मराठवाड़ा में मूसलाधार बारिश का कहर: खेतों में खड़ी फसलें तबाह

मराठवाड़ा क्षेत्र में हुई भारी बारिश से किसानों को भारी नुकसान हुआ है। इस लेख में नांदेड और हिंगोली जैसे जिलों में बाढ़ की स्थिति, फसलों पर हुए असर, और सरकारी राहत उपायों पर विस्तृत जानकारी दी गई है। (Heavy rainfall in the Marathwada region has caused significant loss to farmers. This article provides detailed information on the flood situation in districts like Nanded and Hingoli, the impact on crops, and government relief measures.)

Aug 18, 2025 - 20:07
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मराठवाड़ा में मूसलाधार बारिश का कहर: खेतों में खड़ी फसलें तबाह
मराठवाड़ा में बाढ़ से हाहाकार: सोयाबीन और अरहर की फसलें तबाह, किसान बेहाल

मराठवाड़ा क्षेत्र में पिछले कुछ दिनों से हो रही मूसलाधार बारिश ने आम जनजीवन को अस्त-व्यस्त कर दिया है। लगातार 24 घंटों में 49 राजस्व सर्किलों में 65 मिमी से अधिक बारिश दर्ज की गई है, जिससे कई इलाकों में बाढ़ जैसी स्थिति पैदा हो गई है। नांदेड और हिंगोली जैसे जिले इस बारिश से सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं।

इस अचानक आई आपदा ने किसानों की चिंता बढ़ा दी है। खरीफ की फसलें, जिनमें सोयाबीन और अरहर प्रमुख हैं, पानी में डूब गई हैं। एक किसान, भानुदास पाटिल ने बताया कि उनकी 10 एकड़ की फसल पूरी तरह से बर्बाद हो गई है। उन्होंने कहा, "मेरी पूरी मेहनत पर पानी फिर गया है। मैं अपनी फसलों को पानी में डूबा देख कुछ नहीं कर पा रहा।"

बारिश की तीव्रता को देखते हुए, आपदा प्रबंधन टीमों ने तुरंत बचाव और राहत कार्य शुरू कर दिए हैं। निचले इलाकों और जल निकायों के पास स्थित घरों से लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है। गोदावरी और पैनगंगा जैसी प्रमुख नदियां उफान पर हैं, जिससे कई सड़कों पर आवाजाही बाधित हो गई है।

राज्य के कृषि मंत्री ने आश्वासन दिया है कि नुकसान का सही आकलन करने में कम से कम 72 घंटे लगेंगे। उन्होंने कहा, "हम किसानों के साथ खड़े हैं और नुकसान का आकलन होते ही उचित मुआवजा दिया जाएगा।"

भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने आने वाले दिनों में कुछ जिलों में और भी भारी बारिश की चेतावनी जारी की है, जिससे स्थिति और भी खराब होने की आशंका है। इस मौसम में अब तक, मराठवाड़ा में जून की शुरुआत से ही 99% बारिश हो चुकी है, जो इस क्षेत्र के लिए एक बड़ी राहत थी, लेकिन अब यह राहत ही आफत बन गई है।

किसानों का कहना है कि अगर सरकार जल्द से जल्द कोई कदम नहीं उठाती है, तो उनकी आर्थिक स्थिति और भी खराब हो जाएगी। वे अब सरकार की मदद की आस लगाए बैठे हैं।