बिहार में अपराध का बढ़ता साया: 14 दिनों में 50 से अधिक हत्याएं, चुनाव से पहले नीतीश सरकार पर दबाव

बिहार में कानून-व्यवस्था की स्थिति चिंताजनक बनी हुई है, जहां पिछले 14 दिनों में 50 से अधिक हत्याएं दर्ज की गई हैं। यह आंकड़ा आगामी चुनावों से पहले नीतीश कुमार सरकार के लिए गंभीर चुनौतियां खड़ी कर रहा है। विपक्ष, खासकर तेजस्वी यादव और राहुल गांधी, लगातार सरकार पर निशाना साध रहे हैं, जबकि सत्ता पक्ष पिछली सरकारों को दोष दे रहा है। जानें इस संवेदनशील मुद्दे के राजनीतिक और सामाजिक निहितार्थ। Bihar Crime Rate, Nitish Kumar Government, Law and Order.

Jul 15, 2025 - 20:04
Jul 15, 2025 - 20:11
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बिहार में अपराध का बढ़ता साया: 14 दिनों में 50 से अधिक हत्याएं, चुनाव से पहले नीतीश सरकार पर दबाव
बिहार में अपराध का विकराल रूप: 14 दिनों में 50 से अधिक हत्याएं, चुनाव से ठीक पहले नीतीश सरकार पर बढ़ा भारी दबाव

पटना, बिहार: बिहार में कानून-व्यवस्था की स्थिति एक बार फिर गंभीर चिंता का विषय बन गई है। हालिया आंकड़ों के अनुसार, पिछले मात्र 14 दिनों की अवधि में राज्य में 50 से अधिक हत्याएं दर्ज की गई हैं, जिसने पूरे प्रदेश को स्तब्ध कर दिया है। अपराध की इस बढ़ती दर ने नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली सरकार पर भारी दबाव बढ़ा दिया है, खासकर ऐसे समय में जब राज्य में आगामी विधानसभा चुनाव नजदीक हैं। यह मुद्दा अब केवल एक प्रशासनिक चुनौती नहीं, बल्कि एक प्रमुख राजनीतिक और चुनावी अखाड़ा बन चुका है।

बढ़ती अपराध दर और 'जंगलराज' का आरोप

बिहार में लगातार हो रही आपराधिक घटनाओं, विशेषकर हत्याओं की बढ़ती संख्या ने 'जंगलराज' की वापसी के आरोपों को फिर से हवा दे दी है। आम जनता में भय का माहौल है और विपक्षी दल इस स्थिति को लेकर सरकार पर तीखे हमले कर रहे हैं। हत्याओं के अलावा, लूटपाट, अपहरण और रंगदारी जैसी अन्य आपराधिक घटनाएं भी लगातार सुर्खियों में हैं, जो राज्य की पुलिस व्यवस्था और प्रशासन की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े करती हैं। इन आंकड़ों से स्पष्ट है कि अपराधियों के हौसले बुलंद हैं और उन्हें कानून का कोई डर नहीं रहा।

विपक्ष हमलावर: तेजस्वी और राहुल ने घेरा नीतीश सरकार को

राज्य में बिगड़ती कानून-व्यवस्था को लेकर विपक्ष पूरी तरह से हमलावर है। राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने नीतीश कुमार सरकार पर अपराध को नियंत्रित करने में पूरी तरह विफल रहने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा है कि डबल इंजन की सरकार होने के बावजूद राज्य में अपराधी बेखौफ घूम रहे हैं और आम जनता असुरक्षित महसूस कर रही है। तेजस्वी यादव ने तो यहां तक कह दिया कि चूंकि बिहार में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) की सरकार है, इसलिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी इस मामले में हस्तक्षेप करना चाहिए और राज्य की बिगड़ती कानून-व्यवस्था को सुधारने के लिए तत्काल कदम उठाने चाहिए।

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी ने भी इस मुद्दे पर नीतीश सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि बिहार में जिस तरह से अपराध बढ़ रहा है, वह चिंताजनक है और यह दर्शाता है कि सरकार अपनी प्राथमिकताओं से भटक गई है। विपक्षी दल लगातार यह आरोप लगा रहे हैं कि सरकार का ध्यान राजनीतिक जोड़-तोड़ पर ज्यादा है और राज्य की मूलभूत समस्याओं, जिनमें कानून-व्यवस्था प्रमुख है, पर कम।

सत्ता पक्ष का बचाव और जवाबी हमला

विपक्ष के तीखे हमलों के जवाब में, सत्ता पक्ष के नेताओं ने भी मोर्चा संभाला है। बिहार के उपमुख्यमंत्री विजय सिन्हा ने विपक्ष, विशेषकर आरजेडी पर पलटवार करते हुए कहा कि राज्य में अपराध की मौजूदा स्थिति के लिए आरजेडी ही जिम्मेदार है। उन्होंने आरोप लगाया कि आरजेडी के शासनकाल में अपराधियों को राजनीतिक संरक्षण मिला, जिससे उनका हौसला बढ़ा और वर्तमान में उसी का खामियाजा भुगतना पड़ रहा है।

विजय सिन्हा ने यह भी दावा किया कि नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली सरकार अपराधियों को सबक सिखाने के लिए सभी आवश्यक और कड़े कदम उठा रही है। उन्होंने 'बुलडोजर चलाने' और 'एनकाउंटर' जैसे शब्दों का इस्तेमाल करते हुए अपराधियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई का संकेत दिया। यह एक तरह से उत्तर प्रदेश मॉडल का अनुकरण करने की बात थी, जहां अपराधियों के खिलाफ बुलडोजर का इस्तेमाल एक आम कार्रवाई बन गया है।

केंद्रीय मंत्री और हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) के संरक्षक जीतन राम मांझी ने भी स्वीकार किया कि राज्य में हालात थोड़े बिगड़े हैं, लेकिन उन्होंने साथ ही यह भी कहा कि पहले की तुलना में अब अपराधियों के खिलाफ ज्यादा कड़ी कार्रवाई की जा रही है और उन्हें उनके कृत्यों के लिए सजा भी मिल रही है। यह बयान एक तरफ स्थिति की गंभीरता को दर्शाता है, तो दूसरी तरफ सरकार की कार्रवाई की प्रतिबद्धता को भी रेखांकित करता है।

चुनाव पर संभावित प्रभाव

कानून-व्यवस्था का मुद्दा बिहार के चुनावों में हमेशा से एक महत्वपूर्ण कारक रहा है। 'जंगलराज' का आरोप अतीत में कई सरकारों के लिए चुनावी हार का कारण बना है। आगामी विधानसभा चुनावों से ठीक पहले अपराध में यह वृद्धि निश्चित रूप से नीतीश सरकार के लिए बड़ी मुश्किलें खड़ी कर रही है। विपक्ष इस मुद्दे को जनता के बीच ले जाने की पूरी कोशिश करेगा और सरकार को कानून-व्यवस्था के मोर्चे पर घेरने का कोई मौका नहीं छोड़ेगा।

सरकार को न केवल अपराधियों पर लगाम लगाने के लिए ठोस कदम उठाने होंगे, बल्कि जनता के बीच विश्वास बहाल करने के लिए भी प्रभावी संचार और त्वरित कार्रवाई करनी होगी। यदि अपराध का ग्राफ इसी तरह बढ़ता रहा, तो यह मतदाताओं के मन में सरकार की छवि को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचा सकता है और आगामी चुनावों में इसका सीधा असर देखने को मिल सकता है।

आगे की राह और चुनौतियां

बिहार सरकार के लिए यह एक बड़ी चुनौती है कि वह कैसे इस बिगड़ती स्थिति से निपटती है। केवल बयानों और आरोप-प्रत्यारोपों से काम नहीं चलेगा, बल्कि जमीन पर ठोस परिणाम दिखाने होंगे। पुलिस बल को सशक्त करना, खुफिया तंत्र को मजबूत करना, न्यायिक प्रक्रिया में तेजी लाना और अपराधियों को जल्द से जल्द सजा दिलाना आवश्यक होगा। जनता को सुरक्षा का एहसास दिलाना सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए।

यह समय बिहार की राजनीति के लिए महत्वपूर्ण है, जहां सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों कानून-व्यवस्था के मुद्दे पर अपनी-अपनी रणनीतियों को धार दे रहे हैं। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या नीतीश कुमार सरकार अपराध पर नियंत्रण पाने में सफल होती है और चुनाव से पहले अपनी छवि सुधार पाती है, या यह मुद्दा उनके चुनावी संभावनाओं को गंभीर रूप से प्रभावित करता है। बिहार का भविष्य काफी हद तक इस बात पर निर्भर करेगा कि राज्य सरकार अपने नागरिकों को कितनी प्रभावी ढंग से सुरक्षा प्रदान कर पाती है।