जुबीन गर्ग की मौत हादसा नहीं, 'हत्या' है: असम विधानसभा में सीएम हिमंत बिस्वा सरमा का बड़ा खुलासा

असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने विधानसभा में एक चौंकाने वाला बयान देते हुए कहा है कि लोकप्रिय गायक जुबीन गर्ग की मौत कोई हादसा नहीं, बल्कि एक 'सीधी और स्पष्ट हत्या' (Plain and Simple Murder) है। जानिए सीएम ने जांच को लेकर क्या कहा और अब मामले में आगे क्या होगा।

Nov 25, 2025 - 20:15
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जुबीन गर्ग की मौत हादसा नहीं, 'हत्या' है: असम विधानसभा में सीएम हिमंत बिस्वा सरमा का बड़ा खुलासा
लेख: जुबीन गर्ग की मौत पर असम विधानसभा में गूंजा सीएम का बयान: "यह हादसा नहीं, सोची-समझी हत्या है"

गुवाहाटी: असम के दिलों की धड़कन और मशहूर पार्श्व गायक जुबीन गर्ग (Zubeen Garg) की रहस्यमयी मौत के मामले ने एक नया और गंभीर मोड़ ले लिया है। असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा (Himanta Biswa Sarma) ने मंगलवार को राज्य विधानसभा के पटल पर एक ऐसा बयान दिया, जिसने पूरे राज्य को स्तब्ध कर दिया है। सीएम सरमा ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि जुबीन गर्ग की मौत प्राकृतिक कारणों या हादसे से नहीं हुई थी, बल्कि यह "सीधी और स्पष्ट हत्या" (Plain and Simple Murder) का मामला है।

मुख्यमंत्री के इस बयान के बाद से जुबीन के लाखों प्रशंसकों के बीच आक्रोश और दुख की लहर दौड़ गई है, जो लंबे समय से अपने चहेते कलाकार के लिए न्याय की मांग कर रहे थे।

विधानसभा में क्या बोले सीएम हिमंत बिस्वा सरमा?

विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दौरान, विपक्ष द्वारा कानून व्यवस्था और जुबीन गर्ग की मौत की जांच की स्थिति पर उठाए गए सवालों का जवाब देते हुए, मुख्यमंत्री (जो गृह विभाग का प्रभार भी संभालते हैं) ने जांच की स्थिति को साझा किया।

सीएम सरमा ने कहा, "शुरुआती दौर में इसे एक दुर्घटना या स्वास्थ्य संबंधी समस्या माना जा रहा था, लेकिन फॉरेंसिक रिपोर्ट्स, परिस्थितिजन्य साक्ष्य और पुलिस की गहन जांच अब एक ही निष्कर्ष की ओर इशारा कर रही है—जुबीन गर्ग की मौत एक सुनियोजित हत्या थी।"

उन्होंने सदन को आश्वासन दिया कि सरकार इस मामले की तह तक जाएगी और दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा, चाहे वे कितने भी प्रभावशाली क्यों न हों। मुख्यमंत्री ने कहा कि पुलिस ने कुछ अहम सुराग जुटाए हैं, जो इस साजिश का पर्दाफाश करेंगे।

जांच में अब तक क्या मिला?

सूत्रों के मुताबिक, पुलिस और सीआईडी (CID) की जांच में कुछ चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं, जिनके आधार पर मुख्यमंत्री ने यह बयान दिया है:

  1. फॉरेंसिक रिपोर्ट: विसरा रिपोर्ट और पोस्टमार्टम के विस्तृत विश्लेषण में शरीर में कुछ ऐसे रसायनों या चोटों के निशान मिले हैं, जो सामान्य मृत्यु की ओर इशारा नहीं करते।

  2. सीसीटीवी फुटेज और कॉल रिकॉर्ड्स: जुबीन गर्ग के अंतिम घंटों के कॉल डिटेल्स और उनके आवास/घटनास्थल के आसपास के सीसीटीवी फुटेज की जांच से संदिग्ध गतिविधियों का पता चला है।

  3. करीबियों से पूछताछ: पुलिस ने जुबीन के करीबी सहयोगियों, स्टाफ और घटना की रात उनके साथ मौजूद लोगों से कड़ी पूछताछ की है, जिनमें बयानों में विरोधाभास पाया गया है।

जुबीन गर्ग: असम की सांस्कृतिक धरोहर

जुबीन गर्ग केवल एक गायक नहीं थे, बल्कि असम की सांस्कृतिक पहचान का एक अभिन्न हिस्सा थे। 'या अली' जैसे बॉलीवुड हिट्स से लेकर असमिया लोक संगीत को आधुनिक रूप देने तक, उनका योगदान अतुलनीय है। उनकी मौत ने न केवल असमिया फिल्म और संगीत उद्योग को, बल्कि पूरे भारत में उनके प्रशंसकों को गहरा सदमा दिया है।

सीएम के बयान के बाद, उनके फैंस सोशल मीडिया पर #JusticeForZubeen ट्रेंड कर रहे हैं और हत्यारों की जल्द गिरफ्तारी की मांग कर रहे हैं।

विपक्ष का हंगामा और सरकार की प्रतिक्रिया

सीएम के खुलासे के बाद विधानसभा में भारी हंगामा हुआ। विपक्षी दलों ने सरकार पर जांच में देरी का आरोप लगाया। विपक्ष के नेता ने सवाल उठाया कि अगर यह हत्या थी, तो एफआईआर दर्ज करने और गिरफ्तारी में इतना समय क्यों लगा?

इसके जवाब में सीएम सरमा ने कहा, "हम जल्दबाजी में किसी निर्दोष को नहीं पकड़ना चाहते थे। अब जब हमारे पास ठोस सबूत हैं, तो कार्रवाई निर्णायक होगी। यह असम के बेटे के लिए न्याय की लड़ाई है, और हम इसे अंजाम तक पहुंचाएंगे।"

आगे की राह: क्या एसआईटी (SIT) का गठन होगा?

मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए, सरकार ने जांच के लिए एक उच्च स्तरीय विशेष जांच दल (SIT) के गठन के संकेत दिए हैं। पुलिस महानिदेशक (DGP) को व्यक्तिगत रूप से जांच की निगरानी करने के निर्देश दिए गए हैं।

आने वाले दिन इस हाई-प्रोफाइल केस के लिए बेहद महत्वपूर्ण होने वाले हैं। पुलिस जल्द ही इस मामले में कुछ बड़ी गिरफ्तारियां कर सकती है। असम की जनता अब टकटकी लगाए देख रही है कि उनके प्रिय कलाकार की मौत के पीछे का असली सच और 'मास्टरमाइंड' कब सामने आता है।

निष्कर्ष

जुबीन गर्ग की मौत को 'हत्या' करार देकर मुख्यमंत्री ने यह साफ कर दिया है कि सरकार इस मामले को दबाने के मूड में नहीं है। यह मामला अब केवल एक क्राइम रिपोर्ट नहीं, बल्कि असम की अस्मिता और न्याय व्यवस्था की परीक्षा बन गया है।