वक्फ संपत्तियों के पंजीकरण की समय सीमा बढ़ाने की मांग: AIMIM नेता ने उठाई 'उम्मीद' पोर्टल की खामियों पर आवाज

मुंबई एआईएमआईएम (AIMIM) के अध्यक्ष हाजी फारूक मकबूल शब्दी ने सरकार से वक्फ संपत्तियों के दस्तावेज 'उम्मीद' (Umeed) पोर्टल पर अपलोड करने की समय सीमा बढ़ाने की मांग की है। तकनीकी खामियों और जागरूकता की कमी के कारण समुदाय को हो रही परेशानियों पर यह विस्तृत रिपोर्ट पढ़ें। (Mumbai AIMIM President Haji Farooq Maqbool Shabdi has demanded an extension of the deadline for uploading Waqf property documents on the 'Umeed' portal. Read this detailed report on the problems faced by the community due to technical glitches and lack of awareness.)

Nov 18, 2025 - 23:11
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वक्फ संपत्तियों के पंजीकरण की समय सीमा बढ़ाने की मांग: AIMIM नेता ने उठाई 'उम्मीद' पोर्टल की खामियों पर आवाज
वक्फ संपत्तियों के डिजिटलीकरण में आ रही बाधाएं: AIMIM ने की 'उम्मीद' पोर्टल की डेडलाइन बढ़ाने की मांग

मुंबई: भारत में वक्फ संपत्तियों के संरक्षण और डिजिटलीकरण को लेकर चल रही कवायद के बीच एक बड़ी प्रशासनिक और तकनीकी समस्या सामने आई है। मुंबई एआईएमआईएम (All India Majlis-e-Ittehadul Muslimeen) के अध्यक्ष हाजी फारूक मकबूल शब्दी ने सरकार का ध्यान एक गंभीर मुद्दे की ओर खींचा है। उन्होंने अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय और वक्फ बोर्ड से 'उम्मीद' (Umeed) पोर्टल पर वक्फ संपत्तियों के दस्तावेज अपलोड करने की अंतिम तारीख को आगे बढ़ाने की पुरजोर मांग की है।

यह मुद्दा केवल एक तकनीकी समस्या नहीं है, बल्कि यह मुस्लिम समुदाय की धार्मिक और सामाजिक संपत्तियों की सुरक्षा से जुड़ा हुआ एक संवेदनशील मामला है।

क्या है 'उम्मीद' पोर्टल और क्यों है यह विवाद?

भारत सरकार ने वक्फ संपत्तियों में पारदर्शिता लाने और अतिक्रमण (Encroachment) को रोकने के उद्देश्य से वक्फ संपत्तियों के डिजिटलीकरण का काम शुरू किया है। इसके लिए 'उम्मीद' पोर्टल लॉन्च किया गया है, जिस पर देश भर के वक्फ संस्थानों, मस्जिदों, दरगाहों और कब्रिस्तानों के मुतवल्लियों (देखभाल करने वालों) को अपनी संपत्तियों के कानूनी दस्तावेज अपलोड करने का निर्देश दिया गया है।

हालांकि, यह प्रक्रिया जितनी सरल दिखती है, धरातल पर उतनी ही जटिल साबित हो रही है। हाजी फारूक मकबूल शब्दी का कहना है कि पोर्टल पर भारी ट्रैफिक और तकनीकी खामियों के कारण लोग अपने दस्तावेज अपलोड नहीं कर पा रहे हैं।

हाजी फारूक मकबूल शब्दी द्वारा उठाए गए प्रमुख मुद्दे

AIMIM नेता ने अपनी मांग के समर्थन में कई ठोस तर्क प्रस्तुत किए हैं, जो जमीनी हकीकत को बयां करते हैं:

1. सर्वर डाउन और तकनीकी गड़बड़ी: शब्दी ने बताया कि पिछले कई दिनों से 'उम्मीद' पोर्टल का सर्वर ठीक से काम नहीं कर रहा है। जब भी लोग दस्तावेज अपलोड करने की कोशिश करते हैं, तो साइट क्रैश हो जाती है या प्रक्रिया बीच में ही अटक जाती है। ओटीपी (OTP) आने में देरी और लॉगिन की समस्याओं ने उपयोगकर्ताओं को परेशान कर रखा है।

2. जागरूकता की भारी कमी: वक्फ संपत्तियों की देखरेख करने वाले कई मुतवल्ली बुजुर्ग हैं या ग्रामीण क्षेत्रों से आते हैं, जिन्हें डिजिटल प्रक्रियाओं की पर्याप्त जानकारी नहीं है। सरकार द्वारा इस पोर्टल को लेकर व्यापक जन-जागरूकता अभियान नहीं चलाया गया, जिसके कारण अंतिम समय में अफरा-तफरी का माहौल है।

3. दस्तावेजों की जटिलता: वक्फ संपत्तियां अक्सर सदियों पुरानी होती हैं। उनके दस्तावेज उर्दू या फारसी में हो सकते हैं, या कई दस्तावेज समय के साथ खराब हो चुके हैं। इन दस्तावेजों को इकट्ठा करना, उनका अनुवाद करना और फिर उन्हें डिजिटल फॉर्मेट में बदलना एक लंबी प्रक्रिया है, जिसे दी गई समय सीमा में पूरा करना असंभव प्रतीत हो रहा है।

4. संपत्ति खोने का डर: समुदाय के भीतर यह डर व्याप्त है कि यदि समय रहते दस्तावेज अपलोड नहीं किए गए, तो सरकार या वक्फ बोर्ड इन संपत्तियों पर अपना नियंत्रण खो सकता है, या इन्हें अवैध घोषित किया जा सकता है। वक्फ संशोधन विधेयक (Waqf Amendment Bill) को लेकर चल रही चर्चाओं के बीच यह डर और भी गहरा हो गया है।

डिजिटल डिवाइड और प्रशासनिक चुनौतियां

हाजी फारूक ने इस बात पर जोर दिया कि भारत में अभी भी एक बड़ा 'डिजिटल डिवाइड' मौजूद है। मुंबई जैसे महानगर में भी कई वक्फ संस्थाएं ऐसी हैं जिनके पास कंप्यूटर या इंटरनेट की उचित सुविधा नहीं है। ऐसे में, केवल ऑनलाइन माध्यम पर निर्भर रहना और ऑफलाइन विकल्पों की कमी होना एक बड़ी प्रशासनिक चूक है।

उन्होंने सुझाव दिया कि सरकार को समय सीमा बढ़ाने के साथ-साथ जिलेवार सहायता केंद्र (Help Desks) स्थापित करने चाहिए, जहां लोग जाकर अपने दस्तावेज जमा कर सकें या तकनीकी सहायता प्राप्त कर सकें।

वक्फ संशोधन विधेयक का साया

यह पूरा घटनाक्रम संसद में पेश किए गए वक्फ संशोधन विधेयक के संदर्भ में भी महत्वपूर्ण है। विधेयक को लेकर संयुक्त संसदीय समिति (JPC) की बैठकें चल रही हैं और समुदाय के भीतर कई आशंकाएं हैं। ऐसे माहौल में, 'उम्मीद' पोर्टल पर पंजीकरण की जल्दबाजी को लोग शक की निगाह से देख रहे हैं।

AIMIM का कहना है कि सरकार को विश्वास बहाली के उपाय करने चाहिए। यदि पंजीकरण प्रक्रिया पारदर्शी और सुगम नहीं होगी, तो इसका उद्देश्य ही विफल हो जाएगा। शब्दी ने चेतावनी दी है कि यदि समय सीमा नहीं बढ़ाई गई, तो हजारों वक्फ संपत्तियां सरकारी रिकॉर्ड से बाहर रह सकती हैं, जिससे भविष्य में कानूनी विवाद पैदा होंगे।

मांग: कम से कम 6 महीने का विस्तार

मुंबई AIMIM अध्यक्ष ने सरकार से आग्रह किया है कि मौजूदा समय सीमा को कम से कम 6 महीने के लिए बढ़ाया जाए। उन्होंने कहा, "हम डिजिटलीकरण के खिलाफ नहीं हैं, हम पारदर्शिता चाहते हैं। लेकिन यह प्रक्रिया व्यावहारिक होनी चाहिए। आप रातों-रात सदियों पुराने रिकॉर्ड को ऑनलाइन नहीं ला सकते, खासकर तब जब आपका तकनीकी ढांचा इसके लिए तैयार न हो।"

उन्होंने यह भी मांग की कि जब तक पोर्टल सुचारू रूप से काम नहीं करता, तब तक किसी भी वक्फ संपत्ति के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई न की जाए।