भारत की सऊदी-पाक रक्षा समझौते पर प्रतिक्रिया: 'आपसी हितों का सम्मान हो'

सऊदी अरब और पाकिस्तान के बीच हुए रक्षा समझौते पर भारत ने अपनी प्रतिक्रिया दी है। भारत ने रियाद के साथ अपनी 'व्यापक रणनीतिक साझेदारी' पर जोर दिया और उम्मीद जताई कि यह समझौता आपसी हितों और संवेदनशीलता का सम्मान करेगा।

Sep 19, 2025 - 20:33
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भारत की सऊदी-पाक रक्षा समझौते पर प्रतिक्रिया: 'आपसी हितों का सम्मान हो'
सऊदी-पाक रक्षा समझौते पर भारत की सतर्क प्रतिक्रिया, 'आपसी हितों और संवेदनशीलता' पर जोर

सऊदी अरब और पाकिस्तान के बीच हाल ही में हुए रणनीतिक आपसी रक्षा समझौते (Strategic Mutual Defense Agreement) पर भारत ने एक संतुलित और सतर्क प्रतिक्रिया दी है। हालांकि, भारत ने सीधे तौर पर समझौते की आलोचना नहीं की, लेकिन विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने रियाद के साथ भारत की अपनी "व्यापक रणनीतिक साझेदारी" पर जोर दिया और उम्मीद जताई कि यह समझौता "आपसी हितों और संवेदनशीलता" का सम्मान करेगा।

जायसवाल का यह बयान महत्वपूर्ण है क्योंकि यह दिखाता है कि भारत सऊदी अरब के साथ अपने संबंधों को कितना महत्व देता है। पिछले कुछ वर्षों में, भारत और सऊदी अरब के बीच संबंध काफी मजबूत हुए हैं, जिसमें रक्षा, व्यापार और ऊर्जा क्षेत्र में सहयोग बढ़ा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रियाद यात्राओं ने दोनों देशों के बीच संबंधों को एक नई दिशा दी है। सऊदी अरब और पाकिस्तान के बीच हुए इस समझौते ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं, खासकर मध्य पूर्व में बढ़ते तनाव के बीच। सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या इस समझौते से सऊदी अरब को पाकिस्तान की परमाणु क्षमताओं तक पहुंच मिल सकती है। हालांकि, पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा मुहम्मद आसिफ ने कहा है कि "परमाणु हथियार एजेंडे पर नहीं हैं," लेकिन सऊदी अधिकारियों ने समझौते को "सभी सैन्य साधनों" को कवर करने वाला बताया है।

भारत की चिंताएं स्वाभाविक हैं, क्योंकि पाकिस्तान का परमाणु कार्यक्रम एक प्रमुख सुरक्षा जोखिम है। भारत ने हमेशा इस मुद्दे पर अपनी चिंता व्यक्त की है। भारत की प्रतिक्रिया यह भी दर्शाती है कि वह इस क्षेत्र में किसी भी नए भू-राजनीतिक समीकरण पर बारीकी से नजर रखे हुए है।

यह घटनाक्रम भारत की जटिल विदेश नीति को दर्शाता है, जहां उसे अपने पुराने साझेदारों (सऊदी अरब) के साथ मजबूत संबंध बनाए रखते हुए, अपने रणनीतिक प्रतिद्वंद्वी (पाकिस्तान) के साथ उनके संबंधों का भी ध्यान रखना होता है। भारत की प्रतिक्रिया 'एक-दूसरे के हितों का सम्मान' करने पर केंद्रित है, जो यह संदेश देता है कि भारत अपने साझेदारों से भी यही उम्मीद करता है।