सुप्रीम कोर्ट का कॉमेडियन्स को निर्देश: 'दिव्यांगों के लिए शो करें, यह सामाजिक जिम्मेदारी है'

सुप्रीम कोर्ट ने कॉमेडियन समय रैना और तीन अन्य को निर्देश दिया है कि वे दिव्यांग व्यक्तियों की प्रेरणादायक कहानियों को अपने प्लेटफॉर्म पर प्रस्तुत करें। कोर्ट ने इसे दंडात्मक नहीं, बल्कि एक 'सामाजिक दायित्व' (Social Burden) बताया है। (The Supreme Court has directed comedian Samay Raina and three others to host shows featuring inspiring stories of differently-abled individuals on their platforms. The court termed this as a 'Social Burden' and not a penal one.)

Nov 27, 2025 - 19:18
 0
सुप्रीम कोर्ट का कॉमेडियन्स को निर्देश: 'दिव्यांगों के लिए शो करें, यह सामाजिक जिम्मेदारी है'
सुप्रीम कोर्ट की कॉमेडियन्स को अनूठी सजा: 'दिव्यांग अचीवर्स को मंच दें, फंड जुटाएं, यह सजा नहीं, जिम्मेदारी है'

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को एक अनूठे और संवेदनशील फैसले में कॉमेडियन और यूट्यूबर समय रैना (Samay Raina) और तीन अन्य कॉमेडियन्स को निर्देश दिया है कि वे अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स का उपयोग दिव्यांग व्यक्तियों (Specially-abled individuals) की प्रेरणादायक कहानियों को दुनिया के सामने लाने के लिए करें।

यह निर्देश मुख्य न्यायाधीश (CJI) डी.वाई. चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ ने 'Cure SMA Foundation' द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई के दौरान दिया। याचिका में कॉमेडियन्स पर अपने शो में दिव्यांगों और दुर्लभ बीमारियों से पीड़ित लोगों का मजाक उड़ाने का आरोप लगाया गया था।

कोर्ट ने क्या कहा?

अदालत ने स्पष्ट किया कि यह आदेश कोई "दंडात्मक कार्रवाई" (Penal Burden) नहीं है, बल्कि एक "सामाजिक दायित्व" (Social Burden) है। CJI ने कहा:

"आप समाज में अच्छी स्थिति वाले लोग हैं। यदि आप लोकप्रिय हो गए हैं, तो इसे दूसरों के साथ साझा करें। हम उम्मीद करते हैं कि अगली सुनवाई से पहले कुछ यादगार कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। यह एक सामाजिक बोझ है जो हम आप पर डाल रहे हैं, दंडात्मक बोझ नहीं।"

कोर्ट ने निर्देश दिया कि इन शोज का उद्देश्य न केवल जागरूकता बढ़ाना होना चाहिए, बल्कि दिव्यांगों के समय पर और प्रभावी उपचार के लिए फंड जुटाना भी होना चाहिए।

विवाद की जड़: 'इंडियाज गॉट लेटेंट'

यह मामला कुछ महीने पहले समय रैना के यूट्यूब शो 'इंडियाज गॉट लेटेंट' (India's Got Latent) के एक एपिसोड से उपजा था। आरोप था कि शो में दिव्यांगों और दुर्लभ बीमारियों से जूझ रहे लोगों पर असंवेदनशील टिप्पणी की गई थी, जिसे 'डार्क कॉमेडी' या 'सैटायर' के नाम पर परोसा गया था। इसके बाद सोशल मीडिया पर भारी विरोध हुआ और एनजीओ ने पुलिस और कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। विवाद बढ़ने पर शो को यूट्यूब से हटा दिया गया था।

सामाजिक संवेदनशीलता का पाठ

सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला इस बात का प्रतीक है कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता (Freedom of Speech) और व्यंग्य की भी अपनी सीमाएं होती हैं। कोर्ट ने कॉमेडियन्स को समाज के प्रति उनकी जिम्मेदारी का अहसास कराया है। यह फैसला इस बात पर जोर देता है कि प्रभावशाली लोग अपनी पहुंच का इस्तेमाल सकारात्मक बदलाव के लिए करें।

अब देखना यह होगा कि समय रैना और अन्य कॉमेडियन इस "सजा" को कैसे एक "अवसर" में बदलते हैं और समाज के सामने एक सकारात्मक उदाहरण पेश करते हैं।