माजलगांव नगर परिषद प्रमुख ₹6 लाख रिश्वत लेते गिरफ्तार

माजलगांव नगर परिषद के मुख्य अधिकारी सुधीर लक्ष्मण मोरे को ₹6 लाख की रिश्वत लेते हुए भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) ने रंगे हाथों गिरफ्तार किया। यह गिरफ्तारी बिलों के भुगतान के लिए रिश्वत मांगने के आरोप में हुई है।

Jul 12, 2025 - 19:35
Jul 12, 2025 - 20:03
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माजलगांव नगर परिषद प्रमुख ₹6 लाख रिश्वत लेते गिरफ्तार
महाराष्ट्र में भ्रष्टाचार पर प्रहार: माजलगांव नगर परिषद के मुख्य अधिकारी 6 लाख रुपये की रिश्वत लेते गिरफ्तार

माजलगांव, बीड: महाराष्ट्र के माजलगांव नगर परिषद में भ्रष्टाचार के खिलाफ एक बड़ी कार्रवाई में, नगर परिषद के मुख्य अधिकारी सुधीर लक्ष्मण मोरे को ₹6 लाख की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार किया गया है। यह कार्रवाई भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB), बीड इकाई द्वारा की गई है। मुख्य अधिकारी पर आरोप है कि उन्होंने एक ठेकेदार के लंबित बिलों को पास करने और धनराशि जारी करने के लिए यह रिश्वत मांगी थी।

यह घटना माजलगांव के स्थानीय प्रशासन में व्याप्त भ्रष्टाचार की गंभीरता को उजागर करती है और सरकारी अधिकारियों द्वारा किए गए वित्तीय अपराधों के खिलाफ चल रहे अभियान का एक हिस्सा है। इस गिरफ्तारी ने स्थानीय प्रशासनिक हलकों में हड़कंप मचा दिया है।

मामले का विवरण और रिश्वत की मांग

एसीबी द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, यह मामला एक ठेकेदार की शिकायत पर शुरू हुआ था। शिकायतकर्ता के पास नगर परिषद द्वारा दिए गए कुछ निर्माण कार्यों के ठेके थे, और इन कार्यों से संबंधित बिलों का भुगतान लंबित था। ठेकेदार ने आरोप लगाया कि लंबित बिलों को पास करने के लिए मुख्य अधिकारी सुधीर मोरे ने रिश्वत की मांग की।

ठेकेदार के अनुसार, मोरे ने 39 लाख रुपये के एक कार्य आदेश से संबंधित बिलों को पास करने के लिए रिश्वत मांगी थी। इसके अलावा, उन्होंने 40 लाख रुपये के एक अन्य टेंडर के लिए 50% अग्रिम राशि जारी करने की मंजूरी देने के लिए भी पैसे की मांग की थी।

प्रारंभ में, मोरे ने कुल 8 लाख रुपये की रिश्वत मांगी थी। बातचीत के बाद, उन्होंने रिश्वत की राशि 6 लाख रुपये पर तय की। जब ठेकेदार ने इस अवैध मांग का विरोध किया, तो मोरे ने कथित तौर पर काम को रोकने या इसमें देरी करने की धमकी दी।

एसीबी का ट्रैप ऑपरेशन और गिरफ्तारी

मुख्य अधिकारी की अवैध मांग से परेशान होकर, ठेकेदार ने सीधे भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो, बीड से संपर्क किया और शिकायत दर्ज कराई। एसीबी ने तुरंत कार्रवाई की और मोरे को रंगे हाथों पकड़ने के लिए एक सुनियोजित ट्रैप ऑपरेशन (trap operation) चलाया।

एसीबी की टीम ने माजलगांव में मुख्य अधिकारी के कार्यालय में जाल बिछाया। जैसे ही ठेकेदार ने सुधीर मोरे को ₹6 लाख की रिश्वत सौंपी, एसीबी के अधिकारियों ने उन्हें तुरंत रंगे हाथों पकड़ लिया। गिरफ्तारी के समय मोरे रिश्वत की राशि स्वीकार कर रहे थे।

यह गिरफ्तारी भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम (Prevention of Corruption Act) के तहत की गई है। एसीबी ने मोरे को हिरासत में ले लिया है और उनसे पूछताछ जारी है। इस मामले में शामिल अन्य व्यक्तियों और मोरे की भूमिका की गहराई से जांच की जा रही है।

स्थानीय प्रशासन पर प्रभाव और राजनीतिक प्रतिक्रिया

माजलगांव नगर परिषद के मुख्य अधिकारी की गिरफ्तारी ने स्थानीय प्रशासन की विश्वसनीयता पर गंभीर सवाल उठाए हैं। मुख्य अधिकारी का पद नगर परिषद में एक महत्वपूर्ण और प्रभावशाली पद होता है, और इस स्तर के अधिकारी की गिरफ्तारी यह दर्शाती है कि निचले स्तर से लेकर उच्च स्तर तक भ्रष्टाचार किस हद तक व्याप्त है।

इस घटना पर स्थानीय राजनीतिक दलों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने प्रशासन में पारदर्शिता की कमी और भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने वाले तत्वों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है। यह गिरफ्तारी अन्य सरकारी अधिकारियों के लिए एक कड़ा संदेश है कि भ्रष्टाचार के मामलों में किसी भी प्रकार की ढिलाई बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

यह घटना महाराष्ट्र के शहरी विकास और स्थानीय स्वशासन में सुधारों की आवश्यकता को भी उजागर करती है। ठेकेदारों और नागरिकों को सरकारी सेवाओं के लिए रिश्वत देने पर मजबूर करना, न केवल आर्थिक विकास में बाधा डालता है, बल्कि सार्वजनिक विश्वास को भी कमजोर करता है।

आगे की जांच और कानूनी प्रक्रिया

मुख्य अधिकारी सुधीर मोरे की गिरफ्तारी के बाद, एसीबी ने उनके कार्यालय और आवासों की तलाशी शुरू कर दी है ताकि भ्रष्टाचार से संबंधित और सबूत जुटाए जा सकें। जांच टीम यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि क्या मोरे अकेले इस भ्रष्टाचार में शामिल थे या यह एक बड़ा रैकेट था जिसमें अन्य अधिकारी या कर्मचारी भी शामिल थे।

मोरे को अदालत में पेश किया जाएगा, जहां एसीबी उनकी हिरासत की मांग करेगी ताकि पूछताछ पूरी की जा सके। यह मामला कानूनी प्रक्रिया से गुजरेगा, और यदि आरोप साबित होते हैं, तो मोरे को कड़ी सजा का सामना करना पड़ सकता है। भ्रष्टाचार विरोधी कानून के तहत, ऐसे अपराधों के लिए कठोर दंड का प्रावधान है।

यह गिरफ्तारी न केवल माजलगांव के लिए, बल्कि महाराष्ट्र भर के उन सभी सरकारी निकायों के लिए एक सबक है जो भ्रष्टाचार से जूझ रहे हैं। यह एसीबी के प्रयासों की सफलता को भी दर्शाती है, जो भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ लगातार कार्रवाई कर रही है।