भारत का तीसरा लॉन्च पैड: अंतरिक्ष में एक और छलांग | India's 3rd Launch Pad

भारत का तीसरा लॉन्च पैड 2029 तक श्रीहरिकोटा में बनकर तैयार हो जाएगा। यह लेख ISRO के इस महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट, इसके उद्देश्य और भारत के भविष्य के अंतरिक्ष मिशनों पर इसके प्रभाव का विश्लेषण करता है, जिसमें गगनयान और चंद्र मिशन शामिल हैं।

Aug 8, 2025 - 21:49
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भारत का तीसरा लॉन्च पैड: अंतरिक्ष में एक और छलांग | India's 3rd Launch Pad
भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम का नया अध्याय: तीसरा लॉन्च पैड 2029 तक होगा तैयार

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने अंतरिक्ष में अपनी महत्वाकांक्षाओं को नई ऊँचाइयाँ देने की तैयारी शुरू कर दी है। देश के प्रमुख स्पेसपोर्ट, श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (SDSC) में तीसरा लॉन्च पैड (Third Launch Pad - TLP) बनाने का काम प्रगति पर है। अंतरिक्ष विभाग के अनुसार, यह अत्याधुनिक सुविधा मार्च 2029 तक पूरी तरह से चालू हो जाएगी। यह सिर्फ एक नया लॉन्च पैड नहीं है, बल्कि यह भारत के बढ़ते अंतरिक्ष कार्यक्रम, खासकर आगामी मानव अंतरिक्ष उड़ान मिशन और भारी उपग्रहों के प्रक्षेपण के लिए एक महत्वपूर्ण रणनीतिक कदम है।

यह परियोजना देश के लॉन्च इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने और अगली पीढ़ी के प्रक्षेपण यानों (Next Generation Launch Vehicles - NGLV) को समर्थन देने के उद्देश्य से शुरू की गई है। इस प्रोजेक्ट को मार्च 2025 में वित्तीय स्वीकृति मिली थी और अब इसका काम विभिन्न चरणों में तेजी से चल रहा है।

 

तीसरे लॉन्च पैड की विशेषताएँ और उद्देश्य

मौजूदा लॉन्च पैड (FLP और SLP) ने भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम को अभूतपूर्व सफलताएँ दिलाई हैं, लेकिन भविष्य की जरूरतें काफी अलग हैं। तीसरा लॉन्च पैड इन जरूरतों को पूरा करने के लिए विशेष रूप से डिजाइन किया जा रहा है।

  1. भारी पेलोड क्षमता: TLP को 30,000 किलोग्राम तक के भारी पेलोड को निम्न भू कक्षा (Low Earth Orbit) में ले जाने के लिए बनाया गया है। यह क्षमता मौजूदा लॉन्च पैड की तुलना में बहुत अधिक है।

  2. NGLV का समर्थन: यह लॉन्च पैड ISRO के निर्माणाधीन NGLV (Next Generation Launch Vehicle) को लॉन्च करने के लिए प्राथमिक स्थल के रूप में काम करेगा। NGLV एक मॉड्यूलर और भारी-लिफ्ट रॉकेट परिवार है, जो उपग्रहों को तैनात करने से लेकर मानव अंतरिक्ष उड़ान तक के मिशनों के लिए सेवा देगा।

  3. LVM3 के लिए बैकअप: TLP मौजूदा भारी-लिफ्ट रॉकेट LVM3 (Launch Vehicle Mark-3) के लिए एक बैकअप के रूप में भी कार्य करेगा, खासकर उन संस्करणों के लिए जिनमें सेमी-क्रायोजेनिक चरण होंगे।

  4. मानव मिशन के लिए सुरक्षा: गगनयान जैसे मानव अंतरिक्ष उड़ान मिशनों के लिए सुरक्षा के कठोर मानकों की आवश्यकता होती है। TLP को इन आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए बनाया जा रहा है, जिसमें आपातकालीन स्थितियों के लिए विशेष एस्केप प्रोटोकॉल और प्रणालियाँ शामिल होंगी।

इस लॉन्च पैड का निर्माण चरणबद्ध तरीके से हो रहा है, जिसमें मई 2028 तक सिविल कार्य पूरे हो जाएंगे, जुलाई 2028 तक तरल प्रणालियाँ और प्रणोदक भंडारण स्थापित किया जाएगा, और सितंबर 2028 तक लॉन्च पैड की अन्य सुविधाओं की स्थापना हो जाएगी। अंततः, मार्च 2029 तक इसे पूरी तरह से चालू कर दिया जाएगा।

 

क्यों जरूरी है तीसरा लॉन्च पैड?

इसरो के पूर्व अध्यक्ष एस सोमनाथ ने इस बात पर जोर दिया था कि एक तीसरा लॉन्च पैड कितना महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा था कि मौजूदा दो लॉन्च पैडों पर निर्भरता से एक सिंगल-पॉइंट फेल्योर का जोखिम बना रहता है। अगर किसी भी कारण से कोई एक पैड काम करना बंद कर देता है, तो सभी भारी लॉन्च रुक सकते हैं। TLP इस जोखिम को कम करेगा और लॉन्च की आवृत्ति और लचीलेपन को बढ़ाएगा।

इसके अलावा, भारत की भविष्य की अंतरिक्ष महत्वाकांक्षाएँ, जैसे कि 2035 तक भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (BAS) की स्थापना और 2040 तक चंद्रमा पर भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को भेजना, मौजूदा पैडों से संभव नहीं है। इन मिशनों के लिए NGLV जैसे बड़े और अधिक शक्तिशाली रॉकेटों की आवश्यकता होगी, जिन्हें लॉन्च करने के लिए एक पूरी तरह से नए बुनियादी ढाँचे की जरूरत है।

यह प्रोजेक्ट 'आत्मनिर्भर भारत' और 'मेक इन इंडिया' जैसे सरकारी लक्ष्यों को भी बढ़ावा देगा, क्योंकि इसके निर्माण में भारतीय निजी कंपनियों और MSMEs को शामिल किया जा रहा है। इससे न केवल लागत कम होगी, बल्कि देश के घरेलू अंतरिक्ष आपूर्ति श्रृंखला को भी मजबूती मिलेगी।

 

निष्कर्ष: अंतरिक्ष में भारत का बढ़ता कद

श्रीहरिकोटा में तीसरे लॉन्च पैड का निर्माण भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम में एक क्रांतिकारी बदलाव लाएगा। यह न सिर्फ ISRO की क्षमता को बढ़ाएगा, बल्कि भारत को वैश्विक अंतरिक्ष समुदाय में एक प्रमुख शक्ति के रूप में स्थापित करेगा। TLP से भारत वाणिज्यिक, वैज्ञानिक और मानव-युक्त मिशनों को अधिक तेजी और सुरक्षा के साथ लॉन्च कर सकेगा।

यह परियोजना सिर्फ आज की जरूरतों को पूरा करने के लिए नहीं है, बल्कि यह अगले 25-30 वर्षों की अंतरिक्ष परिवहन आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए भी एक रणनीतिक कदम है। 2029 तक, जब यह लॉन्च पैड चालू हो जाएगा, तो यह भारत की उस तैयारी का प्रतीक बनेगा जो उसे न केवल अंतरिक्ष तक पहुँचाएगा, बल्कि उसमें नेतृत्व करने की भी क्षमता प्रदान करेगा।