पीएम मोदी और पुतिन की 'आतंकवाद' पर हुंकार: 'साथ मिलकर लड़ी लड़ाई'
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने नई दिल्ली में हुए 23वें भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन में आतंकवाद के खिलाफ 'कदम से कदम' मिलाकर लड़ने का संकल्प दोहराया। मोदी ने 'पहलगाम' से 'क्रोकस सिटी हॉल' तक के हमलों का जिक्र करते हुए 'जीरो टॉलरेंस' की बात कही।
नई दिल्ली: भारत और रूस की दोस्ती ने एक बार फिर दुनिया को अपनी मजबूती का अहसास कराया है। शुक्रवार को नई दिल्ली में आयोजित 23वें भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन के दौरान, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने आतंकवाद (Terrorism) के मुद्दे पर एक सुर में आवाज उठाई। दोनों नेताओं ने इस बात पर जोर दिया कि भारत और रूस आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में हमेशा से "कदम से कदम" मिलाकर चलते रहे हैं और आगे भी चलते रहेंगे।
यह शिखर सम्मेलन विशेष रूप से महत्वपूर्ण था क्योंकि यह 2022 में यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद राष्ट्रपति पुतिन की पहली भारत यात्रा थी। हैदराबाद हाउस में हुई द्विपक्षीय वार्ता के बाद एक संयुक्त बयान में पीएम मोदी ने आतंकवाद को मानवता के लिए सबसे बड़ा खतरा बताया।
'पहलगाम' से 'क्रोकस सिटी हॉल' तक: एक जैसा दर्द
प्रधानमंत्री मोदी ने आतंकवाद की वैश्विक प्रकृति को रेखांकित करते हुए हालिया हमलों का जिक्र किया। उन्होंने कहा, "चाहे वह पहलगाम (जम्मू-कश्मीर) में हुआ आतंकी हमला हो या मास्को के क्रोकस सिटी हॉल (Crocus City Hall) में हुआ कायरतापूर्ण हमला, इन सभी कृत्यों की जड़ें एक ही हैं।"
मोदी ने कहा कि भारत और रूस पिछले 40 वर्षों से आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में एक-दूसरे के साथ खड़े हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि दोनों देश आतंकवाद के सभी रूपों और अभिव्यक्तियों के खिलाफ 'जीरो टॉलरेंस' (Zero Tolerance) की नीति का समर्थन करते हैं। रूस ने भी 'ऑपरेशन सिंदूर' (Operation Sindoor) के दौरान भारत के रुख का समर्थन किया था, जो आतंकवाद के खिलाफ भारत की निर्णायक कार्रवाई थी।
ऊर्जा, व्यापार और 'विजन 2030'
आतंकवाद के अलावा, शिखर सम्मेलन का मुख्य फोकस आर्थिक और ऊर्जा सहयोग पर रहा।
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ऊर्जा सुरक्षा: राष्ट्रपति पुतिन ने भारत को "ईंधन की निर्बाध आपूर्ति" (uninterrupted shipments of fuel) जारी रखने का आश्वासन दिया। उन्होंने कहा कि रूस भारत की ऊर्जा जरूरतों के लिए एक विश्वसनीय भागीदार बना रहेगा।
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विजन 2030: दोनों नेताओं ने आर्थिक सहयोग को बढ़ावा देने के लिए एक 'विजन 2030' दस्तावेज पर हस्ताक्षर किए। इसका लक्ष्य 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को $100 बिलियन तक पहुंचाना है।
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परमाणु ऊर्जा: पुतिन ने घोषणा की कि रूस कुडनकुलम में भारत का सबसे बड़ा परमाणु ऊर्जा संयंत्र (Nuclear Power Plant) बनाने के लिए एक प्रमुख परियोजना पर काम कर रहा है।
यूक्रेन युद्ध पर भारत का रुख
पीएम मोदी ने यूक्रेन संघर्ष पर भारत के शांतिपूर्ण रुख को दोहराया। उन्होंने कहा, "भारत तटस्थ नहीं है, भारत शांति के पक्ष में है।" उन्होंने पुतिन से कहा कि भारत किसी भी शांति पहल का समर्थन करने के लिए तैयार है। पुतिन ने भी मोदी के प्रयासों की सराहना की और कहा कि उन्होंने भारत को यूक्रेन की स्थिति से लगातार अवगत कराया है।
निष्कर्ष: एक अटूट दोस्ती
इस शिखर सम्मेलन ने साबित कर दिया है कि तमाम वैश्विक दबावों और भू-राजनीतिक चुनौतियों के बावजूद, भारत और रूस के संबंध "ध्रुव तारे की तरह अटल" हैं। आतंकवाद के खिलाफ साझा लड़ाई और आर्थिक विकास के लिए नई प्रतिबद्धताओं ने इस "विशेष और विशेषाधिकार प्राप्त रणनीतिक साझेदारी" को नई ऊंचाइयों पर पहुंचा दिया है।