महाराष्ट्र कांग्रेस की मांग: कुंभ और शक्तिपीठ के फंड किसानों को दिए जाएं

महाराष्ट्र कांग्रेस अध्यक्ष हर्षवर्धन सपकाल ने मांग की है कि कुंभ मेले और शक्तिपीठ एक्सप्रेसवे के लिए आवंटित अतिरिक्त धन को तुरंत बाढ़ प्रभावित किसानों की मदद के लिए मोड़ दिया जाए। यह लेख सरकार की प्राथमिकताओं पर सवाल और किसानों के लिए राहत की आवश्यकता पर केंद्रित है।

Sep 26, 2025 - 21:44
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महाराष्ट्र कांग्रेस की मांग: कुंभ और शक्तिपीठ के फंड किसानों को दिए जाएं
कुंभ मेला और शक्तिपीठ एक्सप्रेसवे के फंड किसानों को दिए जाएं: महाराष्ट्र कांग्रेस की सरकार से अपील

महाराष्ट्र में भारी बारिश और बाढ़ से लाखों किसान बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। इस संकट के बीच, महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस कमेटी (MPCC) के अध्यक्ष हर्षवर्धन सपकाल ने एक महत्वपूर्ण और संवेदनशील मांग उठाई है। उन्होंने राज्य सरकार से आग्रह किया है कि नासिक में होने वाले आगामी कुंभ मेले और प्रस्तावित शक्तिपीठ एक्सप्रेसवे के लिए आवंटित अतिरिक्त धन को तुरंत डायवर्ट करके बाढ़ प्रभावित किसानों को राहत प्रदान की जाए।

सपकाल ने कहा कि "सरकार की वित्तीय प्राथमिकताएं तत्काल पुनर्निर्देशित होनी चाहिए।" उन्होंने इस मांग को किसानों के साथ खड़े होने के लिए एक "खुले दिल से और तत्काल अपील" बताया। उनका तर्क है कि जब राज्य का अन्नदाता संकट में हो, तो सरकार की पहली प्राथमिकता उसकी मदद करना होनी चाहिए, न कि भव्य परियोजनाओं पर पैसा खर्च करना। पिछले कुछ हफ्तों से मराठवाड़ा और राज्य के अन्य हिस्सों में लगातार हो रही बारिश ने फसलों को भारी नुकसान पहुंचाया है। सोयाबीन, कपास और अरहर जैसी खरीफ की फसलें पानी में डूब गई हैं, जिससे किसानों को करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ है। कई किसानों ने तो अपनी पूरी फसल खो दी है।

कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि सरकार किसानों की मदद के लिए पर्याप्त कदम नहीं उठा रही है और राहत पैकेज भी पर्याप्त नहीं है। इस बीच, कुंभ मेले के लिए करोड़ों रुपये का आवंटन और शक्तिपीठ एक्सप्रेसवे जैसी बड़ी परियोजनाओं पर खर्च होने वाले धन को लेकर सवाल उठ रहे हैं।

हर्षवर्धन सपकाल ने कहा, "यह समय भव्य आयोजनों और परियोजनाओं पर खर्च करने का नहीं है। किसानों की आंखों में आंसू हैं, और हमें उनकी मदद के लिए हर संभव प्रयास करना चाहिए।" उन्होंने कहा कि "धर्म के नाम पर पैसा खर्च करने से पहले, हमें उन लोगों की देखभाल करनी चाहिए जो हमें खाना खिलाते हैं।" यह बयान सरकार के लिए एक बड़ा राजनीतिक और नैतिक दबाव बना रहा है।