ट्रंप का बड़ा दावा: 'पुतिन यूक्रेन युद्ध खत्म करना चाहते हैं', मॉस्को में हुई 'सकारात्मक' बातचीत
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दावा किया है कि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन यूक्रेन युद्ध को समाप्त करना चाहते हैं। यह बयान ट्रंप के दूतों और पुतिन के बीच मॉस्को में हुई 5 घंटे की बैठक के बाद आया है। जानिए इस 'सकारात्मक' बातचीत के मायने और शांति समझौते की राह में मौजूद चुनौतियां।
वाशिंगटन/मॉस्को: दुनिया भर में जारी भू-राजनीतिक तनाव के बीच, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बड़ा और उम्मीद भरा बयान दिया है। ट्रंप ने कहा है कि उन्हें ऐसा आभास हुआ है कि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन यूक्रेन के साथ चल रहे विनाशकारी युद्ध को समाप्त करना चाहते हैं। यह बयान तब आया जब ट्रंप के विशेष दूतों ने मॉस्को में पुतिन के साथ एक लंबी और गहन बैठक की।
ट्रंप ने व्हाइट हाउस के ओवल ऑफिस में पत्रकारों से बात करते हुए कहा, "उनकी (पुतिन की) इच्छा युद्ध को खत्म करने की है, ऐसा हमारे प्रतिनिधिमंडल का मानना है।" उन्होंने इस बैठक को "बहुत अच्छा" (Very Good) बताया, लेकिन साथ ही यह भी जोड़ा कि किसी भी समझौते पर पहुंचने के लिए दोनों पक्षों की सहमति जरूरी है, क्योंकि "ताली दोनों हाथों से बजती है" (It takes two to tango)।
मॉस्को में 5 घंटे की मैराथन बैठक
यह घटनाक्रम तब सामने आया जब ट्रंप के विशेष दूत स्टीव विटकॉफ (Steve Witkoff) और उनके दामाद व सलाहकार जेरेड कुशनर (Jared Kushner) ने मॉस्को में पुतिन के साथ करीब पांच घंटे तक बैठक की। इस बैठक का मुख्य उद्देश्य वाशिंगटन द्वारा प्रस्तावित यूक्रेन शांति योजना (Peace Proposal) पर चर्चा करना था।
रिपोर्टों के अनुसार, अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल ने क्रेमलिन को चार दस्तावेजों में विस्तृत प्रस्ताव सौंपे थे। इन प्रस्तावों में युद्ध विराम, क्षेत्रीय सीमाएं और भविष्य की सुरक्षा गारंटी जैसे संवेदनशील मुद्दों पर संभावित समाधान सुझाए गए थे। हालांकि, क्रेमलिन के सहयोगियों ने बताया कि इस लंबी बातचीत के बावजूद अभी तक किसी ठोस समझौते या 'ब्रेकथ्रू' (Breakthrough) पर सहमति नहीं बन पाई है।
क्रेमलिन की प्रतिक्रिया: 'कुछ प्रस्ताव मंजूर, कुछ नामंजूर'
पुतिन के विदेश नीति सलाहकार यूरी उशाकोव (Yuri Ushakov) ने बैठक के बाद कहा कि बातचीत "उपयोगी" थी, लेकिन अभी भी कई मतभेद बाकी हैं। उन्होंने कहा, "हम कुछ बिंदुओं पर सहमत हो सकते हैं, लेकिन अन्य प्रस्तावों ने आलोचना को जन्म दिया है। राष्ट्रपति पुतिन ने हमारे कुछ प्रस्तावों के प्रति अपने नकारात्मक दृष्टिकोण को छिपाया नहीं है।"
उशाकोव ने स्पष्ट किया कि दोनों पक्षों ने अभी तक किसी समझौते पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं और न ही किसी नए पुतिन-ट्रंप शिखर सम्मेलन की तारीख तय की गई है। हालांकि, उन्होंने यह माना कि बातचीत जारी रखना महत्वपूर्ण है और कूटनीतिक जुड़ाव बना रहेगा।
शांति योजना में क्या है?
ट्रंप प्रशासन द्वारा पिछले महीने पेश किए गए 28-सूत्रीय शांति प्रस्ताव ने यूक्रेन और उसके यूरोपीय सहयोगियों के बीच चिंता पैदा कर दी थी। आलोचकों का कहना है कि यह प्रस्ताव मॉस्को के पक्ष में झुका हुआ है। इसमें यूक्रेन की संप्रभुता से जुड़े मुद्दे, जैसे कि उसकी सेना के आकार पर सीमा और लंबी दूरी की मिसाइलों के उपयोग पर प्रतिबंध, शामिल बताए जा रहे हैं।
इसके अलावा, क्षेत्रीय मुद्दों पर भी चर्चा हो रही है। रूस ने पूर्वी यूक्रेन के डोनबास क्षेत्र और अन्य कब्जा किए गए इलाकों पर अपना दावा नहीं छोड़ा है, जिसे कीव (Kyiv) किसी भी सूरत में स्वीकार करने को तैयार नहीं है।
यूक्रेन का रुख और यूरोप की चिंता
यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर ज़ेलेंस्की (Volodymyr Zelenskyy) ने कहा है कि उनका देश एक "सम्मानजनक शांति" चाहता है, लेकिन यह यूक्रेन की क्षेत्रीय अखंडता की कीमत पर नहीं हो सकता। उन्होंने कहा कि दुनिया अब महसूस कर रही है कि युद्ध को खत्म करने का अवसर है, लेकिन इसके लिए रूस पर दबाव बनाना जरूरी है।
दूसरी ओर, यूरोपीय देश इस बात को लेकर चिंतित हैं कि अमेरिका और रूस उनके हितों को दरकिनार करते हुए कोई द्विपक्षीय समझौता न कर लें। नाटो (NATO) के महासचिव मार्क रुटे ने कहा है कि शांति वार्ता सकारात्मक है, लेकिन यह सुनिश्चित करना होगा कि यूक्रेन कमजोर स्थिति में न हो।
ट्रंप की कूटनीति और आगे की राह
डोनाल्ड ट्रंप ने अपने चुनाव अभियान के दौरान वादा किया था कि वह यूक्रेन युद्ध को "24 घंटे में" खत्म कर देंगे। अब राष्ट्रपति के रूप में, वह इस वादे को पूरा करने के लिए आक्रामक कूटनीति का सहारा ले रहे हैं। जेरेड कुशनर का इस वार्ता में शामिल होना महत्वपूर्ण है, क्योंकि उन्होंने ट्रंप के पहले कार्यकाल में अब्राहम एकॉर्ड्स (Abraham Accords) जैसे ऐतिहासिक समझौते कराने में अहम भूमिका निभाई थी।
ट्रंप का यह बयान कि "पुतिन युद्ध खत्म करना चाहते हैं", एक रणनीतिक संकेत हो सकता है। यह पुतिन को वार्ता की मेज पर बनाए रखने और दुनिया को यह दिखाने का प्रयास है कि अमेरिका शांति के लिए गंभीर है। हालांकि, जमीन पर हकीकत अभी भी जटिल है। रूस पूर्वी यूक्रेन में अपनी सैन्य बढ़त बना रहा है और मिसाइल हमले जारी हैं।
निष्कर्ष: शांति की राह अभी लंबी और कठिन है। भले ही ट्रंप और पुतिन के बीच "अच्छी बातचीत" हुई हो, लेकिन जब तक क्षेत्रीय सीमाओं और सुरक्षा गारंटी जैसे मूल मुद्दों पर सहमति नहीं बनती, तब तक युद्ध विराम एक दूर का सपना लग रहा है। फिर भी, यह उच्च-स्तरीय संवाद एक सकारात्मक संकेत है कि कूटनीति अभी जिंदा है।