जीएसटी में बड़ा बदलाव: 12% और 28% के स्लैब खत्म, आम आदमी को मिलेगी 'डबल दिवाली गिफ्ट'

केंद्र सरकार ने देश में जीएसटी (Goods and Services Tax) व्यवस्था को सरल और आम लोगों के लिए फायदेमंद बनाने के लिए एक बड़े बदलाव का प्रस्ताव रखा है। इस नई योजना के तहत 12% और 28% के मौजूदा जीएसटी स्लैब को खत्म कर दिया जाएगा। यह लेख इस महत्वपूर्ण सुधार के पीछे की वजहों, इसके संभावित प्रभावों और आम नागरिकों, किसानों और व्यवसायों को मिलने वाले लाभों का विश्लेषण करता है।

Aug 16, 2025 - 20:26
 0
जीएसटी में बड़ा बदलाव: 12% और 28% के स्लैब खत्म, आम आदमी को मिलेगी 'डबल दिवाली गिफ्ट'

भारत में 1 जुलाई, 2017 को लागू की गई जीएसटी (वस्तु एवं सेवा कर) प्रणाली ने देश की अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था में एक ऐतिहासिक बदलाव ला दिया था। अब आठ साल बाद, केंद्र सरकार इस प्रणाली में एक और क्रांतिकारी बदलाव लाने की तैयारी में है। प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में अपने स्वतंत्रता दिवस के भाषण में 'नेक्स्ट-जनरेशन जीएसटी सुधारों' का उल्लेख करते हुए इसे आम जनता के लिए 'डबल दिवाली गिफ्ट' बताया। इस प्रस्तावित बदलाव का मुख्य उद्देश्य जटिल कर प्रणाली को सरल बनाना और आम लोगों पर से कर का बोझ कम करना है।

क्या है नया प्रस्ताव?

वित्त मंत्रालय द्वारा तैयार किए गए इस नए खाके के अनुसार, मौजूदा चार-स्तरीय जीएसटी प्रणाली को दो मुख्य स्लैब में बदला जाएगा। वर्तमान में 5%, 12%, 18% और 28% के चार स्लैब हैं, लेकिन नई व्यवस्था में केवल दो मुख्य दरें होंगी: 5% और 18%। इसके साथ ही, 'सिन गुड्स' (Sin Goods) यानी तंबाकू, पान मसाला जैसे हानिकारक उत्पादों पर 40% की एक विशेष दर लागू की जाएगी।

इस बदलाव का सबसे बड़ा असर यह होगा कि 12% और 28% के स्लैब पूरी तरह से खत्म हो जाएंगे।

  • 12% स्लैब के उत्पाद: सरकारी सूत्रों के अनुसार, 12% के स्लैब में आने वाली लगभग 99% वस्तुओं को 5% के निचले स्लैब में स्थानांतरित किया जाएगा। इसका मतलब है कि कई रोजमर्रा की चीजें, जो अभी 12% जीएसटी पर मिल रही हैं, अब सस्ती हो जाएंगी।

  • 28% स्लैब के उत्पाद: इसी तरह, 28% के स्लैब में शामिल लगभग 90% वस्तुओं को 18% के स्लैब में लाया जाएगा। इससे एयर कंडीशनर, रेफ्रिजरेटर और टीवी जैसे उपभोक्ता टिकाऊ वस्तुएं (consumer durables) और कुछ ऑटोमोबाइल जैसे सामान सस्ते हो जाएंगे। यह मध्यम वर्ग के लिए एक बड़ी राहत होगी।

आम जनता को सीधा लाभ

इस प्रस्तावित बदलाव से आम जनता को कई तरह से फायदा होगा।

  1. दैनिक उपयोग की वस्तुएं सस्ती: रोजमर्रा के इस्तेमाल की अधिकांश वस्तुएं 12% से 5% के स्लैब में आ जाएंगी, जिससे उनकी कीमतें कम होंगी। इससे आम परिवार के मासिक बजट में बचत होगी और उनकी क्रय शक्ति बढ़ेगी।

  2. मध्यम वर्ग के लिए राहत: घर के उपकरण और गैजेट्स पर लगने वाला टैक्स 28% से 18% हो जाएगा, जिससे इन उत्पादों की खरीद आसान होगी। यह मध्यम वर्ग के सपनों को पूरा करने में मदद करेगा, जो अक्सर ऊंची कीमतों के कारण इन चीजों को खरीदने में हिचकिचाते थे।

  3. स्वास्थ्य और बीमा सेवाओं पर कम टैक्स: स्वास्थ्य सेवा और जीवन बीमा जैसी आवश्यक सेवाओं पर जीएसटी दरों में कमी का भी प्रस्ताव है। इससे स्वास्थ्य देखभाल और वित्तीय सुरक्षा आम लोगों के लिए अधिक सुलभ हो जाएगी।

  4. किसानों को फायदा: कृषि क्षेत्र में उपयोग होने वाले उपकरण और उर्वरक पर भी जीएसटी दरों में कटौती की संभावना है। यह किसानों की लागत को कम करेगा और उन्हें आर्थिक रूप से मजबूत बनाएगा।

व्यापार और अर्थव्यवस्था पर असर

यह सुधार केवल उपभोक्ताओं के लिए ही नहीं, बल्कि व्यवसायों और देश की अर्थव्यवस्था के लिए भी महत्वपूर्ण है।

  • सरल कर प्रणाली: जीएसटी स्लैब की संख्या कम होने से कर प्रणाली अधिक सरल और पारदर्शी हो जाएगी। इससे व्यवसायों को करों की गणना और अनुपालन (compliance) में आसानी होगी।

  • कर विवादों में कमी: अलग-अलग उत्पादों पर दरों में भिन्नता के कारण अक्सर वर्गीकरण (classification) संबंधी विवाद होते थे। नए स्लैब से ऐसे विवादों में कमी आएगी, जिससे कारोबारी माहौल बेहतर होगा।

  • खपत में वृद्धि: करों में कटौती से वस्तुओं और सेवाओं की कीमतें कम होंगी, जिससे लोगों द्वारा खरीदारी बढ़ेगी। बढ़ी हुई खपत अर्थव्यवस्था को गति देगी और आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलेगा।

  • राजस्व पर संभावित प्रभाव: हालांकि, कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि दरों में कटौती से सरकार के राजस्व में अल्पकालिक (short-term) कमी आ सकती है। लेकिन, सरकार को उम्मीद है कि बढ़ी हुई खपत और बेहतर कर अनुपालन से यह कमी जल्द ही पूरी हो जाएगी।

जीएसटी काउंसिल की भूमिका

इस पूरे प्रस्ताव को अंतिम रूप देने का काम जीएसटी काउंसिल करेगी, जिसमें केंद्र और राज्य सरकारों के वित्त मंत्री शामिल होते हैं। बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी की अध्यक्षता में गठित मंत्रियों का समूह (GoM) इस प्रस्ताव पर विस्तार से चर्चा कर रहा है। उम्मीद है कि जीएसटी काउंसिल की अगली बैठक, जो सितंबर या अक्टूबर में हो सकती है, में इस पर अंतिम फैसला लिया जाएगा। अगर यह प्रस्ताव मंजूर हो जाता है, तो दिवाली तक नई कर व्यवस्था लागू की जा सकती है।

निष्कर्ष

जीएसटी प्रणाली को और अधिक सरल और कुशल बनाने के लिए यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण और सकारात्मक कदम है। प्रधानमंत्री मोदी ने इसे 'नेक्स्ट-जनरेशन रिफॉर्म' कहकर यह साफ कर दिया है कि सरकार का लक्ष्य एक ऐसी कर प्रणाली बनाना है जो न केवल राजस्व बढ़ाए, बल्कि आम नागरिकों के जीवन को भी बेहतर बनाए। 12% और 28% के स्लैब को खत्म करने का यह निर्णय सही दिशा में उठाया गया कदम है, जो भारत की अर्थव्यवस्था को गति देने और 'सबका साथ, सबका विकास' के लक्ष्य को प्राप्त करने में सहायक होगा। यह सुधार भारत को एक आधुनिक, सरल और न्यायपूर्ण कर व्यवस्था की ओर ले जाएगा।