मराठवाड़ा के कॉलेजों पर आरोप: गरीब छात्राओं से ली जा रही फीस

मराठवाड़ा के कुछ कॉलेजों पर आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) की छात्राओं से महाराष्ट्र सरकार की मुफ्त शिक्षा योजना के बावजूद फीस वसूलने का आरोप लगा है। इस लेख में, जानें कि कैसे यह योजना काम करती है, कॉलेज किस तरह से नियमों का उल्लंघन कर रहे हैं, और सरकार ने इस समस्या को हल करने के लिए क्या कदम उठाए हैं। यह लेख शिक्षा के अधिकार और छात्राओं के कल्याण के लिए उठाए गए कदमों पर प्रकाश डालता है।

Aug 13, 2025 - 20:22
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मराठवाड़ा के कॉलेजों पर आरोप: गरीब छात्राओं से ली जा रही फीस
मराठवाड़ा के कॉलेजों की मनमानी: मुफ्त शिक्षा योजना के बावजूद गरीब छात्राओं से फीस वसूलने का आरोप

महाराष्ट्र सरकार ने आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) की छात्राओं को उच्च शिक्षा प्रदान करने के लिए एक महत्वपूर्ण पहल की है। इस योजना के तहत, निर्दिष्ट श्रेणियों की छात्राओं को कॉलेज की फीस में 100% छूट मिलती है। हालांकि, मराठवाड़ा क्षेत्र के कुछ कॉलेजों पर आरोप लगे हैं कि वे इस सरकारी योजना का उल्लंघन करते हुए इन छात्राओं से मनमाने ढंग से फीस वसूल रहे हैं। शिक्षाविदों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इस गंभीर मुद्दे को उजागर किया है, जिससे छात्राओं और उनके अभिभावकों में चिंता का माहौल है।

क्या है महाराष्ट्र सरकार की मुफ्त शिक्षा योजना?

पिछले साल जुलाई में महाराष्ट्र सरकार ने एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया था। इस निर्णय के अनुसार, जिन छात्राओं के परिवार की वार्षिक आय ₹8 लाख या उससे कम है और जो EWS, SEBC (सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्ग) या OBC (अन्य पिछड़ा वर्ग) श्रेणियों से संबंधित हैं, वे सरकारी-अनुमोदित संस्थानों में मुफ्त उच्च शिक्षा के लिए पात्र हैं। इस योजना का उद्देश्य आर्थिक तंगी के कारण शिक्षा से वंचित रह जाने वाली छात्राओं को सशक्त बनाना है।

इस योजना के तहत, न केवल ट्यूशन फीस बल्कि परीक्षा शुल्क और अन्य संबंधित शुल्क भी पूरी तरह से माफ किए जाते हैं। सरकार ने इस योजना के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए ₹906 करोड़ का बजट भी आवंटित किया था। इसके अलावा, एक सरकारी प्रस्ताव (GR) भी जारी किया गया था जिसमें कहा गया था कि फीस मांगने वाले कॉलेजों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी और उनकी मान्यता रद्द भी की जा सकती है।

कॉलेजों द्वारा मनमानी और धोखाधड़ी

शिक्षा कार्यकर्ताओं का कहना है कि कुछ कॉलेज इस योजना के बारे में छात्राओं और उनके माता-पिता को गुमराह कर रहे हैं। वे दावा करते हैं कि सरकार केवल आंशिक छूट देती है, और छात्राओं को परीक्षा शुल्क और अन्य खर्चों का भुगतान करना होगा। इस तरह की धोखाधड़ी से डरकर, गरीब परिवारों की छात्राएं और उनके अभिभावक अक्सर इसकी शिकायत नहीं करते, क्योंकि उन्हें डर होता है कि इससे उनकी पढ़ाई में बाधा आ सकती है। एक शिक्षा कार्यकर्ता, प्रशांत साठे के अनुसार, "कॉलेज फीस में केवल आंशिक छूट मिलने का दावा करके गरीब छात्राओं और उनके अभिभावकों को गुमराह कर रहे हैं। शैक्षणिक नुकसान के डर से, छात्राएं या उनके माता-पिता अक्सर इन दावों के खिलाफ शिकायत नहीं करते हैं।"

मराठवाड़ा में ऐसे कई मामले सामने आए हैं, जहां कॉलेजों ने इस सरकारी योजना की अनदेखी करते हुए फीस वसूलना जारी रखा है। यहां तक कि पिछले साल अगस्त में भी, छत्रपति संभाजीनगर डिवीजन के शिक्षा विभाग के संयुक्त निदेशक ने कॉलेजों को इस तरह की प्रथाओं के खिलाफ चेतावनी दी थी, लेकिन लगता है कि इसका कोई खास असर नहीं हुआ है।

सरकार और शिक्षा विभाग की प्रतिक्रिया

इस मामले की गंभीरता को देखते हुए, शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने अपनी चिंता व्यक्त की है। हालांकि, उन्होंने यह भी बताया कि चालू शैक्षणिक वर्ष के दौरान पात्र लड़कियों या उनके माता-पिता से फीस लेने के संबंध में कोई औपचारिक शिकायत प्राप्त नहीं हुई है। एक वरिष्ठ शिक्षा अधिकारी ने कहा, "यदि पात्र लड़कियों को मुफ्त शिक्षा से वंचित किया जाता है, तो यह बहुत गंभीर मामला है, और संबंधित संस्थान भविष्य में कार्रवाई के लिए जिम्मेदार होंगे। छात्रों और अभिभावकों से अनुरोध है कि यदि फीस ली जाती है तो वे शिकायत दर्ज करें।"

इस समस्या को हल करने के लिए, शिक्षाविद् तुकाराम सर्राफ ने सुझाव दिया है कि सरकार को छात्राओं के लिए एक केंद्रीकृत हेल्पलाइन नंबर शुरू करना चाहिए। उनका मानना है कि एक केंद्रीकृत तंत्र ऐसी शिकायतों को प्रभावी ढंग से हल करने के लिए आवश्यक है। इस तरह के उपाय से दोषी संस्थानों पर लगाम लगेगी और यह सुनिश्चित होगा कि छात्राओं को मुफ्त शिक्षा का लाभ मिल सके।

आगे की राह और भविष्य की चुनौतियाँ

महाराष्ट्र सरकार की यह योजना एक सराहनीय कदम है, लेकिन इसका सफल कार्यान्वयन ही इसकी सफलता की कुंजी है। जब तक नियमों का पालन सुनिश्चित नहीं किया जाता, तब तक इस योजना का पूरा लाभ गरीब छात्राओं तक नहीं पहुंच पाएगा।

इस दिशा में कुछ महत्वपूर्ण कदम उठाए जा सकते हैं:

  1. जन जागरूकता अभियान: सरकार और शिक्षा विभाग को इस योजना के बारे में व्यापक जागरूकता अभियान चलाना चाहिए, ताकि छात्राओं और उनके अभिभावकों को उनके अधिकारों के बारे में पूरी जानकारी हो।

  2. शिकायत निवारण तंत्र: तुकाराम सर्राफ के सुझाव के अनुसार, एक टोल-फ्री हेल्पलाइन नंबर और एक मजबूत शिकायत निवारण तंत्र स्थापित करना बहुत जरूरी है।

  3. सख्त कार्रवाई: जो कॉलेज जानबूझकर नियमों का उल्लंघन कर रहे हैं, उनके खिलाफ सरकार को तुरंत और सख्त कार्रवाई करनी चाहिए, ताकि अन्य संस्थानों के लिए एक मिसाल कायम हो सके।

  4. ऑडिट और निरीक्षण: शिक्षा विभाग को कॉलेजों का नियमित ऑडिट और निरीक्षण करना चाहिए ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वे नियमों का पालन कर रहे हैं।

यह सुनिश्चित करना सरकार की जिम्मेदारी है कि आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग की कोई भी लड़की पैसे की कमी के कारण अपनी शिक्षा से वंचित न रहे। यह न केवल उनके व्यक्तिगत भविष्य को बेहतर बनाएगा, बल्कि समाज और देश के विकास में भी योगदान देगा। यह देखना होगा कि सरकार इन चुनौतियों का सामना कैसे करती है और क्या वह यह सुनिश्चित कर पाती है कि मराठवाड़ा की हर योग्य छात्रा को उसका शिक्षा का अधिकार मिले।