एसईओ-अनुकूलित शीर्षक: निसार: अंतरिक्ष में भारत-अमेरिका की साझेदारी का नया अध्याय

NASA और ISRO द्वारा संयुक्त रूप से विकसित NISAR (NASA-ISRO Synthetic Aperture Radar) उपग्रह ने सफलतापूर्वक अपना विशाल एंटीना रिफ्लेक्टर तैनात कर दिया है। यह मिशन पृथ्वी के बदलते स्वरूप, प्राकृतिक आपदाओं, जलवायु परिवर्तन और पारिस्थितिकी तंत्र की निगरानी में क्रांति लाने के लिए तैयार है। यह लेख इस ऐतिहासिक उपलब्धि के तकनीकी और वैज्ञानिक पहलुओं की गहन जानकारी प्रस्तुत करता है।

Aug 16, 2025 - 21:37
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एसईओ-अनुकूलित शीर्षक: निसार: अंतरिक्ष में भारत-अमेरिका की साझेदारी का नया अध्याय
निसार: पृथ्वी के लिए एक नई आँख, अंतरिक्ष में एक ऐतिहासिक कदम

हाल ही में, अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की गई है, जिसने भारत और अमेरिका के बीच गहरे होते अंतरिक्ष सहयोग को एक नया आयाम दिया है। नासा (NASA) और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के संयुक्त पृथ्वी-अवलोकन उपग्रह मिशन NISAR (NASA-ISRO Synthetic Aperture Radar) ने अपनी कक्षा में सफलतापूर्वक अपने विशाल रडार एंटीना रिफ्लेक्टर को खोल दिया है। यह घटना मिशन के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ है, जो अब पूर्ण-स्तरीय वैज्ञानिक संचालन शुरू करने के लिए तैयार है।

इस मिशन का मुख्य उद्देश्य पृथ्वी की सतह, भूमि और बर्फ की चादरों में होने वाले सूक्ष्म परिवर्तनों का उच्च-रिज़ॉल्यूशन अवलोकन करना है। 12 मीटर व्यास वाला, ड्रम के आकार का यह एंटीना रिफ्लेक्टर निसार मिशन के लिए एक महत्वपूर्ण वैज्ञानिक उपकरण है। यह प्रक्षेपण के बाद से ही अपनी जगह पर कसकर मुड़ा हुआ था, लेकिन 9 अगस्त को इसे खोलने की जटिल प्रक्रिया शुरू हुई। नासा की जेट प्रोपल्शन लेबोरेटरी (JPL) के अनुसार, इस प्रक्रिया में लगभग चार दिन लगे, जिसके बाद 15 अगस्त को एंटीना को अपनी अंतिम, लॉक स्थिति में खींच लिया गया।

अभिनव तकनीक और इसका महत्व

निसार मिशन की तकनीक इसकी सबसे बड़ी ताकत है। यह दुनिया का पहला ऐसा उपग्रह है जो एक ही प्लेटफॉर्म पर दो अलग-अलग प्रकार के रडार सिस्टम को एकीकृत करता है: नासा द्वारा विकसित एल-बैंड (L-band) और इसरो द्वारा विकसित एस-बैंड (S-band) सिंथेटिक अपर्चर रडार (SAR)। इन दोहरे रडार प्रणालियों की मदद से, निसार बादलों, घनी वनस्पति और यहां तक कि अंधेरे में भी पृथ्वी की सतह की सटीक और विस्तृत तस्वीरें ले सकता है। यह रडार इतनी संवेदनशील है कि यह कुछ सेंटीमीटर तक के बदलावों का भी पता लगा सकती है, जिससे इसे "पृथ्वी का एमआरआई स्कैनर" भी कहा जा रहा है।

इस रडार रिफ्लेक्टर का वजन लगभग 64 किलोग्राम है और यह 123 मिश्रित स्ट्रट्स और एक सोने की परत वाली तार की जाली से बना है। अपनी विशाल सतह क्षेत्र के कारण, यह रडार प्रणालियों को पृथ्वी की सतह को असाधारण विस्तार से स्कैन करने में सक्षम बनाता है। यह एंटीना "ब्लूम" नामक एक जटिल प्रक्रिया के माध्यम से खुला, जिसमें विस्फोटक बोल्टों का उपयोग किया गया, जिन्होंने मुड़ी हुई छतरी की तरह संग्रहीत तनाव को जारी किया, जिससे एंटीना अपनी अंतिम स्थिति में आ गया।

नासा के अनुसार, यह नासा मिशन के लिए अब तक का सबसे बड़ा एंटीना रिफ्लेक्टर है जिसे कक्षा में तैनात किया गया है। जेपीएल के निसार परियोजना प्रबंधक फिल बारेला ने कहा कि यह एक महत्वपूर्ण घटक है, और इसे अंतरिक्ष में सफलतापूर्वक खिलते देखना वर्षों के डिजाइन, परीक्षण और सहयोग का परिणाम है।

मिशन के प्रमुख उद्देश्य और अनुप्रयोग

निसार का प्राथमिक लक्ष्य पृथ्वी के गतिशील प्रणालियों को बेहतर ढंग से समझना है। यह हर 12 दिनों में पृथ्वी के लगभग हर हिस्से की भूमि और बर्फ की सतहों को स्कैन करेगा, जिससे वैज्ञानिकों को समय के साथ होने वाले सूक्ष्म बदलावों को ट्रैक करने में मदद मिलेगी। इसके प्रमुख अनुप्रयोगों में शामिल हैं:

  • प्राकृतिक आपदा निगरानी: यह भूकंपीय फॉल्ट जोन, ज्वालामुखी विरूपण, भूस्खलन और बाढ़ जैसे प्राकृतिक खतरों की निगरानी करेगा। इससे आपदा प्रबंधन टीमों को पहले से चेतावनी देने और त्वरित प्रतिक्रिया करने में मदद मिलेगी।

  • जलवायु परिवर्तन का अध्ययन: निसार अंटार्कटिका और आर्कटिक में ग्लेशियरों और बर्फ की चादरों की गति और पिघलने का अध्ययन करेगा। यह हिमालयी क्षेत्र में भी ग्लेशियरों की स्थिति की निगरानी करेगा, जो भारत के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है।

  • कृषि और खाद्य सुरक्षा: उपग्रह मिट्टी में नमी के स्तर, फसल की वृद्धि और कृषि पारिस्थितिकी तंत्र में बदलाव की जानकारी प्रदान करेगा, जिससे खाद्य और जल सुरक्षा को मजबूत करने में मदद मिलेगी।

  • पारिस्थितिकीय अध्ययन: यह आर्द्रभूमि, वन और तटीय क्षेत्रों में होने वाले परिवर्तनों को ट्रैक करेगा, जिससे पारिस्थितिकी तंत्र के स्वास्थ्य की जानकारी मिलेगी।

  • 3डी मैपिंग: इंटरफेरोमेट्रिक एसएआर इमेजिंग का उपयोग करके, निसार समय के साथ लिए गए रडार चित्रों की तुलना करेगा ताकि जमीन पर होने वाले सूक्ष्म बदलावों को ट्रैक किया जा सके, जिससे 3डी समय-चूक (time-lapse) मानचित्र बनाए जा सकें।

भारत के लिए महत्वपूर्ण योगदान

इसरो के लिए निसार मिशन का प्रक्षेपण एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर था, क्योंकि यह GSLV-F16 रॉकेट का उपयोग करके किया गया था। यह भारत के लिए भारी पेलोड को अंतरिक्ष में भेजने की बढ़ती क्षमता को दर्शाता है। इसरो द्वारा विकसित एस-बैंड रडार प्रणाली, डेटा हैंडलिंग और हाई-स्पीड डाउनलिंक सिस्टम भारत की स्वदेशी तकनीकी क्षमताओं का प्रमाण है।

निसार सिर्फ एक उपग्रह नहीं है; यह दो प्रमुख अंतरिक्ष शक्तियों के बीच विश्वास और सहयोग का प्रतीक है। इसका डेटा पूरी दुनिया के लिए खुला रहेगा, जिससे वैज्ञानिक और नीति-निर्माता दोनों ही लाभान्वित हो सकेंगे। यह मिशन दिखाएगा कि जब दो देश एक साझा दृष्टि के साथ मिलकर काम करते हैं तो क्या हासिल किया जा सकता है।

आगे की राह

एंटीना के सफलतापूर्वक तैनात होने के बाद, निसार टीम अब रडार प्रणालियों का अंशांकन (calibration) और परीक्षण कर रही है। यह प्रक्रिया लगभग ढाई महीने तक चलने की उम्मीद है। एक बार पूरी तरह से चालू होने के बाद, निसार वर्ष के अंत तक वैज्ञानिक डेटा भेजना शुरू कर देगा, जो हमारे ग्रह के बारे में हमारी समझ को अभूतपूर्व तरीके से गहरा करेगा।

इसका उद्देश्य हमारी दुनिया की बदलती परिस्थितियों की निगरानी करना, प्राकृतिक आपदाओं के प्रति तैयारी और प्रतिक्रिया में सुधार करना और वैश्विक स्तर पर खाद्य और जल सुरक्षा को मजबूत करना है।

यह मिशन दिखाएगा कि किस तरह अंतरराष्ट्रीय सहयोग, अत्याधुनिक तकनीक और मानवता के लिए एक साझा प्रतिबद्धता मिलकर हमारे ग्रह की रक्षा करने और भविष्य को सुरक्षित बनाने में मदद कर सकती है।