पुतिन का भारत दौरा: 4 दिसंबर को पीएम मोदी से मुलाकात, S-400 और व्यापार पर बड़ी डील की उम्मीद
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन 4-5 दिसंबर को भारत के दो दिवसीय दौरे पर आ रहे हैं। पीएम मोदी के साथ 23वें वार्षिक शिखर सम्मेलन में S-400 मिसाइल सिस्टम, Su-57 फाइटर जेट्स, व्यापार और यूक्रेन युद्ध जैसे अहम मुद्दों पर चर्चा होगी। जानें इस दौरे के मायने। (Russian President Vladimir Putin is visiting India on December 4-5. In the 23rd Annual Summit with PM Modi, key issues like S-400 missile systems, Su-57 fighter jets, trade, and the Ukraine war will be discussed. Understand the significance of this visit.)
नई दिल्ली: भू-राजनीतिक उथल-पुथल और अमेरिकी दबाव के बीच, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (Vladimir Putin) 4 दिसंबर को भारत के दो दिवसीय राजकीय दौरे पर नई दिल्ली पहुंच रहे हैं। यह यात्रा भारत और रूस के बीच 23वें वार्षिक शिखर सम्मेलन (23rd India-Russia Annual Summit) के लिए हो रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) के निमंत्रण पर हो रहे इस दौरे को दोनों देशों के रिश्तों के लिए एक निर्णायक मोड़ माना जा रहा है।
2022 में यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद पुतिन की यह पहली भारत यात्रा है। इससे पहले वह दिसंबर 2021 में भारत आए थे। इस यात्रा के दौरान दोनों नेताओं के बीच रक्षा, ऊर्जा, व्यापार और क्षेत्रीय सुरक्षा पर गहन चर्चा होने की उम्मीद है।
क्या है एजेंडा?
विदेश मंत्रालय (MEA) ने पुष्टि की है कि इस यात्रा का उद्देश्य दोनों देशों के बीच "विशेष और विशेषाधिकार प्राप्त रणनीतिक साझेदारी" (Special and Privileged Strategic Partnership) को और मजबूत करना है।
1. रक्षा सौदे और S-400 सिस्टम: इस शिखर सम्मेलन का सबसे महत्वपूर्ण पहलू रक्षा सहयोग होगा। सूत्रों के अनुसार, भारत रूस से S-400 ट्रायम्फ (S-400 Triumf) वायु रक्षा प्रणाली के पांच अतिरिक्त स्क्वाड्रन खरीदने का प्रस्ताव रख सकता है। हाल ही में 'ऑपरेशन सिंदूर' (Operation Sindoor) के दौरान इस सिस्टम की सफलता को देखते हुए, भारत अपने हवाई सुरक्षा कवच को और अभेद्य बनाना चाहता है। इसके अलावा, S-400 सिस्टम के लिए 300 नई मिसाइलों की खरीद पर भी सहमति बन सकती है।
इसके साथ ही, रूस के पांचवीं पीढ़ी के Su-57 (सुखोई-57) फाइटर जेट्स पर भी चर्चा हो सकती है। हालांकि, भारत ने अभी तक इसे खरीदने पर अंतिम निर्णय नहीं लिया है, लेकिन रूस इसे अमेरिकी F-35 के विकल्प के रूप में पेश कर रहा है। भारतीय वायु सेना के मौजूदा Su-30MKI बेड़े के अपग्रेडेशन पर भी बात आगे बढ़ सकती है।
2. व्यापार और ऊर्जा सुरक्षा: यूक्रेन युद्ध के बाद भारत रूस से रियायती दरों पर कच्चे तेल का सबसे बड़ा खरीदार बनकर उभरा है। हालांकि, बढ़ते व्यापार घाटे (Trade Deficit) को कम करना भारत के लिए एक प्राथमिकता है। दोनों नेता भुगतान तंत्र (Payment Mechanisms) को सुव्यवस्थित करने और भारत से रूस को निर्यात बढ़ाने के उपायों पर चर्चा करेंगे। इसके अलावा, लेबर मोबिलिटी एग्रीमेंट पर भी हस्ताक्षर हो सकते हैं, जिसके तहत रूस भारतीय कुशल श्रमिकों को अपने यहां रोजगार के अवसर प्रदान करेगा।
3. यूक्रेन युद्ध और भू-राजनीति: यूक्रेन संघर्ष इस बैठक का एक और प्रमुख मुद्दा होगा। भारत ने हमेशा कूटनीति और संवाद के जरिए शांति की वकालत की है। पीएम मोदी एक बार फिर पुतिन के सामने शांतिपूर्ण समाधान का पक्ष रख सकते हैं। यह यात्रा ऐसे समय में हो रही है जब अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नीतियों और संभावित टैरिफ (Tariffs) को लेकर वैश्विक अनिश्चितता बनी हुई है। पुतिन की यह यात्रा दुनिया को यह संदेश देगी कि पश्चिमी प्रतिबंधों के बावजूद भारत और रूस के संबंध मजबूत हैं।
राष्ट्रपति मुर्मू करेंगी स्वागत
अपनी यात्रा के दौरान, राष्ट्रपति पुतिन भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से भी मुलाकात करेंगे, जो उनके सम्मान में एक राजकीय भोज (State Banquet) की मेजबानी करेंगी।
निष्कर्ष
पुतिन की यह यात्रा भारत की रणनीतिक स्वायत्तता (Strategic Autonomy) का एक और उदाहरण है। अमेरिका के साथ बढ़ते संबंधों के बावजूद, भारत ने रूस के साथ अपनी पुरानी दोस्ती को कभी कमजोर नहीं होने दिया है। रक्षा जरूरतों को पूरा करने और ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए यह दौरा भारत के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। अब देखना यह होगा कि 5 दिसंबर को जब यह शिखर सम्मेलन समाप्त होगा, तो दोनों देश किन नए समझौतों के साथ अपनी दोस्ती की नई इबारत लिखते हैं।