मुंबई में साइबर अपराध का कहर: 15 महीनों में 1127 करोड़ रुपये का नुकसान
मुंबईकर 15 महीनों (जनवरी 2024-मार्च 2025) में साइबर अपराधों के कारण ₹1,127 करोड़ गंवा चुके हैं। शेयर ट्रेडिंग, डिजिटल अरेस्ट और सेक्सटॉर्शन जैसे धोखे मुख्य कारण हैं। एक्सपर्ट्स ने बैंकों की जवाबदेही और सरकारी बीमा योजनाओं की मांग की। (Mumbaikars lost ₹1,127 crore to cybercrimes in 15 months (Jan 2024-Mar 2025). Share trading, digital arrest, and sextortion frauds are major causes. Experts demand bank accountability and government insurance schemes.)

मुंबई: भारत की वित्तीय राजधानी मुंबई, जहां सपनों की उड़ानें भरी जाती हैं, अब साइबर अपराधियों का एक बड़ा गढ़ बन चुकी है। एक चौंकाने वाली रिपोर्ट के अनुसार, जनवरी 2024 से मार्च 2025 तक, यानी पिछले 15 महीनों में, मुंबईकरों को साइबर अपराधों के कारण कुल 1,127 करोड़ रुपये का भारी वित्तीय नुकसान हुआ है। यह आंकड़ा न केवल साइबर अपराधियों की बढ़ती सक्रियता को दर्शाता है, बल्कि डिजिटल युग में व्यक्तिगत और वित्तीय सुरक्षा की गंभीर चुनौतियों को भी उजागर करता है।
इन वित्तीय हानियों का लगभग 85%, जो लगभग 964 करोड़ रुपये है, 'साइबर-धोखाधड़ी' (Cyber-cheating) के कारण हुआ है। इसमें शेयर ट्रेडिंग (Share Trading) से जुड़े घोटाले, 'डिजिटल गिरफ्तारी' (Digital Arrest) के नाम पर धोखाधड़ी, क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) से जुड़े फ्रॉड और यहां तक कि भविष्य निधि (Provident Fund - PF) संबंधी घोटाले भी शामिल हैं। इसके अलावा, 'सेक्सटॉर्शन' (Sextortion) के मामलों में 47 करोड़ रुपये और क्रेडिट कार्ड धोखाधड़ी (Credit Card Fraud) में 34 करोड़ रुपये का नुकसान दर्ज किया गया है। यह स्थिति न केवल आर्थिक रूप से, बल्कि पीड़ितों के मानसिक स्वास्थ्य पर भी गहरा प्रभाव डाल रही है, जिससे साइबर सुरक्षा के लिए एक मजबूत और बहुआयामी दृष्टिकोण की आवश्यकता महसूस हो रही है।
साइबर-धोखाधड़ी के प्रमुख तरीके और उनकी व्यापकता
मुंबई में साइबर अपराधियों ने ठगी के लिए कई परिष्कृत और मनोवैज्ञानिक रूप से तैयार किए गए तरीकों का इस्तेमाल किया है, जिनमें से 'साइबर-धोखाधड़ी' के विभिन्न रूप सबसे अधिक प्रचलित हैं:
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शेयर ट्रेडिंग और निवेश धोखाधड़ी (Share Trading & Investment Frauds): यह सबसे बड़ा कारण है। इसमें अपराधियों द्वारा पीड़ितों को आकर्षक लेकिन फर्जी निवेश योजनाओं, अत्यधिक उच्च रिटर्न के वादों या 'गारंटीड' शेयर ट्रेडिंग टिप्स का लालच दिया जाता है। पीड़ितों को अक्सर फर्जी ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म या ऐप डाउनलोड करने के लिए कहा जाता है, जहां वे अपने पैसे जमा करते हैं। शुरुआत में, अपराधियों द्वारा छोटे 'लाभ' दिखाए जाते हैं ताकि विश्वास बनाया जा सके, लेकिन एक बार जब बड़ी राशि जमा हो जाती है, तो अपराधी गायब हो जाते हैं या प्लेटफॉर्म बंद कर दिया जाता है। इस प्रकार की धोखाधड़ी में लोग अक्सर अपनी जीवन भर की जमा पूंजी गंवा देते हैं।
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डिजिटल गिरफ्तारी (Digital Arrest / 'स्कैम कॉल'): यह एक और बढ़ता हुआ खतरनाक चलन है। इसमें अपराधी खुद को पुलिस, सीबीआई (CBI), ईडी (ED), या अन्य सरकारी एजेंसियों के अधिकारी बताते हैं। वे पीड़ितों को फोन करते हैं और उन्हें बताते हैं कि उनके खिलाफ कोई मामला दर्ज है, या उनके नाम से कोई अवैध गतिविधि हुई है। डर का माहौल पैदा करने के लिए, वे अक्सर पीड़ितों को वीडियो कॉल पर अपने फर्जी आईडी कार्ड दिखाते हैं और उन्हें 'डिजिटल रूप से गिरफ्तार' करने की धमकी देते हैं। पैसे के लेन-देन या 'केस निपटाने' के लिए तुरंत भुगतान करने का दबाव बनाया जाता है, अन्यथा जेल भेजने या संपत्ति जब्त करने की धमकी दी जाती है।
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क्रिप्टोकरेंसी घोटाले (Cryptocurrency Scams): क्रिप्टोकरेंसी की बढ़ती लोकप्रियता का लाभ उठाकर, अपराधी फर्जी क्रिप्टोकरेंसी निवेश प्लेटफॉर्म, माइनिंग ऑपर्च्युनिटीज, या ट्रेडिंग योजनाओं का वादा करते हैं। वे पीड़ितों को फर्जी वॉलेट में निवेश करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं, जहां उनकी जमा पूंजी तुरंत गायब हो जाती है।
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भविष्य निधि (PF) घोटाले: यह उन लोगों को निशाना बनाता है जो अपने भविष्य निधि खातों में पैसा रखते हैं। अपराधियों द्वारा खुद को ईपीएफओ (EPFO) अधिकारी बताकर फोन किया जाता है और केवाईसी (KYC) अपडेट, फंड निकालने में मदद, या ब्याज दर बढ़ाने का लालच दिया जाता है। इस प्रक्रिया में वे पीड़ितों से उनकी व्यक्तिगत जानकारी, ओटीपी (OTP) या बैंक विवरण मांगते हैं, जिसका उपयोग वे खाते से पैसे निकालने के लिए करते हैं।
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सेक्सटॉर्शन (Sextortion): यह ब्लैकमेल का एक गंभीर रूप है जिसमें अपराधी पीड़ितों को ऑनलाइन माध्यम से (अक्सर डेटिंग ऐप्स या सोशल मीडिया पर) फंसाते हैं। वे पीड़ितों को अंतरंग वीडियो कॉल करने के लिए उकसाते हैं और फिर उन वीडियो को रिकॉर्ड कर लेते हैं। बाद में, इन वीडियो को सार्वजनिक करने की धमकी देकर पीड़ितों से बड़ी रकम वसूली जाती है। मुंबई में सेक्सटॉर्शन के कारण 47 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है, जो इसके भयावह प्रसार को दर्शाता है।
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क्रेडिट कार्ड धोखाधड़ी (Credit Card Fraud): इसमें फिशिंग (Phishing) के माध्यम से क्रेडिट कार्ड विवरण प्राप्त करना, क्लोनिंग (Cloning), या ऑनलाइन लेनदेन में धोखाधड़ी शामिल है। इस श्रेणी में मुंबईकरों ने 34 करोड़ रुपये गंवाए हैं।
साइबर अपराध के पीड़ितों पर मानसिक स्वास्थ्य का प्रभाव
साइबर अपराध का शिकार होना केवल वित्तीय नुकसान तक ही सीमित नहीं है, बल्कि इसका पीड़ितों के मानसिक स्वास्थ्य पर भी गहरा और विनाशकारी प्रभाव पड़ता है। अपनी जीवन भर की जमा पूंजी गंवाने वाले कई पीड़ित गंभीर मानसिक आघात (mental trauma) से गुजरते हैं। उन्हें सदमा, चिंता, अवसाद, नींद न आना, और आत्मविश्वास में कमी जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। कुछ मामलों में, वित्तीय नुकसान इतना बड़ा होता है कि व्यक्ति आत्महत्या के विचारों तक पहुंच जाता है।
इन मुद्दों को पहचानते हुए, विशेषज्ञों ने साइबर अपराध पीड़ितों के लिए मानसिक स्वास्थ्य सहायता प्रदान करने वाले 'साइबरक्राइम ट्रॉमा सेंटर्स' की आवश्यकता पर जोर दिया है। इन केंद्रों का उद्देश्य पीड़ितों को न केवल कानूनी और वित्तीय सहायता प्रदान करना है, बल्कि उन्हें भावनात्मक और मनोवैज्ञानिक सहायता भी देना है ताकि वे इस आघात से उबर सकें।
रोकथाम और नुकसान कम करने के उपाय: विशेषज्ञों की मांगें
साइबर अपराध के बढ़ते खतरे को देखते हुए, विशेषज्ञों ने इस पर लगाम कसने और नुकसान को कम करने के लिए कई महत्वपूर्ण उपायों की मांग की है:
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बैंकों की जवाबदेही बढ़ाना (Increased Accountability for Banks): विशेषज्ञों का कहना है कि बैंकों को साइबर अपराध से संबंधित दिशानिर्देशों का पालन न करने पर दंडित किया जाना चाहिए। उन्हें संदिग्ध लेनदेन वाले बैंक खातों को तुरंत चिह्नित करने और उन्हें फ्रीज करने के लिए मजबूत प्रणालियाँ विकसित करनी चाहिए। कई बार अपराधियों द्वारा उपयोग किए जाने वाले खाते आसानी से खुल जाते हैं और जांच में सहयोग की कमी देखी जाती है।
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सरकारी बीमा योजनाएँ (Government-run Insurance Schemes): साइबर अपराध से होने वाले वित्तीय नुकसान को कवर करने के लिए सरकार द्वारा संचालित बीमा योजनाओं, जैसे "डिजिटल इंडिया बीमा योजनाएं" शुरू करने की मांग की गई है। यह पीड़ितों को उनके वित्तीय नुकसान से उबरने में मदद करेगा और डिजिटल लेनदेन में जनता का विश्वास बढ़ाएगा।
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व्यापक जन जागरूकता अभियान (Public Awareness Campaigns): आम जनता को साइबर अपराधों के विभिन्न तरीकों और उनसे बचने के तरीकों के बारे में लगातार जागरूक करना महत्वपूर्ण है। लोगों को 'अत्यधिक आकर्षक' लगने वाले प्रस्तावों (जो सच होने के लिए बहुत अच्छे लगते हैं) के प्रति अत्यधिक सतर्क रहने की सलाह दी जाती है, खासकर उच्च रिटर्न वाले निवेश के वादे।
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तत्काल रिपोर्टिंग (Immediate Reporting): किसी भी साइबर धोखाधड़ी का शिकार होने पर, पीड़ितों को तुरंत राष्ट्रीय हेल्पलाइन नंबर '1930' पर कॉल करना चाहिए और पुलिस में शिकायत दर्ज करानी चाहिए। जितनी जल्दी रिपोर्ट की जाएगी, पैसे को वापस प्राप्त करने की संभावना उतनी ही अधिक होगी, क्योंकि बैंक खातों को तेजी से फ्रीज किया जा सकता है।
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मजबूत नियामक ढाँचा (Robust Regulatory Framework): हालांकि सिफारिशें मौजूद हैं, एक मजबूत जवाबदेही ढाँचा अभी भी गायब है। यह सुनिश्चित करने के लिए कि अपराधी के खाते फ्रीज होने के बाद भी पीड़ित को अपना पैसा वापस मिल सके, एक कुशल कानूनी और प्रक्रियात्मक ढाँचा होना चाहिए।