बांग्लादेश ICT: शेख हसीना पर आरोप
बांग्लादेश के अंतर्राष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण (ICT) ने पूर्व PM शेख हसीना के खिलाफ 'मानवता के खिलाफ अपराध' मामले में आरोप तय किए। जुलाई 2024 के विरोध प्रदर्शनों में हिंसा के आरोप। (Bangladesh International Crimes Tribunal (ICT) framed charges of 'crimes against humanity' against former PM Sheikh Hasina. Allegations of violence during July 2024 protests.)

ढाका: बांग्लादेश के राजनीतिक इतिहास में एक अभूतपूर्व घटनाक्रम में, देश के अंतर्राष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण (International Crimes Tribunal - ICT) ने पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के खिलाफ "मानवता के खिलाफ अपराध" (Crimes against humanity) के आरोपों को औपचारिक रूप से स्वीकार कर लिया है। यह कदम जुलाई और अगस्त 2024 के दौरान हुए देशव्यापी छात्र-नेतृत्व वाले विद्रोह के दौरान नागरिकों पर कथित रूप से बड़े पैमाने पर हिंसा और हत्याएं करने के आदेश देने के आरोपों से संबंधित है। न्यायाधिकरण ने मामले की सुनवाई शुरू करने की तारीख 3 अगस्त तय की है, जिससे बांग्लादेश के राजनीतिक परिदृश्य में एक बड़ा भूचाल आ गया है।
यह कानूनी कार्रवाई शेख हसीना के प्रधानमंत्री पद से हटने के बाद उनकी कानूनी मुश्किलों में एक महत्वपूर्ण वृद्धि का प्रतीक है। पिछले साल अगस्त में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शनों के कारण उन्हें सत्ता छोड़नी पड़ी थी और वह भारत चली गई थीं। उनके खिलाफ दर्ज किए गए आरोप बेहद गंभीर हैं, जिनमें उनकी पूर्व सरकार द्वारा मानवाधिकारों के कथित उल्लंघन और दमन की घटनाएं शामिल हैं।
मामले की पृष्ठभूमि: जुलाई क्रांति और आरोप
पिछले साल जुलाई 2024 में बांग्लादेश में छात्रों द्वारा एक विवादास्पद सरकारी कोटा प्रणाली के खिलाफ शुरू किया गया आंदोलन जल्द ही एक राष्ट्रव्यापी विद्रोह में बदल गया, जिसमें छात्रों और नागरिकों ने शेख हसीना के इस्तीफे की मांग की। यह विरोध प्रदर्शन हिंसक हो गया और इसके जवाब में सुरक्षा बलों ने कथित तौर पर कठोर दमन किया। संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्टों और जांचकर्ताओं के अनुसार, इस दौरान कम से कम 1,400 लोग मारे गए, जिनमें अधिकांश छात्र और नागरिक शामिल थे। यह 1971 के मुक्ति संग्राम के बाद बांग्लादेश में राजनीतिक हिंसा की सबसे घातक घटनाओं में से एक थी।
अभियोजकों ने आरोप लगाया है कि शेख हसीना ने सुरक्षा बलों, अपनी राजनीतिक पार्टी अवामी लीग और संबंधित संस्थाओं का उपयोग करते हुए प्रदर्शनकारियों के खिलाफ "एक सुनियोजित और समन्वित हमला" निर्देशित किया। इन आरोपों में सामूहिक हत्याएं, आगजनी और लोगों को गायब करना शामिल है। आरोपों की गंभीरता को एक लीक हुए ऑडियो कॉल से भी बल मिला है, जिसमें कथित तौर पर हसीना को सुरक्षा बलों को प्रदर्शनकारियों पर "गोली चलाने" का आदेश देते हुए सुना गया था
अभियोजकों ने दावा किया है कि हसीना इन हत्याओं और मानवता के खिलाफ अपराधों की सूत्रधार थीं। मामले में उनके साथ पूर्व गृह मंत्री असदुज्जमां खान कमाल और पूर्व पुलिस महानिरीक्षक चौधरी मामून को भी सह-आरोपी बनाया गया है।
अंतर्राष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण (ICT-BD) की भूमिका
बांग्लादेश का अंतर्राष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण (ICT-BD) एक घरेलू न्यायाधिकरण है जिसे 1971 के बांग्लादेश मुक्ति संग्राम के दौरान किए गए युद्ध अपराधों और मानवता के खिलाफ अपराधों के लिए जिम्मेदार व्यक्तियों पर मुकदमा चलाने के लिए स्थापित किया गया था। इस मामले को स्वीकार करना ICT-BD के अधिकार क्षेत्र और दायरे के लिए एक नया आयाम है, क्योंकि यह एक मौजूदा राजनीतिक नेता और उनकी सरकार के खिलाफ मानवाधिकार उल्लंघनों के आरोपों पर केंद्रित है।
न्यायाधिकरण ने आरोपियों के खिलाफ औपचारिक रूप से आरोप तय कर दिए हैं। हालांकि, शेख हसीना और असदुज्जमां खान की अनुपस्थिति में मुकदमा चलाया जाएगा, क्योंकि दोनों देश छोड़कर जा चुके हैं। सह-आरोपी चौधरी मामून वर्तमान में जेल में हैं और उन्होंने कथित तौर पर अपना अपराध स्वीकार कर लिया है और सरकारी गवाह बनने के लिए याचिका दायर की है।
इस मामले का स्वीकार किया जाना बांग्लादेश के कानूनी और राजनीतिक इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ है। यह न केवल पूर्व शासक के खिलाफ एक कानूनी चुनौती पेश करता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि सत्ता में रहने वाले व्यक्तियों को भी मानवाधिकारों के उल्लंघन के लिए जवाबदेह ठहराया जा सकता है।
राजनीतिक संदर्भ और प्रभाव
शेख हसीना का निष्कासन और उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई बांग्लादेश के अस्थिर राजनीतिक परिदृश्य को दर्शाती है। सत्ता से हटने के बाद, हसीना को एक के बाद एक कानूनी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। उन्हें पहले ही अदालत की अवमानना के एक मामले में छह महीने जेल की सजा सुनाई जा चुकी है। अब मानवता के खिलाफ अपराध का मामला उनके लिए सबसे बड़ी कानूनी चुनौती है
इस घटनाक्रम का बांग्लादेश की राजनीति पर गहरा प्रभाव पड़ा है। जहां अवामी लीग के समर्थकों ने इन आरोपों को "राजनीतिक प्रतिशोध" और "अवामी लीग को बदनाम करने की साजिश" बताया है, वहीं वर्तमान अंतरिम सरकार इस कार्रवाई को "न्याय प्रक्रिया का हिस्सा" बता रही है।
बांग्लादेश सरकार ने हसीना के प्रत्यर्पण के लिए भारत से अनुरोध किया है, जहां वह वर्तमान में रह रही हैं। हालांकि, भारत ने अभी तक इस अनुरोध पर कोई औपचारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है। कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि हसीना के मुकदमे का सामना करने के लिए बांग्लादेश वापस आने की संभावना कम है। उनकी अनुपस्थिति में मुकदमा जारी रहेगा, जिससे बांग्लादेश-भारत संबंधों में भी तनाव पैदा हो सकता है।
कानूनी प्रक्रिया और आगे की राह
ICT-BD में मुकदमे की प्रक्रिया 3 अगस्त से शुरू होने वाली है। यह एक जटिल कानूनी लड़ाई होने की उम्मीद है, जिसमें अभियोजन पक्ष को आरोपों को साबित करने के लिए मजबूत सबूत पेश करने होंगे। आरोपों की गंभीरता को देखते हुए, यह मुकदमा अंतरराष्ट्रीय समुदाय द्वारा भी बारीकी से देखा जाएगा।
ट्रिब्यूनल में सुनवाई के दौरान, अभियोजन पक्ष अपनी जांच रिपोर्ट और सबूत पेश करेगा, जिसमें लीक हुए ऑडियो, गवाहों के बयान और मानवाधिकार रिपोर्ट शामिल हो सकती हैं। हसीना के वकील, जिनमें से एक को विवाद के बाद ट्रिब्यूनल द्वारा हटा दिया गया था, ने पहले ही आरोपों को राजनीति से प्रेरित बताते हुए उन्हें खारिज करने की मांग की है।
मुकदमे का परिणाम बांग्लादेश के भविष्य की राजनीति और न्याय प्रणाली के लिए महत्वपूर्ण निहितार्थ रखेगा। यदि हसीना को दोषी ठहराया जाता है, तो यह देश की न्यायिक प्रणाली के लिए एक ऐतिहासिक निर्णय होगा। यह भविष्य में सत्ता में रहने वाले नेताओं के लिए भी एक चेतावनी के रूप में काम कर सकता है।