10,000 साल बाद जागा ज्वालामुखी, इथियोपिया में राख का गुबार
इथियोपिया में 10,000 वर्षों से शांत पड़ा एक ज्वालामुखी अचानक फट पड़ा, जिससे राख का गुबार 15 किमी ऊपर तक फैल गया। प्रत्यक्षदर्शियों ने इसे 'धुएं के बम' जैसा बताया। यह लेख घटना के विवरण, प्रत्यक्षदर्शियों के बयानों और इसके पर्यावरणीय प्रभाव पर केंद्रित है। (A volcano in Ethiopia, silent for 10,000 years, erupted suddenly, sending ash 15 km into the sky. Eyewitnesses described it as a 'bomb of smoke'. This article focuses on the event details, eyewitness accounts, and its environmental impact.)
इथियोपिया के दूरदराज के अफ़ार क्षेत्र में एक अभूतपूर्व प्राकृतिक घटना ने वैज्ञानिकों और स्थानीय निवासियों को चौंका दिया है। लगभग 10,000 वर्षों से सुप्त (Dormant) पड़ा हायली गुब्बी (Hayli Gubbi) ज्वालामुखी अचानक भयानक विस्फोट के साथ जाग उठा। इस विस्फोट ने आसमान को राख और धुएं से भर दिया, जिससे दिन में भी अंधेरा छा गया। प्रत्यक्षदर्शियों ने इस दृश्य को किसी "धुएं और राख के बम" के फटने जैसा बताया।
विस्फोट और तबाही का मंजर
यह विस्फोट रविवार की सुबह हुआ, जब ज्वालामुखी ने 15 किलोमीटर की ऊंचाई तक राख और गैस का विशाल गुबार छोड़ा। यह गुबार इतना विशाल था कि यह लाल सागर के पार यमन और ओमान तक फैल गया।
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प्रत्यक्षदर्शियों का अनुभव: स्थानीय निवासी अहमद अबदेला ने बताया कि "ऐसा लगा जैसे धुएं और राख का कोई अचानक बम गिरा दिया गया हो।" विस्फोट की आवाज इतनी तेज थी कि लोग नींद से जाग गए और जमीन के कंपन से उनके घरों के दरवाजे और खिड़कियां हिलने लगीं।
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राख की चादर: पास के अफ़डेरा (Afdera) गांव और आसपास के इलाकों में धूल और राख की मोटी परत जम गई है। स्थानीय प्रशासक मोहम्मद सीद ने पुष्टि की है कि अभी तक किसी के हताहत होने की खबर नहीं है, लेकिन पशुधन के लिए चारागाह राख से ढक गए हैं, जिससे आजीविका पर गंभीर संकट मंडरा रहा है।
विमानन पर असर: भारत के लिए चिंता
इस ज्वालामुखी विस्फोट का असर केवल इथियोपिया तक सीमित नहीं है। भारतीय नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) ने एक एडवाइजरी जारी की है क्योंकि ज्वालामुखी की राख (Volcanic Ash) के कण हवा के साथ बहकर भारतीय हवाई क्षेत्र की ओर बढ़ सकते हैं।
ज्वालामुखी की राख में कांच के महीन कण और पत्थर होते हैं जो विमान के इंजनों को नुकसान पहुंचा सकते हैं और विंडशील्ड को धुंधला कर सकते हैं। एहतियात के तौर पर, एयर इंडिया ने अपने 11 विमानों की जांच के लिए उड़ानें रद्द कर दी हैं जो इस राख के गुबार से गुजरे हो सकते थे।
भूगर्भीय महत्व
हायली गुब्बी ज्वालामुखी पूर्वी अफ्रीकी रिफ्ट (East African Rift) प्रणाली का हिस्सा है, जहां टेक्टोनिक प्लेटें एक-दूसरे से अलग हो रही हैं। यह क्षेत्र भूगर्भीय रूप से बहुत सक्रिय है, लेकिन इस विशेष ज्वालामुखी का इतना लंबा सुप्त काल और अचानक विस्फोट वैज्ञानिकों के लिए अध्ययन का विषय बन गया है। स्थानीय लोगों के लिए, जिनके पास इस ज्वालामुखी के फटने का कोई ऐतिहासिक रिकॉर्ड नहीं है, यह घटना किसी दैवीय प्रकोप से कम नहीं है।
यह घटना हमें याद दिलाती है कि प्रकृति कितनी अप्रत्याशित और शक्तिशाली हो सकती है। जबकि तत्काल खतरा टल गया है, लेकिन राख के दीर्घकालिक पर्यावरणीय और आर्थिक प्रभावों से निपटना स्थानीय समुदायों के लिए एक बड़ी चुनौती होगी।