महाराष्ट्र की सियासत में भूचाल: सीएम शिंदे और बेटे को IT नोटिस, दिल्ली रवाना
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उनके सांसद बेटे श्रीकांत शिंदे को 10 जुलाई 2025 को आयकर विभाग का नोटिस मिला है। संभाजीनगर में ब्रिक्स होटल नीलामी में वित्तीय अनियमितताओं के विपक्ष के आरोपों के बाद यह कदम उठा है। आयकर नोटिस मिलने से ठीक पहले सीएम शिंदे का दिल्ली जाना राज्य की राजनीति में बड़ी हलचल पैदा कर रहा है। जानें इस घटनाक्रम के राजनीतिक मायने और आगामी जांच।

छत्रपति संभाजी नगर, महाराष्ट्र: महाराष्ट्र की राजनीति में एक बड़ा और अप्रत्याशित घटनाक्रम सामने आया है, जिसने राज्य के सियासी गलियारों में हलचल मचा दी है। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उनके सांसद बेटे श्रीकांत शिंदे को 10 जुलाई 2025 को आयकर विभाग (Income Tax Department) का नोटिस प्राप्त हुआ है। यह कार्रवाई विपक्षी दलों द्वारा महाराष्ट्र के संभाजीनगर (पूर्व में औरंगाबाद) में हुई ब्रिक्स होटल की नीलामी में कथित वित्तीय अनियमितताओं को लेकर लगाए गए गंभीर आरोपों के बाद हुई है। इस नोटिस ने पहले से ही गरमाई महाराष्ट्र की राजनीतिक फिजा में और अधिक उबाल ला दिया है।
नोटिस का कारण: वित्तीय अनियमितताओं के आरोप
आयकर विभाग का यह नोटिस विपक्षी दलों द्वारा हाल ही में संभाजीनगर में हुए ब्रिक्स होटल की नीलामी प्रक्रिया में बड़े पैमाने पर वित्तीय गड़बड़ी की आशंका जताए जाने के ठीक बाद आया है। विपक्ष ने महाराष्ट्र विधानसभा के मानसून सत्र के दौरान इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाया था, जिसमें मुख्यमंत्री और उनके परिवार पर परोक्ष रूप से आरोप लगाए गए थे। इन आरोपों की गंभीरता को देखते हुए, मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने मामले की उच्च-स्तरीय समिति से जांच कराने की घोषणा की थी, जिसने मामले को और अधिक संवेदनशीलता प्रदान की। अब आयकर विभाग की सीधी कार्रवाई ने इन आरोपों को एक नई दिशा दे दी है।
सरकार का रुख और विपक्ष की प्रतिक्रिया
आयकर नोटिस मिलने के बाद, महाराष्ट्र सरकार के मंत्री संजय शिरसाट ने इस घटनाक्रम पर अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि यह आयकर विभाग का सामान्य कामकाज है और प्रभावित व्यक्तियों को विभाग के साथ पूरा सहयोग करना चाहिए। शिरसाट ने यह भी खुलासा किया कि उन्हें व्यक्तिगत रूप से और सांसद श्रीकांत शिंदे सहित कई अन्य लोगों को भी इसी तरह के नोटिस प्राप्त हुए हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि वे सभी आयकर विभाग द्वारा मांगे गए स्पष्टीकरणों का जवाब देंगे। हालांकि, संजय शिरसाट ने विपक्षी द्वारा लगाए गए सभी आरोपों से सिरे से इनकार किया है, लेकिन विपक्ष इस मुद्दे को लगातार भुनाने की कोशिश कर रहा है और इसे सरकार पर दबाव बनाने के एक अवसर के रूप में देख रहा है।
दिल्ली का रहस्यमय दौरा: राजनीतिक गलियारों में हलचल
आयकर नोटिस की खबर सामने आने से ठीक एक दिन पहले, 9 जुलाई 2025 को, मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे राज्य विधानमंडल के सत्र को बीच में ही छोड़कर दिल्ली के लिए रवाना हो गए थे। उनके इस अचानक दिल्ली दौरे ने राजनीतिक गलियारों में अटकलों का बाजार गर्म कर दिया था। अब आयकर नोटिस मिलने और शिंदे के कथित तौर पर केंद्रीय मंत्रियों से मिलने की खबरों ने इन अटकलों को और तेज कर दिया है।
हालांकि, मुख्यमंत्री शिंदे के दिल्ली दौरे के पीछे की सटीक वजह का अभी तक आधिकारिक तौर पर खुलासा नहीं हो पाया है। राजनीतिक विश्लेषक इसे दोहरी रणनीति के रूप में देख रहे हैं: एक तरफ, यह आयकर विभाग के नोटिस और ब्रिक्स होटल विवाद पर केंद्रीय नेतृत्व के साथ विचार-विमर्श का प्रयास हो सकता है, और दूसरी तरफ, यह राज्य में संभावित राजनीतिक उथल-पुथल के मद्देनजर केंद्रीय समर्थन और रणनीतिक सलाह लेने का एक तरीका भी हो सकता है।
महाराष्ट्र की सियासत में आगामी संभावनाएं
मुख्यमंत्री और उनके बेटे को मिले आयकर नोटिस से महाराष्ट्र की राजनीति में आने वाले दिनों में और अधिक गहमागहमी देखने को मिल सकती है। विपक्षी दल, जो पहले से ही ब्रिक्स होटल मामले पर सरकार को घेर रहे थे, अब इस नोटिस को एक नए हथियार के रूप में इस्तेमाल करेंगे। यह घटनाक्रम महाराष्ट्र में वर्तमान राजनीतिक गठबंधन और सरकार की स्थिरता पर भी प्रभाव डाल सकता है।
उच्च-स्तरीय समिति की जांच और आयकर विभाग की कार्रवाई दोनों ही मुख्यमंत्री के लिए चुनौती पेश करेंगी। इन जांचों के परिणाम न केवल एकनाथ शिंदे के राजनीतिक भविष्य को प्रभावित कर सकते हैं, बल्कि महाराष्ट्र की राजनीति के समीकरणों को भी बदल सकते हैं। आगामी मानसून सत्र में यह मुद्दा निश्चित रूप से प्रमुखता से उठाया जाएगा, और सरकार को इन आरोपों का सामना करने के लिए एक मजबूत रणनीति तैयार करनी होगी।
यह देखना दिलचस्प होगा कि एकनाथ शिंदे और उनके बेटे आयकर विभाग के नोटिस का कैसे जवाब देते हैं और दिल्ली में उनके कथित दौरे के क्या परिणाम निकलते हैं। महाराष्ट्र की राजनीति एक बार फिर एक महत्वपूर्ण मोड़ पर खड़ी है, और आने वाले दिन राज्य के राजनीतिक भविष्य के लिए बेहद निर्णायक साबित हो सकते हैं। इस पूरी घटना पर न केवल राज्य की जनता, बल्कि राष्ट्रीय मीडिया की भी पैनी नजर बनी हुई है।