पाकिस्तान की परमाणु धमकी पर ओवैसी का कड़ा प्रहार
एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने पाकिस्तान के सेना प्रमुख द्वारा दी गई परमाणु हमले की धमकी की कड़ी निंदा की। उन्होंने पाकिस्तान के जनरल को 'सड़कछाप' बताते हुए भारत सरकार से देश की रक्षा तैयारी और रक्षा बजट को बढ़ाने की मांग की। जानें इस बयान के राजनीतिक और सामरिक मायने। Owaisi condemns Pakistan Army Chief's nuclear threat, calling him 'sadakchaap' and demands increase in India's defence spending.

भारतीय राजनीति में अपने बेबाक और तीखे बयानों के लिए जाने जाने वाले ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने एक बार फिर राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे पर एक मजबूत और स्पष्ट रुख अपनाया है। हाल ही में पाकिस्तान के सेना प्रमुख ने भारत को परमाणु हमले की धमकी दी थी, जिस पर ओवैसी ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। उन्होंने पाकिस्तान के जनरल को 'सड़कछाप' (street-level) बताते हुए उनकी धमकी को गैर-जिम्मेदाराना और खोखला करार दिया। ओवैसी ने कहा कि ऐसी धमकियों का भारत पर कोई असर नहीं पड़ने वाला है। उन्होंने भारत सरकार से अपनी रक्षा तैयारियों को और मजबूत करने और रक्षा बजट में बढ़ोतरी करने की अपील की। यह बयान न केवल पाकिस्तान की धमकी का सीधा जवाब है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि जब देश की सुरक्षा की बात आती है, तो भारत में राजनीतिक मतभेद पीछे छूट जाते हैं।
पाकिस्तान की गैर-जिम्मेदाराना धमकी
पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल ने एक सार्वजनिक मंच से भारत को परमाणु हमले की धमकी देते हुए कहा था कि अगर जरूरत पड़ी तो पाकिस्तान अपनी परमाणु शक्ति का इस्तेमाल करने से नहीं हिचकिचाएगा। यह बयान ऐसे समय में आया है जब भारत और पाकिस्तान के बीच पहले से ही तनाव की स्थिति है, खासकर सीमा पार आतंकवाद और जम्मू-कश्मीर के मुद्दे पर। पाकिस्तान का यह रुख उसकी हताशा और भारत के प्रति उसकी पुरानी शत्रुता को दर्शाता है। परमाणु हथियारों का इस्तेमाल करने की धमकी देना अंतरराष्ट्रीय संबंधों में एक बेहद गैर-जिम्मेदाराना कदम माना जाता है, खासकर जब दोनों देश परमाणु शक्ति संपन्न हों। इस तरह की बयानबाजी से न केवल क्षेत्र की शांति खतरे में पड़ती है, बल्कि यह वैश्विक समुदाय के लिए भी चिंता का विषय है।
ओवैसी का कड़ा और सीधा पलटवार
असदुद्दीन ओवैसी ने पाकिस्तान के जनरल के बयान को गंभीरता से लेते हुए भी उसे खारिज कर दिया। उन्होंने कहा, "पाकिस्तान के आर्मी चीफ ने यह जो सड़कछाप बात की है, उसे हम गंभीरता से नहीं लेते। पाकिस्तान की यह हताशा है। मैं उनको बताना चाहता हूँ कि आज का भारत 1965 का भारत नहीं है, आज का भारत 1971 का भारत नहीं है।" ओवैसी का यह बयान पाकिस्तानी सेना प्रमुख की विश्वसनीयता पर सवाल उठाता है और उनकी धमकी को तुच्छ बताता है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत एक मजबूत राष्ट्र है और ऐसी धमकियों से डरने वाला नहीं है।
ओवैसी का यह बयान कई मायनों में महत्वपूर्ण है:
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राष्ट्रीय सुरक्षा पर एकता: एक विपक्षी नेता और मुस्लिम समुदाय का चेहरा होने के बावजूद, ओवैसी ने राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे पर सरकार और देश के साथ खड़े होने का संदेश दिया। उन्होंने यह स्पष्ट कर दिया कि पाकिस्तान की शत्रुता के खिलाफ भारत के सभी नागरिक एकजुट हैं।
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सरकार को सलाह: ओवैसी ने सिर्फ पाकिस्तान को जवाब नहीं दिया, बल्कि अपनी ही सरकार को भी एक अहम सलाह दी। उन्होंने कहा, "प्रधानमंत्री और रक्षा मंत्री को चाहिए कि वो रक्षा बजट को और बढ़ाएँ।" उन्होंने यह भी जोड़ा कि रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता (self-reliance) पर और अधिक ध्यान देने की जरूरत है ताकि भारत किसी भी बाहरी खतरे का मजबूती से सामना कर सके।
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पाकिस्तान को संदेश: ओवैसी का बयान पाकिस्तान के लिए एक स्पष्ट संदेश था कि उनकी धमकियाँ भारत में किसी भी राजनीतिक या धार्मिक समुदाय के बीच फूट नहीं डाल सकतीं। यह पाकिस्तान के उस पुराने एजेंडे को विफल करता है, जिसमें वह भारत के मुसलमानों को अपने पक्ष में करने की कोशिश करता रहा है।
रक्षा बजट और भारत की तैयारी
ओवैसी की रक्षा बजट बढ़ाने की सलाह मौजूदा भू-राजनीतिक स्थिति में बेहद प्रासंगिक है। भारत लगातार अपनी रक्षा क्षमताओं को आधुनिक बनाने और मजबूत करने की कोशिश कर रहा है। पाकिस्तान और चीन जैसे पड़ोसी देशों से उत्पन्न चुनौतियों को देखते हुए, रक्षा क्षेत्र में निवेश करना भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए आवश्यक है।
रक्षा बजट में बढ़ोतरी से कई फायदे हो सकते हैं:
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आधुनिक हथियारों की खरीद: भारत को अपनी सेना, नौसेना और वायु सेना के लिए आधुनिक लड़ाकू विमान, पनडुब्बियाँ, मिसाइल सिस्टम और अन्य उपकरण खरीदने की जरूरत है।
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स्वदेशी उत्पादन को बढ़ावा: ओवैसी की बात सही है कि हमें रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर होने की जरूरत है। रक्षा बजट बढ़ने से घरेलू रक्षा कंपनियों को अनुसंधान और विकास में निवेश करने के लिए प्रोत्साहन मिलेगा।
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सैनिकों का कल्याण: बढ़ी हुई निधि से सैनिकों के प्रशिक्षण, कल्याण और सुविधाओं में भी सुधार हो सकता है।
ओवैसी का यह बयान न केवल राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह भारत के नागरिक समाज में राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर बढ़ती जागरूकता को भी दर्शाता है। यह एक सकारात्मक संकेत है कि देश के नेता, चाहे वे किसी भी दल के हों, राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे पर एकजुट हो सकते हैं। पाकिस्तान की परमाणु धमकियाँ एक बार फिर यह साबित करती हैं कि वह एक गैर-जिम्मेदार राष्ट्र है, जबकि ओवैसी जैसे नेताओं की प्रतिक्रिया यह दर्शाती है कि भारत एक जिम्मेदार और मजबूत राष्ट्र है जो ऐसी धमकियों से डरता नहीं है, बल्कि अपनी रक्षा क्षमताओं को और अधिक मजबूत करने के लिए प्रेरित होता है।