संभाजीनगर में स्कूलों की मनमानी पर लगाम: जिला परिषद शिक्षा विभाग ने अवैध फीस वसूली के खिलाफ जारी की कड़ी चेतावनी

छत्रपति संभाजीनगर (औरंगाबाद) में अभिभावकों को वित्तीय शोषण से बचाने के लिए, जिला परिषद के शिक्षा विभाग ने स्कूलों को अवैध और गैर-मान्यता प्राप्त शुल्क वसूलने के खिलाफ एक सख्त चेतावनी जारी की है। यह लेख इस कार्रवाई के पीछे के कारणों, कानूनी आधारों और शिक्षा विभाग द्वारा उठाए गए कदमों पर विस्तृत प्रकाश डालता है, जो यह सुनिश्चित करेगा कि शिक्षा सभी के लिए सुलभ और समान रहे।

Aug 16, 2025 - 20:18
Aug 16, 2025 - 20:27
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संभाजीनगर में स्कूलों की मनमानी पर लगाम: जिला परिषद शिक्षा विभाग ने अवैध फीस वसूली के खिलाफ जारी की कड़ी चेतावनी

आज के आधुनिक भारत में, जहाँ शिक्षा को हर बच्चे का मौलिक अधिकार माना जाता है, वहीं कुछ शैक्षणिक संस्थान अभी भी अपने मनमाने तरीकों से इस अधिकार का उल्लंघन करते हैं। महाराष्ट्र के छत्रपति संभाजीनगर, जिसे पहले औरंगाबाद के नाम से जाना जाता था, में भी ऐसा ही एक गंभीर मुद्दा सामने आया है। यहाँ के जिला परिषद (ZP) के शिक्षा विभाग ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए जिले के सभी स्कूलों को अवैध और गैर-मान्यता प्राप्त शुल्क वसूलने के खिलाफ कड़ी चेतावनी जारी की है। इस कार्रवाई का उद्देश्य अभिभावकों को अनावश्यक वित्तीय बोझ से बचाना और बच्चों के लिए शिक्षा तक पहुंच को सुनिश्चित करना है।

क्या है पूरा मामला?

हाल ही में, रिपब्लिकन विद्यार्थी सेना के मराठवाड़ा क्षेत्रीय अध्यक्ष सचिन निकम ने जिला परिषद के शिक्षा विभाग को एक ज्ञापन सौंपा था। इस ज्ञापन में आरोप लगाया गया था कि संभाजीनगर शहर में कई अनुदान-प्राप्त (aided) और गैर-अनुदान-प्राप्त (unaided) प्राथमिक और माध्यमिक स्कूल सरकार की अनुमति के बिना विभिन्न प्रकार के शुल्क वसूल रहे हैं। इन शुल्कों में 'बिल्डिंग फंड', 'डेवलपमेंट फंड', 'लैबोरेटरी फीस', 'स्पोर्ट्स फीस', 'मेडिकल फीस', 'एडमिशन फीस' और 'एग्जामिनेशन फीस' जैसे शुल्क शामिल थे।

इस शिकायत को एक गंभीर मुद्दा मानते हुए, जिला माध्यमिक शिक्षा अधिकारी अश्विनी लाठकर ने तुरंत संज्ञान लिया और जिले के सभी स्कूलों को एक सर्कुलर जारी किया। सर्कुलर में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि कोई भी स्कूल बिना किसी सरकारी मंजूरी के किसी भी तरह का शुल्क नहीं वसूल सकता है।

कानूनी आधार और कार्रवाई का दायरा

शिक्षा विभाग की यह कार्रवाई पूरी तरह से कानूनी प्रावधानों पर आधारित है। सर्कुलर में विशेष रूप से 'बच्चों का मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009' (Right of Children to Free and Compulsory Education Act, 2009), जिसे संक्षेप में RTE Act भी कहा जाता है, का उल्लेख किया गया है। यह अधिनियम 2010 से प्रभावी है और इसका मुख्य उद्देश्य 6 से 14 वर्ष की आयु के सभी बच्चों के लिए शिक्षा में आने वाली बाधाओं को दूर करना और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुनिश्चित करना है।

सर्कुलर में RTE Act की कुछ महत्वपूर्ण धाराओं को भी दोहराया गया है:

  • धारा 4: उम्र के अनुसार प्रवेश का प्रावधान।

  • धारा 14: उम्र के प्रमाण की आवश्यकता को प्रतिबंधित करना।

  • धारा 15: प्रवेश से इनकार करने पर प्रतिबंध।

  • धारा 16: छात्रों को डिटेन करने या निष्कासित करने पर प्रतिबंध।

शिक्षा अधिकारी ने इस बात पर जोर दिया है कि RTE Act के तहत कोई भी स्कूल, विशेष रूप से अनुदान-प्राप्त स्कूल, छात्रों से किसी भी तरह का अतिरिक्त शुल्क नहीं वसूल सकता है। इसके अलावा, महाराष्ट्र शैक्षणिक संस्थान (शुल्क विनियमन) अधिनियम, 2011 (Maharashtra Educational Institutions (Regulation of Fee) Act, 2011) के तहत, अभिभावक-शिक्षक संघ (Parent-Teacher Association - PTA) की कार्यकारी समिति द्वारा अनुमोदित नहीं किए गए किसी भी शुल्क को अवैध माना जाएगा।

सख्त कदम और भविष्य की योजना

इस सर्कुलर को सिर्फ एक चेतावनी तक सीमित नहीं रखा जाएगा, बल्कि इसके पालन को सुनिश्चित करने के लिए शिक्षा विभाग ने कई महत्वपूर्ण कदम उठाने की घोषणा की है।

  • निरीक्षण दल: विभाग जल्द ही निरीक्षण दलों का गठन करेगा जो अचानक स्कूलों का दौरा करेंगे और यह जांच करेंगे कि क्या कोई स्कूल अवैध शुल्क वसूल रहा है।

  • गैर-वेतन अनुदान की निलंबन: सर्कुलर में स्पष्ट किया गया है कि जो भी स्कूल इस चेतावनी का उल्लंघन करते पाए जाएंगे, उनके गैर-वेतन अनुदान (non-salary grants) को तुरंत निलंबित कर दिया जाएगा। यह स्कूलों के लिए एक बड़ा वित्तीय दंड होगा।

  • प्रवेश द्वार पर सूचना बोर्ड: सभी अनुदान-प्राप्त स्कूलों को अपने प्रवेश द्वार पर एक बोर्ड लगाना होगा, जिसमें स्पष्ट रूप से लिखा होगा कि यह संस्था सरकारी नियमों के अलावा कोई अतिरिक्त शुल्क नहीं लेती है। यह कदम अभिभावकों को जागरूक करने और पारदर्शिता लाने के लिए उठाया गया है।

  • प्रवेश और टीसी से इनकार पर कार्रवाई: सर्कुलर ने स्कूलों को छात्रों को प्रवेश देने से इनकार करने, स्थानांतरण प्रमाण पत्र (Transfer Certificate - TC) देने से मना करने, या उन्हें परीक्षा में बैठने से रोकने जैसी प्रथाओं के खिलाफ भी चेतावनी दी है। ऐसी कोई भी कार्रवाई RTE Act का उल्लंघन मानी जाएगी और विभाग द्वारा कठोर कार्रवाई को आमंत्रित करेगी।

अभिभावकों के लिए एक राहत

शिक्षा विभाग का यह कदम उन हजारों अभिभावकों के लिए एक बड़ी राहत है, जिन्हें अक्सर अपने बच्चों को शिक्षा दिलाने के लिए मनमाने और अनुचित शुल्क का भुगतान करने के लिए मजबूर होना पड़ता है। इस कार्रवाई से न केवल स्कूलों की मनमानी पर लगाम लगेगी, बल्कि यह शिक्षा प्रणाली में जवाबदेही और पारदर्शिता भी बढ़ाएगी। यह सुनिश्चित करना भी महत्वपूर्ण है कि अभिभावक और छात्र ऐसे मामलों की शिकायत दर्ज करने के लिए आगे आएं।