India-Russia Labour Pact: रूस में नौकरियों की बहार, भारतीय कामगारों के लिए खुले नए रास्ते
भारत और रूस के बीच हुआ नया समझौता। रूस में 5 लाख कामगारों की मांग, भारतीयों को मिलेगा रोजगार का बड़ा मौका। पढ़ें मोदी-पुतिन की मुलाकात और लेबर एग्रीमेंट की पूरी डिटेल।
नई दिल्ली: वैश्विक पटल पर भारत और रूस की दोस्ती एक बार फिर नई ऊंचाइयों को छू रही है। हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच हुई शिखर वार्ता न केवल रणनीतिक रूप से अहम रही, बल्कि यह भारतीय कामगारों (Workers) के लिए रोजगार के नए द्वार खोलने वाली साबित हुई है।
इस मुलाकात के दौरान दोनों देशों ने एक ऐतिहासिक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं, जिसका सीधा फायदा भारत के स्किल्ड (Skilled) और सेमी-स्किल्ड (Semi-skilled) युवाओं को मिलेगा। खबरों के मुताबिक, रूस को इस वक्त लाखों कामगारों की जरूरत है और भारत अपनी विशाल युवा शक्ति के साथ इस मांग को पूरा करने के लिए तैयार है।
क्या है यह नया समझौता?
शुक्रवार (5 दिसंबर, 2025) को नई दिल्ली में आयोजित 23वें भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन के दौरान दोनों देशों ने "श्रम गतिशीलता" (Labour Mobility) को लेकर दो महत्वपूर्ण समझौतों पर हस्ताक्षर किए:
-
नागरिकों की अस्थायी श्रम गतिविधि पर समझौता: यह एग्रीमेंट एक देश के नागरिकों को दूसरे देश में अस्थायी रूप से काम करने की कानूनी रूपरेखा प्रदान करता है। इसका मतलब है कि भारतीय अब वैध तरीके से और सुरक्षित माहौल में रूस में काम कर सकेंगे।
-
अनियमित प्रवास से निपटने के लिए सहयोग: दूसरा समझौता अवैध प्रवास (Illegal Migration) और मानव तस्करी जैसी समस्याओं को रोकने के लिए है। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि भारतीय कामगार किसी धोखाधड़ी का शिकार न हों।
रूस को क्यों है भारतीयों की जरूरत?
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, रूस इस वक्त श्रमिकों की भारी कमी से जूझ रहा है। एक अनुमान के मुताबिक, मॉस्को को लगभग 5,00,000 (5 लाख) सेमी-स्किल्ड वर्कर्स की तत्काल आवश्यकता है।
रूस के निर्माण क्षेत्र, इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स, और फैक्ट्रियों में काम करने के लिए बड़ी संख्या में लोगों की जरूरत है। चूंकि भारत के पास दुनिया का सबसे बड़ा युवा वर्कफोर्स है और यहां के लोग मेहनती व स्किल्ड माने जाते हैं, इसलिए रूस की नजर भारत पर है।
धोखाधड़ी से बचाने का 'कवच'
पिछले कुछ वर्षों में ऐसी कई खबरें आईं जिनमें एजेंटों ने भारतीय युवाओं को अच्छी नौकरी का झांसा देकर रूस भेजा और वहां उन्हें धोखे से युद्ध क्षेत्र में या सेना में हेल्पर के तौर पर झोंक दिया गया।
विदेश मंत्रालय के अधिकारियों का कहना है कि यह नया "मोबिलिटी एग्रीमेंट" (Mobility Agreement) इसी समस्या का समाधान है। अब सरकार के पास यह डेटा होगा कि कौन सा भारतीय किस काम के लिए रूस जा रहा है। यह फ्रेमवर्क सुनिश्चित करेगा कि:
-
भारतीय कामगारों को सही और सुरक्षित रोजगार मिले।
-
उन्हें एजेंटों के जाल में न फंसना पड़े।
-
युद्ध या संघर्ष वाले इलाकों से उन्हें दूर रखा जाए।
विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने बताया कि बातचीत के दौरान भारतीय नागरिकों की सुरक्षा का मुद्दा प्रमुखता से उठाया गया और भारतीयों को सलाह दी गई है कि वे विदेश में नौकरी स्वीकार करते समय पूरी सावधानी बरतें।
विदेश मंत्री का विजन: भारत बनेगा 'ग्लोबल वर्कफोर्स' का हब
इस समझौते की नींव पहले ही तैयार हो रही थी। हाल ही में विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने एक कार्यक्रम में कहा था कि भारत सरकार "मोबिलिटी" को बढ़ावा देना चाहती है, लेकिन "औपचारिक व्यवस्था" (Formal Arrangements) के जरिए।
जयशंकर ने कहा था, "आज की अंतरराष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में लेबर मोबिलिटी एक बहुत बड़ा फैक्टर है। हमें पता है कि दुनिया में काम करने वालों की मांग है और भारत उस मांग को पूरा करने में सक्षम है।"
यह समझौता उसी विजन का हिस्सा है, जहां भारत अपने 'जनसांख्यिकीय लाभांश' (Demographic Dividend) का उपयोग न केवल देश के विकास में, बल्कि वैश्विक जरूरतों को पूरा करने में भी करना चाहता है।
आगे क्या होगा?
इस समझौते के बाद उम्मीद की जा रही है कि आने वाले महीनों में रूस और भारत के बीच लेबर सप्लाई की प्रक्रिया तेज होगी।
-
कंस्ट्रक्शन और सर्विस सेक्टर: सबसे ज्यादा मौके कंस्ट्रक्शन, वेल्डिंग, इलेक्ट्रीशियन, और हॉस्पिटैलिटी जैसे क्षेत्रों में मिल सकते हैं।
-
वीजा नियमों में आसानी: कामगारों के लिए वीजा प्रक्रिया को सरल और पारदर्शी बनाया जाएगा।
-
स्किल ट्रेनिंग: संभव है कि रूस जाने वाले कामगारों के लिए विशेष स्किल ट्रेनिंग प्रोग्राम या भाषा सिखाने के कोर्स शुरू किए जाएं।
निष्कर्ष
भारत और रूस का यह कदम 'विन-विन' (Win-Win) स्थिति है। एक तरफ रूस को अपनी अर्थव्यवस्था चलाने के लिए जरूरी मैनपावर मिलेगा, तो दूसरी तरफ भारतीय युवाओं को विदेश में जाकर पैसा कमाने और अनुभव हासिल करने का सुरक्षित मौका।
हालांकि, सबसे बड़ी चुनौती यह सुनिश्चित करना होगी कि जमीनी स्तर पर इन नियमों का पालन हो और कोई भी भारतीय कामगार किसी गलत रास्ते पर न भटके। यह समझौता न केवल दोनों देशों की दोस्ती को गहरा करेगा, बल्कि भारत की 'सॉफ्ट पावर' को भी मजबूती देगा।