'कृषि कानूनों' पर राहुल गांधी का दावा: दिवंगत अरुण जेटली पर आरोप, बेटे रोहन जेटली ने दिया करारा जवाब

राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने आरोप लगाया है कि दिवंगत नेता अरुण जेटली (Arun Jaitley) ने उन्हें कृषि कानूनों पर समर्थन देने के लिए धमकाया था। इस चौंकाने वाले दावे पर भाजपा ने तीखी प्रतिक्रिया दी है, और अरुण जेटली के बेटे रोहन जेटली (Rohan Jaitley) ने इसे 'झूठा' करार दिया है। जानें इस राजनीतिक विवाद के हर पहलू को, जिसमें राहुल के बयान और जेटली परिवार का पलटवार शामिल है।

Aug 2, 2025 - 21:59
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'कृषि कानूनों' पर राहुल गांधी का दावा: दिवंगत अरुण जेटली पर आरोप, बेटे रोहन जेटली ने दिया करारा जवाब
'कृषि कानूनों' पर राहुल गांधी के दावे से सियासी भूचाल: दिवंगत अरुण जेटली पर आरोप, बेटे रोहन जेटली ने दिया करारा जवाब

नई दिल्ली, भारत: भारतीय राजनीति में एक बड़ा विवाद तब खड़ा हो गया जब कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने दिवंगत भाजपा नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली पर कृषि कानूनों का समर्थन करने के लिए उन्हें धमकाने का चौंकाने वाला आरोप लगाया। राहुल गांधी के इस बयान ने भाजपा को कड़ी प्रतिक्रिया देने पर मजबूर कर दिया है, और इस विवाद को और भी अधिक गहरा तब कर दिया जब अरुण जेटली के बेटे रोहन जेटली ने सामने आकर इस दावे को सिरे से खारिज कर दिया। यह घटनाक्रम न केवल राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप का हिस्सा है, बल्कि एक पूर्व केंद्रीय मंत्री की विरासत और सम्मान से भी जुड़ा है।

राहुल गांधी का चौंकाने वाला दावा

राहुल गांधी ने अपने एक हालिया बयान में कहा, "मुझे याद है कि जब मैं कृषि कानूनों के खिलाफ लड़ रहा था, तो अरुण जेटली जी को मुझे धमकाने के लिए भेजा गया था। उन्होंने मुझसे कहा था कि अगर आप सरकार का विरोध करते रहे और कृषि कानूनों के खिलाफ लड़ते रहे, तो हमें आपके खिलाफ कार्रवाई करनी होगी। मैंने उनकी तरफ देखा और कहा कि मुझे नहीं लगता कि आपको पता है कि आप किससे बात कर रहे हैं।"

राहुल गांधी का यह दावा कई मायनों में गंभीर है। सबसे पहले, यह एक दिवंगत नेता पर लगाया गया आरोप है जो अब अपना बचाव करने के लिए मौजूद नहीं हैं। दूसरे, यह दावा एक ऐसे कानून (कृषि कानून) से संबंधित है, जिसने पूरे देश में व्यापक विरोध प्रदर्शनों को जन्म दिया था और जिसे अंततः सरकार को वापस लेना पड़ा था। यह आरोप न केवल अरुण जेटली की व्यक्तिगत छवि पर सवाल उठाता है, बल्कि उस समय की राजनीतिक परिस्थितियों पर भी एक नई कहानी गढ़ने का प्रयास करता है।

भाजपा का तीखा पलटवार

राहुल गांधी के इस बयान के तुरंत बाद भाजपा ने इसे 'फेक न्यूज' और 'झूठा' करार दिया। पार्टी के नेताओं ने कहा कि एक ऐसे व्यक्ति पर इस तरह के आरोप लगाना निंदनीय है जो अब इस दुनिया में नहीं हैं। भाजपा ने इस दावे को राहुल गांधी की हताशा का परिणाम बताया और कहा कि वे अपनी राजनीतिक विफलताओं से ध्यान हटाने के लिए इस तरह के निराधार आरोप लगा रहे हैं। पार्टी के कई नेताओं ने अरुण जेटली के सार्वजनिक जीवन में उनके सम्मान और उनकी छवि का जिक्र करते हुए राहुल गांधी के बयान को उनकी मर्यादा का उल्लंघन बताया।

रोहन जेटली का करारा जवाब: पिता की विरासत का बचाव

राहुल गांधी के आरोपों का सबसे करारा और सीधा जवाब अरुण जेटली के बेटे रोहन जेटली की ओर से आया। रोहन जेटली ने इस दावे को पूरी तरह से खारिज कर दिया और कहा कि यह एक 'झूठा' आरोप है। रोहन ने राहुल गांधी के बयान पर कई गंभीर सवाल उठाए:

  1. झूठे दावों का समय: रोहन जेटली ने सवाल उठाया कि राहुल गांधी ने यह दावा तब क्यों नहीं किया जब अरुण जेटली जीवित थे? उन्होंने कहा कि यह आरोप उनकी मृत्यु के बाद लगाना न केवल कायरतापूर्ण है, बल्कि राजनीति में नैतिक मूल्यों के पतन को भी दर्शाता है।

  2. पिता का चरित्र: रोहन ने अपने पिता के व्यक्तित्व का हवाला देते हुए कहा कि अरुण जेटली कभी भी किसी को धमकाने के लिए जाने नहीं जाते थे। वे हमेशा बहस और संवाद में विश्वास रखते थे और राजनीतिक विरोधियों का भी सम्मान करते थे। यह आरोप उनके चरित्र के बिल्कुल विपरीत है।

  3. कानूनों की लड़ाई: उन्होंने कहा कि कृषि कानूनों को लेकर संसद में लंबी बहस हुई थी, जिसमें विपक्ष के नेताओं ने भी भाग लिया था। अगर ऐसी कोई धमकी दी गई होती, तो राहुल गांधी ने उस समय इस बात को क्यों नहीं उठाया? इस मुद्दे को अब उठाना राजनीतिक opportunism से प्रेरित लगता है।

  4. मर्यादा का उल्लंघन: रोहन जेटली ने कहा कि राजनीतिक लड़ाई में मर्यादा और सम्मान का ध्यान रखना जरूरी है, लेकिन एक ऐसे व्यक्ति पर इस तरह के झूठे आरोप लगाना, जो अब अपना बचाव नहीं कर सकते, बहुत ही निम्न स्तर की राजनीति है।

रोहन जेटली का जवाब न केवल एक बेटे का अपने दिवंगत पिता की विरासत का बचाव था, बल्कि यह भी था कि राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता में भी कुछ लक्ष्मण रेखाएं होनी चाहिए।

इस राजनीतिक विवाद के निहितार्थ

राहुल गांधी के इस बयान ने एक बार फिर भारतीय राजनीति में 'posthumous' (मृत्यु के बाद) आरोपों की बहस को जन्म दिया है। यह सवाल उठाता है कि क्या किसी दिवंगत नेता पर इस तरह के आरोप लगाना नैतिक है, जब उनके पास अपना पक्ष रखने का कोई मौका नहीं है। इस तरह के आरोप न केवल व्यक्तिगत सम्मान पर हमला करते हैं, बल्कि सार्वजनिक जीवन की मर्यादा को भी कमजोर करते हैं।

यह घटना भाजपा और कांग्रेस के बीच चल रहे राजनीतिक युद्ध को भी और तेज करेगी, खासकर जब आगामी चुनावों की तैयारियां जोर-शोर से चल रही हैं। भाजपा इस बयान का इस्तेमाल कांग्रेस पर विश्वसनीयता की कमी और राजनीतिक opportunism का आरोप लगाने के लिए करेगी, जबकि कांग्रेस इस दावे को सरकार के विरोध को दबाने के लिए इस्तेमाल की गई रणनीति के रूप में पेश करने की कोशिश कर सकती है।

निष्कर्ष: एक नए राजनीतिक विवाद का जन्म

राहुल गांधी का दिवंगत अरुण जेटली पर लगाया गया यह आरोप एक बड़े राजनीतिक विवाद का कारण बन गया है। जहां कांग्रेस इस दावे को सरकार के विरोध को दबाने के लिए किए गए प्रयासों के रूप में पेश कर रही है, वहीं भाजपा और जेटली परिवार ने इसे पूरी तरह से खारिज करते हुए राहुल गांधी पर झूठे और निराधार आरोप लगाने का आरोप लगाया है। यह घटना दर्शाती है कि भारतीय राजनीति में आरोप-प्रत्यारोप का स्तर कितना नीचे गिर सकता है, और यह भी कि नेताओं की विरासत और सम्मान को भी राजनीतिक हमलों का शिकार बनाया जा रहा है। आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि यह मुद्दा और कितना गहराता है और इसका राजनीतिक प्रभाव क्या होता है।