इथियोपिया में 10,000 साल बाद ज्वालामुखी विस्फोट: भारत में हवाई यात्रा प्रभावित, DGCA की एडवाइजरी

इथियोपिया के 'हायली गुब्बी' ज्वालामुखी में 10,000 साल बाद हुए भयानक विस्फोट से निकली राख का गुबार भारत के आसमान तक पहुंच गया है। इसके चलते DGCA ने एयरलाइनों के लिए एडवाइजरी जारी की है। कई उड़ानें रद्द और डायवर्ट की गई हैं। जानें इसका आपकी यात्रा और पर्यावरण पर क्या असर होगा।

Nov 25, 2025 - 21:07
 0
इथियोपिया में 10,000 साल बाद ज्वालामुखी विस्फोट: भारत में हवाई यात्रा प्रभावित, DGCA की एडवाइजरी
इथियोपिया में 10,000 साल बाद जागा 'हायली गुब्बी' ज्वालामुखी: भारत के आसमान में राख का गुबार, कई उड़ानें रद्द, DGCA का हाई अलर्ट

पूर्वी अफ्रीका के देश इथियोपिया में एक बड़ी भूगर्भीय घटना ने दुनिया भर के विमानन क्षेत्र को चिंता में डाल दिया है। यहां का हायली गुब्बी (Hayli Gubbi) ज्वालामुखी, जो पिछले लगभग 10,000 वर्षों से शांत (dormant) पड़ा था, रविवार को अचानक भयानक विस्फोट के साथ फट पड़ा। इस विस्फोट से निकली राख और धुएं का विशाल गुबार (Ash Plume) हवाओं के साथ बहते हुए अरब सागर को पार कर भारतीय उपमहाद्वीप के हवाई क्षेत्र तक पहुंच गया है।

इस प्राकृतिक आपदा का सीधा असर भारत की हवाई यात्राओं पर पड़ा है। सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) ने सभी एयरलाइनों के लिए विशेष एडवाइजरी जारी की है, जिसके बाद एयर इंडिया और इंडिगो समेत कई कंपनियों को अपनी उड़ानें रद्द या डायवर्ट करनी पड़ी हैं।

क्या हुआ इथियोपिया में?

इथियोपिया के अफ़ार क्षेत्र (Afar Region) में स्थित हायली गुब्बी ज्वालामुखी में रविवार (24 नवंबर) की सुबह विस्फोट हुआ। वैज्ञानिकों के अनुसार, यह ज्वालामुखी होलोसीन युग (Holocene epoch) के बाद से शांत था। विस्फोट इतना शक्तिशाली था कि राख का गुबार 14 से 15 किलोमीटर (लगभग 45,000 फीट) की ऊंचाई तक आसमान में फैल गया।

इतनी ऊंचाई पर तेज हवाओं (Jet Streams) ने इस राख को पूर्व दिशा की ओर धकेल दिया। यह गुबार लाल सागर (Red Sea), यमन और ओमान को पार करते हुए सोमवार शाम तक पश्चिमी भारत के आसमान में दाखिल हो गया।

DGCA की सख्त एडवाइजरी: सुरक्षा सर्वोपरि

ज्वालामुखी की राख विमान के इंजनों के लिए बेहद खतरनाक होती है। इसे देखते हुए भारतीय विमानन नियामक DGCA (Directorate General of Civil Aviation) ने सोमवार को सभी एयरलाइनों और हवाई अड्डा संचालकों के लिए एक विस्तृत एडवाइजरी जारी की।

एडवाइजरी के मुख्य बिंदु:

  1. उड़ान मार्ग बदलें: एयरलाइनों को निर्देश दिया गया है कि वे उन मार्गों और ऊंचाइयों से बचें जहां ज्वालामुखी की राख मौजूद है।

  2. इंजन की जांच: यदि कोई विमान इस क्षेत्र से गुजरा है, तो लैंडिंग के बाद उसके इंजन और अन्य प्रणालियों की गहन जांच की जानी चाहिए।

  3. पायलटों को निर्देश: पायलटों को उड़ान के दौरान राख के किसी भी संकेत (जैसे केबिन में धुएं की गंध या इंजन में उतार-चढ़ाव) की तुरंत रिपोर्ट करने को कहा गया है।

  4. हवाई अड्डों की निगरानी: हवाई अड्डा संचालकों को रनवे और एप्रन क्षेत्र में राख के जमाव की जांच करने के लिए कहा गया है, ताकि टेक-ऑफ और लैंडिंग सुरक्षित रहे।

हवाई सेवाओं पर व्यापक असर: उड़ानें रद्द और डायवर्ट

DGCA की चेतावनी और यात्रियों की सुरक्षा को देखते हुए भारतीय विमानन कंपनियों ने तत्काल कदम उठाए हैं।

  • Air India (एयर इंडिया): एयर इंडिया ने सोमवार और मंगलवार को अपनी कई उड़ानें रद्द कर दीं। इनमें दिल्ली से न्यूयॉर्क (AI 102), नेवार्क (AI 106), दुबई (AI 2204, AI 2212), और दोहा (AI 2290, AI 2284) जाने वाली महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय उड़ानें शामिल हैं। एयरलाइन ने कहा कि वह एहतियात के तौर पर उन विमानों की जांच कर रही है जो प्रभावित मार्गों से गुजरे थे।

  • IndiGo (इंडिगो): इंडिगो की कन्नूर से अबू धाबी जाने वाली उड़ान (6E 1433) को बीच रास्ते से ही डायवर्ट कर अहमदाबाद में लैंड कराया गया ताकि वह राख के बादलों से बच सके।

  • Akasa Air (अकासा एयर): अकासा एयर ने भी जेद्दा, कुवैत और अबू धाबी के लिए अपनी उड़ानें रद्द कर दीं।

  • अंतरराष्ट्रीय एयरलाइंस: केएलएम रॉयल डच एयरलाइंस (KLM) ने भी एम्स्टर्डम और दिल्ली के बीच अपनी सेवाएं रद्द कर दीं।

क्यों खतरनाक है ज्वालामुखी की राख?

आम धुएं के विपरीत, ज्वालामुखी की राख बेहद महीन पत्थर, कांच के कणों और सिलिकेट्स से बनी होती है। जब यह विमान के जेट इंजन के अंदर जाती है, तो इंजन के अत्यधिक तापमान (जो 1000°C से ऊपर होता है) के कारण यह पिघल जाती है। पिघला हुआ कांच इंजन के टरबाइन ब्लेड पर जम जाता है, जिससे हवा का प्रवाह रुक सकता है और इंजन बंद (Engine Failure) हो सकता है। इसके अलावा, यह विंडशील्ड को अपारदर्शी बना सकती है और विमान के सेंसर को खराब कर सकती है। इतिहास में ऐसे कई उदाहरण हैं जब ज्वालामुखी की राख के कारण विमान दुर्घटनाग्रस्त होने से बाल-बाल बचे हैं।

भारत के किन हिस्सों पर असर?

भारतीय मौसम विभाग (IMD) के अनुसार, राख का यह बादल गुजरात, राजस्थान, पंजाब, हरियाणा और दिल्ली-एनसीआर के ऊपर से गुजरा है। यह बादल लगभग 10-12 किलोमीटर की ऊंचाई पर है, जो कि कमर्शियल फ्लाइट्स का क्रूजिंग एल्टीट्यूड (Cruising Altitude) है।

राहत की बात यह है कि IMD के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्र ने पुष्टि की है कि यह बादल तेजी से पूर्व की ओर बढ़ रहा है और मंगलवार शाम (26 नवंबर) 7:30 बजे तक भारतीय वायु क्षेत्र से बाहर निकलकर चीन की ओर चला जाएगा।

क्या दिल्ली की हवा और जहरीली होगी?

दिल्ली-एनसीआर पहले से ही गंभीर वायु प्रदूषण (Air Pollution) से जूझ रहा है। ऐसे में लोगों के मन में सवाल है कि क्या यह ज्वालामुखी राख हवा को और खराब करेगी?

विशेषज्ञों का कहना है कि चूंकि यह राख जमीन से 10 किलोमीटर ऊपर है, इसलिए इसका ज़मीनी स्तर के वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) पर कोई खास असर नहीं पड़ेगा। हालांकि, वातावरण में सल्फर डाइऑक्साइड (SO2) की मात्रा थोड़ी बढ़ सकती है।