नांदेड: 'बिग कैट' के हमले में 2 घायल, नायगांव में दहशत

महाराष्ट्र के नांदेड जिले के नायगांव तालुका में एक जंगली जानवर (संभवतः तेंदुआ) के हमले में दो लोग घायल हो गए हैं। इस घटना के बाद से ग्रामीण इलाकों में दहशत का माहौल है। वन विभाग ने पंजों के निशान की जांच शुरू कर दी है और नागरिकों को सतर्क रहने की सलाह दी है। (Two people have been injured in an attack by a wild animal (likely a leopard) in Naigaon taluka of Nanded district, Maharashtra. Panic has gripped the rural areas following the incident. The Forest Department has begun investigating pugmarks and advised citizens to remain alert.)

Dec 1, 2025 - 19:24
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नांदेड: 'बिग कैट' के हमले में 2 घायल, नायगांव में दहशत
नांदेड के नायगांव में 'बिग कैट' का आतंक: खेत में काम कर रहे दो किसानों पर जानलेवा हमला, इलाके में दहशत का माहौल

छत्रपति संभाजीनगर/नांदेड: मराठवाड़ा क्षेत्र में मानव और वन्यजीवों के बीच संघर्ष की घटनाएं लगातार बढ़ती जा रही हैं। ताजा मामला महाराष्ट्र के नांदेड (Nanded) जिले से सामने आया है, जहां नायगांव (Naigaon) तालुका में एक "बिग कैट" (बड़ी बिल्ली प्रजाति का जानवर, संभवतः तेंदुआ) के हमले में दो लोग बुरी तरह घायल हो गए हैं। इस घटना ने आसपास के गांवों में भय और दहशत का माहौल पैदा कर दिया है, जिससे किसान अपने खेतों में जाने से कतरा रहे हैं।

यह घटना तब हुई जब किसान अपने दैनिक कार्यों के लिए खेतों में गए हुए थे। अचानक हुए इस हमले ने प्रशासन और वन विभाग को भी हाई अलर्ट पर ला दिया है।

घटना का विवरण: कौदरवाड़ी में खौफनाक मंजर

प्राप्त जानकारी के अनुसार, यह घटना नायगांव तालुका के कौदरवाड़ी (Kaudarwadi) गांव के पास हुई। सोमवार की सुबह, जब कुछ स्थानीय लोग और किसान खेतों में काम कर रहे थे, तभी झाड़ियों में छिपे एक जंगली जानवर ने उन पर हमला कर दिया। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, जानवर की गति इतनी तेज थी कि किसी को संभलने का मौका नहीं मिला।

हमले में दो लोग घायल हुए हैं, जिनके शरीर पर खरोंच और दांतों के निशान पाए गए हैं। घायलों को तुरंत स्थानीय अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उनकी हालत स्थिर बताई जा रही है। हालांकि, इस हमले ने ग्रामीणों के मन में गहरा मनोवैज्ञानिक डर बैठा दिया है।

तेंदुआ या कुछ और? वन विभाग की जांच जारी

घटना की सूचना मिलते ही वन विभाग (Forest Department) की एक टीम तत्काल मौके पर पहुंची। अधिकारियों ने घटनास्थल का मुआयना किया और जानवर के पंजों के निशान (Pugmarks) की तलाश शुरू कर दी है ताकि यह पुष्टि की जा सके कि हमलावर जानवर तेंदुआ है या कोई और।

वन विभाग के एक अधिकारी ने बताया, "प्रारंभिक जांच और ग्रामीणों के विवरण के आधार पर यह तेंदुआ (Leopard) लग रहा है, लेकिन हम पंजों के निशान के वैज्ञानिक विश्लेषण के बाद ही किसी निष्कर्ष पर पहुंचेंगे। हमने इलाके में गश्त बढ़ा दी है।"

मराठवाड़ा के इस हिस्से में गन्ने की खेती (Sugarcane farming) बड़े पैमाने पर होती है। गन्ने के घने खेत तेंदुओं के लिए छिपने और प्रजनन करने का एक आदर्श सुरक्षित स्थान बन गए हैं। अक्सर मादा तेंदुए अपने शावकों को सुरक्षित रखने के लिए गन्ने के खेतों का ही सहारा लेती हैं, जिससे इंसानों के साथ उनका आमना-सामना बढ़ जाता है।

किसानों और ग्रामीणों के लिए एडवाइजरी

इस घटना के बाद, स्थानीय प्रशासन और वन विभाग ने नायगांव और आसपास के गांवों के लिए एक सुरक्षा एडवाइजरी जारी की है। चूंकि रबी सीजन की फसलों के लिए किसानों को अक्सर रात में या सुबह जल्दी खेतों में जाना पड़ता है, इसलिए खतरा और भी बढ़ जाता है।

सुरक्षा के लिए सुझाव:

  1. समूह में जाएं: किसानों को सलाह दी गई है कि वे खेतों में अकेले न जाएं। हमेशा 3-4 लोगों के समूह में ही काम करें।

  2. शोर मचाएं: खेत में जाते समय मोबाइल पर तेज संगीत बजाएं, रेडियो साथ रखें या जोर-जोर से बातें करें। जंगली जानवर अक्सर शोर सुनकर दूर चले जाते हैं।

  3. रोशनी का प्रयोग: रात के समय या अंधेरे में काम करते समय तेज रोशनी वाली टॉर्च का उपयोग करें।

  4. झुककर काम करने से बचें: तेंदुए अक्सर झुककर काम कर रहे लोगों को छोटा जानवर समझकर शिकार बनाने की कोशिश करते हैं। इसलिए सतर्क रहें और समय-समय पर खड़े होकर आसपास का जायजा लेते रहें।

मराठवाड़ा में बढ़ता मानव-वन्यजीव संघर्ष

नांदेड की यह घटना कोई अकेली घटना नहीं है। पिछले कुछ महीनों में छत्रपति संभाजीनगर, बीड़ और धाराशिव जैसे जिलों में भी तेंदुओं की गतिविधियों में वृद्धि देखी गई है।

विशेषज्ञों का मानना है कि जंगलों के सिकुड़ने, प्राकृतिक शिकार की कमी और पानी की तलाश में जंगली जानवर अब मानव बस्तियों का रुख कर रहे हैं। इसके अलावा, गन्ने के खेतों का विस्तार भी तेंदुओं को रिहायशी इलाकों के करीब ला रहा है। यह स्थिति न केवल इंसानों के लिए बल्कि वन्यजीवों के लिए भी खतरनाक है, क्योंकि डर के कारण अक्सर भीड़ द्वारा जानवरों को मार दिया जाता है।

प्रशासन के कदम

वन विभाग ने स्थिति को नियंत्रित करने के लिए निम्नलिखित कदम उठाए हैं:

  • पिंजरे लगाना: संदिग्ध रास्तों और खेतों के पास पिंजरे (Trap cages) लगाने की योजना बनाई जा रही है ताकि जानवर को सुरक्षित पकड़ा जा सके।

  • नाइट पेट्रोलिंग: वन रक्षकों द्वारा रात के समय गश्त बढ़ाई जा रही है।

  • जन जागरूकता: गांवों में लाउडस्पीकर और बैठकों के माध्यम से लोगों को जागरूक किया जा रहा है कि वे अफवाहों पर ध्यान न दें और किसी भी संदिग्ध गतिविधि की सूचना तुरंत वन विभाग को दें।

निष्कर्ष

नायगांव में हुए इस हमले ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि विकास और पर्यावरण के बीच संतुलन कैसे बनाया जाए। जहां एक तरफ किसान अपनी आजीविका के लिए खेतों पर निर्भर हैं, वहीं दूसरी तरफ जंगली जानवर अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे हैं।

प्रशासन की तत्परता और ग्रामीणों की सतर्कता ही इस समय सबसे बड़ा बचाव है। नागरिकों से अपील है कि वे घबराएं नहीं, बल्कि सावधानी बरतें और प्रशासन का सहयोग करें ताकि किसी भी अप्रिय घटना को टाला जा सके।