मुंबई की हवा में थोड़ा सुधार, लेकिन मुलुंड में 'दमघोंटू' प्रदूषण: भाजपा विधायक ने मेट्रो को ठहराया जिम्मेदार
मुंबई में वायु गुणवत्ता में मामूली सुधार के बावजूद, मुलुंड जैसे इलाकों में प्रदूषण का स्तर 'खराब' बना हुआ है। स्थानीय भाजपा विधायक मिहिर कोटेचा ने एलबीएस मार्ग पर चल रहे मेट्रो-4 निर्माण कार्य को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया है। जानिए बीएमसी और एमएमआरडीए के बीच चल रहे आरोप-प्रत्यारोप की पूरी कहानी।
मुंबई: देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में वायु प्रदूषण (Air Pollution) का मुद्दा एक बार फिर गरमा गया है। हालांकि, शहर के समग्र वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) में पिछले कुछ दिनों के मुकाबले मामूली सुधार देखा गया है, लेकिन कुछ उपनगरीय इलाके, विशेष रूप से मुलुंड (Mulund), अभी भी जहरीली हवा और धूल के गुबार से जूझ रहे हैं।
इस बीच, मुलुंड से भारतीय जनता पार्टी (BJP) के विधायक मिहिर कोटेचा (Mihir Kotecha) ने प्रदूषण के लिए स्थानीय मेट्रो निर्माण कार्यों को जिम्मेदार ठहराते हुए मुंबई मेट्रोपॉलिटन रीजन डेवलपमेंट अथॉरिटी (MMRDA) और बृहन्मुंबई महानगर पालिका (BMC) के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।
मुंबई की हवा का हाल: कहां राहत, कहां आफत?
सोमवार को मुंबई का औसत AQI 132 दर्ज किया गया, जो 'मध्यम' (Moderate) श्रेणी में आता है। यह पिछले हफ्तों के 'खराब' (Poor) स्तर से बेहतर है।
हालांकि, शहर के अलग-अलग हिस्सों में प्रदूषण के स्तर में भारी असमानता है:
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कुलाबा (Colaba): यहाँ की हवा सबसे साफ रही, जहाँ AQI 65 ('संतोषजनक') दर्ज किया गया।
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मुलुंड (Mulund): यहाँ स्थिति चिंताजनक बनी हुई है। मुलुंड (पश्चिम) में AQI 217 ('खराब') और मुलुंड (पूर्व) में 169 ('मध्यम') दर्ज किया गया।
विधायक का आरोप: 'मेट्रो-4 ने बढ़ाई मुसीबत'
मुलुंड में लगातार खराब होती हवा को देखते हुए, विधायक मिहिर कोटेचा ने लाल बहादुर शास्त्री मार्ग (LBS Marg) पर चल रहे मेट्रो-4 (वडाला-कासरवडवली) के निर्माण कार्यों को आड़े हाथों लिया है।
कोटेचा ने आरोप लगाया है कि मेट्रो निर्माण स्थल पर धूल शमन (Dust Mitigation) के नियमों का खुलेआम उल्लंघन किया जा रहा है। उन्होंने कहा:
"एलबीएस मार्ग पर मेट्रो-4 का काम मुलुंड में खराब AQI का मुख्य कारण है। ठेकेदार धूल को उड़ने से रोकने के लिए आवश्यक उपाय नहीं कर रहे हैं। बीएमसी ने प्रदूषण रोकने के लिए जो दिशा-निर्देश (Guidelines) जारी किए थे, उनकी धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। न तो बैरिकेडिंग सही है और न ही पानी का छिड़काव किया जा रहा है।"
विधायक ने चेतावनी दी है कि यदि संबंधित एजेंसियों ने तुरंत कदम नहीं उठाए, तो वे स्थानीय नागरिकों के साथ मिलकर प्रदर्शन करेंगे। उनका कहना है कि विकास कार्यों की कीमत नागरिकों के स्वास्थ्य से नहीं चुकाई जा सकती।
बीएमसी और एमएमआरडीए की भूमिका
बीएमसी ने पिछले साल मुंबई में निर्माण स्थलों के लिए सख्त दिशा-निर्देश जारी किए थे। इनमें शामिल हैं:
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निर्माण स्थलों के चारों ओर कम से कम 35 फीट ऊंची टिन की चादरें लगाना।
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मलबे को ढककर रखना।
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नियमित रूप से पानी का छिड़काव करना।
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एंटी-स्मॉग गन का उपयोग।
कोटेचा का दावा है कि एमएमआरडीए के तहत चल रहे मेट्रो प्रोजेक्ट्स में इन नियमों का पालन नहीं हो रहा है। यह दो सरकारी एजेंसियों के बीच समन्वय की कमी को भी उजागर करता है।
नागरिकों की परेशानी
मुलुंड के निवासियों का कहना है कि सुबह और शाम के समय धूल का गुबार इतना घना होता है कि विजिबिलिटी कम हो जाती है। स्थानीय निवासी, विशेषकर बुजुर्ग और बच्चे, सांस लेने में तकलीफ, खांसी और आंखों में जलन की शिकायत कर रहे हैं।
एक स्थानीय निवासी ने कहा, "मेट्रो भविष्य के लिए जरूरी है, लेकिन वर्तमान में यह हमारे लिए 'गैस चैंबर' जैसा बन गया है। खिड़कियां खोलने पर घर धूल से भर जाता है। प्रशासन को हमारी सुध लेनी चाहिए।"
विशेषज्ञों की राय
पर्यावरण विशेषज्ञों का कहना है कि मुंबई की भौगोलिक स्थिति ऐसी है कि समुद्री हवाएं प्रदूषण को साफ कर देती हैं। लेकिन, जब हवा की गति धीमी होती है और तापमान गिरता है, तो धूल के कण (PM2.5 और PM10) वातावरण में निचले स्तर पर फंस जाते हैं, जिससे स्मॉग बनता है। निर्माण कार्यों से उड़ने वाली धूल इस स्थिति को और खराब कर देती है।