया गया था। इसके बाद उन्होंने रक्षाबंधन के महत्व और इस त्योहार के पीछे के उद्देश्य को बताया। विद्यार्थियों ने एक-दूसरे को राखी बांधी।

शाळा की मुख्याध्यापिका उर्मिला लोहार ने अतिथियों का स्वागत किया। कार्यक्रम का प्रस्ताव अंकुश लाडके ने दिया। जबकि अध्यक्षीय समारोह का आयोजन मुख्याध्यापिका उर्मिला लोहार ने किया। कार्यक्रम का संचालन संजय कुलकर्णी ने किया और आभार प्रदर्शन हेमा वैष्णव ने किया। कार्यक्रम के लिए स्कूल के शिक्षक अंकुश लाडके, संजय कुलकर्णी, रमेश वाडेकर, संगीता सहाने, हेमा वैष्णव, सविता बांबर्डे, अनिता मस्के ने परिश्रम किया।