केरल में निपाह वायरस की दस्तक: 2025 में 3 मामले सामने आए, सरकार ने लोकसभा में दी जानकारी- 677 संपर्कों का पता लगाकर निगरानी जारी

भारत के केरल राज्य में इस साल फिर से निपाह वायरस के मामलों ने चिंता बढ़ा दी है। केंद्र सरकार ने लोकसभा में एक बयान में पुष्टि की है कि वर्ष 2025 में केरल में निपाह वायरस के तीन मामले सामने आए हैं। इन मामलों के सामने आने के बाद, राज्य और केंद्र सरकार ने मिलकर तुरंत कार्रवाई शुरू कर दी, जिसके तहत संक्रमित व्यक्तियों के 677 संपर्कों का पता लगाया गया और उनकी गहन निगरानी की जा रही है।

Aug 1, 2025 - 19:53
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केरल में निपाह वायरस की दस्तक: 2025 में 3 मामले सामने आए, सरकार ने लोकसभा में दी जानकारी- 677 संपर्कों का पता लगाकर निगरानी जारी
केरल में निपाह वायरस की दस्तक: 2025 में 3 मामले सामने आए, सरकार ने लोकसभा में दी जानकारी- 677 संपर्कों का पता लगाकर निगरानी जारी

नई दिल्ली/तिरुवनंतपुरम: भारत के केरल राज्य में इस साल फिर से निपाह वायरस के मामलों ने चिंता बढ़ा दी है। केंद्र सरकार ने लोकसभा में एक बयान में पुष्टि की है कि वर्ष 2025 में केरल में निपाह वायरस के तीन मामले सामने आए हैं। इन मामलों के सामने आने के बाद, राज्य और केंद्र सरकार ने मिलकर तुरंत कार्रवाई शुरू कर दी, जिसके तहत संक्रमित व्यक्तियों के 677 संपर्कों का पता लगाया गया और उनकी गहन निगरानी की जा रही है।

यह खबर इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि केरल में निपाह वायरस के प्रकोप का इतिहास रहा है, और राज्य सरकार ने हर बार ऐसे प्रकोपों से निपटने के लिए एक मजबूत और प्रभावी रणनीति अपनाई है। इस बार भी, सरकार ने स्थिति को नियंत्रित करने और वायरस को फैलने से रोकने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाए हैं, ताकि यह एक बड़ी महामारी का रूप न ले सके।

निपाह वायरस क्या है और यह कैसे फैलता है?

निपाह वायरस (NiV) एक zoonotic वायरस है, जिसका अर्थ है कि यह जानवरों से मनुष्यों में फैल सकता है। इसका मुख्य प्राकृतिक भंडार फल-चमगादड़ (Fruit Bats) हैं, विशेष रूप से Pteropus जीनस के चमगादड़। यह वायरस सीधे चमगादड़ के संपर्क में आने से, या चमगादड़ों द्वारा आंशिक रूप से खाए गए फलों को मनुष्यों द्वारा खाने से फैल सकता है। इसके अलावा, यह वायरस चमगादड़ से सूअरों जैसे अन्य जानवरों में भी फैल सकता है, और फिर संक्रमित जानवरों से मनुष्यों में फैल सकता है।

निपाह वायरस के लक्षण: निपाह वायरस का संक्रमण एक हल्के श्वसन रोग से लेकर गंभीर एन्सेफेलाइटिस (मस्तिष्क में सूजन) तक हो सकता है। इसके सामान्य लक्षणों में शामिल हैं:

  • तेज बुखार और सिरदर्द

  • मांसपेशियों में दर्द और कमजोरी

  • चक्कर आना और उल्टी

  • श्वसन संबंधी समस्याएँ, जैसे खांसी और सांस लेने में कठिनाई

गंभीर मामलों में, संक्रमण एन्सेफेलाइटिस का कारण बन सकता है, जिससे दौरे पड़ना, कोमा और अंततः मृत्यु हो सकती है। निपाह वायरस की मृत्यु दर (fatality rate) बहुत अधिक है, जो 40% से 75% तक हो सकती है। दुर्भाग्य से, इस वायरस के लिए अभी तक कोई ज्ञात इलाज या वैक्सीन उपलब्ध नहीं है।

केरल में निपाह का इतिहास और सरकार की प्रतिक्रिया

केरल ने 2018 में निपाह वायरस का पहला और सबसे घातक प्रकोप देखा था, जब 17 लोगों की मौत हो गई थी। इस प्रकोप ने राज्य को हिलाकर रख दिया था, लेकिन इसके बाद से केरल सरकार ने निपाह जैसे संक्रामक रोगों से निपटने के लिए एक मजबूत सार्वजनिक स्वास्थ्य ढांचा और प्रोटोकॉल विकसित किया है। 2019, 2021 और अब 2025 में, जब भी निपाह के मामले सामने आए, केरल सरकार ने त्वरित और प्रभावी प्रतिक्रिया दी है, जिसमें मुख्य रूप से दो रणनीतियाँ शामिल हैं:

  1. सघन संपर्क ट्रेसिंग (Intensive Contact Tracing): प्रत्येक पुष्टि किए गए मामले के लिए, स्वास्थ्य अधिकारियों ने उन सभी व्यक्तियों का पता लगाया है जो संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आए थे। इन संपर्कों को तीन श्रेणियों में विभाजित किया जाता है: उच्च जोखिम, मध्यम जोखिम और कम जोखिम। 2025 में सामने आए तीन मामलों के लिए 677 संपर्कों का पता लगाया गया है, जो एक बहुत बड़ी संख्या है।

  2. कंटेनमेंट और निगरानी (Containment and Surveillance): संपर्क ट्रेसिंग के बाद, स्वास्थ्य विभाग प्रभावित क्षेत्रों को कंटेनमेंट जोन (Containment Zones) घोषित करता है। इन क्षेत्रों में लोगों की आवाजाही को प्रतिबंधित किया जाता है और स्वास्थ्य अधिकारियों द्वारा घर-घर जाकर निगरानी की जाती है। सभी संपर्कों को अलग-थलग किया जाता है और उनके लक्षणों की नियमित जांच की जाती है।

यह रणनीति निपाह वायरस के प्रकोप को नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण साबित हुई है, क्योंकि इससे वायरस के सामुदायिक प्रसार को प्रभावी ढंग से रोका जा सका है।

केंद्र सरकार की प्रतिक्रिया और लोकसभा में बयान

केंद्र सरकार ने निपाह वायरस के मामलों पर तुरंत संज्ञान लिया है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने लोकसभा में एक बयान में बताया कि 2025 में केरल में तीन मामले सामने आए हैं और 677 संपर्कों का पता लगाया गया है। यह बयान सरकार की पारदर्शिता और संक्रामक रोगों के प्रति उसकी सतर्कता को दर्शाता है।

सरकार ने यह भी बताया कि उसने स्थिति का प्रबंधन करने के लिए क्या कदम उठाए हैं:

  • विशेषज्ञों की तैनाती: नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल (NCDC) और इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) की विशेषज्ञ टीमों को केरल भेजा गया है ताकि वे राज्य के स्वास्थ्य अधिकारियों के साथ मिलकर काम कर सकें।

  • निगरानी बढ़ाना: प्रभावित क्षेत्रों में फलों के चमगादड़ों और सूअरों पर विशेष निगरानी रखी जा रही है ताकि वायरस के स्रोत का पता लगाया जा सके।

  • जागरूकता अभियान: सरकार ने लोगों से अपील की है कि वे पेड़ से गिरे हुए या जानवरों द्वारा खाए गए फलों को न खाएं और व्यक्तिगत स्वच्छता बनाए रखें।

  • अस्पतालों की तैयारी: स्वास्थ्य मंत्रालय ने केरल के अस्पतालों को निपाह संक्रमण के संभावित मामलों के लिए आइसोलेशन वार्ड (Isolation Wards) और उपचार प्रोटोकॉल तैयार रखने का निर्देश दिया है।

सरकार का यह रुख दिखाता है कि वह निपाह जैसे उच्च-मृत्यु दर वाले वायरस को लेकर कोई जोखिम नहीं लेना चाहती और स्थिति को नियंत्रित करने के लिए सभी संभव प्रयास कर रही है।

चुनौतियाँ और आगे की राह

निपाह वायरस से निपटने में कई महत्वपूर्ण चुनौतियाँ हैं:

  • कोई टीका नहीं: निपाह के खिलाफ कोई टीका या विशिष्ट इलाज उपलब्ध नहीं होने के कारण, रोकथाम ही एकमात्र प्रभावी रणनीति है।

  • ज़ूनोटिक प्रकृति: वायरस के चमगादड़ों से मनुष्यों में फैलने की संभावना, जिससे रोकथाम के उपाय जटिल हो जाते हैं।

  • सार्वजनिक जागरूकता: लोगों के बीच इस वायरस के बारे में सही जानकारी फैलाना और अफवाहों को रोकना एक बड़ी चुनौती है।

इन चुनौतियों के बावजूद, केरल और केंद्र सरकार का समन्वित प्रयास सराहनीय है। यह दर्शाता है कि एक मजबूत सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली और त्वरित प्रतिक्रिया से इस तरह के खतरों से निपटा जा सकता है। भविष्य में, अनुसंधान और विकास में निवेश बढ़ाना, विशेष रूप से निपाह के लिए एक वैक्सीन विकसित करने के लिए, महत्वपूर्ण होगा।