मुंबई: VVIP क्षेत्र कोलाबा में पार्किंग और फेरीवालों का आतंक, नागरिक परेशान

मुंबई का कोलाबा और नरीमन पॉइंट क्षेत्र, जहां राज्य और नागरिक मुख्यालय (Mantralaya & BMC HQ) स्थित हैं, गंभीर ट्रैफिक जाम, पार्किंग की कमी और अवैध फेरीवालों की समस्या से जूझ रहा है। जानिए कैसे VVIP मूवमेंट और अनियंत्रित भीड़ ने स्थानीय निवासियों का जीना मुहाल कर दिया है।

Nov 25, 2025 - 19:29
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मुंबई: VVIP क्षेत्र कोलाबा में पार्किंग और फेरीवालों का आतंक, नागरिक परेशान
लेख: वीवीआईपी क्षेत्र का स्याह सच: कोलाबा और नरीमन पॉइंट में पार्किंग और फेरीवालों के आतंक से लोग हताश

मुंबई: कल्पना कीजिए एक ऐसे क्षेत्र की जहां राज्य का मंत्रालय हो, बीएमसी का मुख्यालय हो और शहर के सबसे प्रतिष्ठित स्थल मौजूद हों। कायदे से वहां व्यवस्था चाक-चौबंद होनी चाहिए। लेकिन, दक्षिण मुंबई का ए-वार्ड (A-Ward), जिसमें कोलाबा, नरीमन पॉइंट और चर्चगेट जैसे इलाके आते हैं, एक अलग ही कहानी बयां कर रहा है।

यहाँ के स्थानीय निवासी प्रतिदिन वीवीआईपी मूवमेंट के कारण लगने वाले जाम, पार्किंग की जगह के लिए जद्दोजहद और अवैध फेरीवालों के बढ़ते अतिक्रमण से जूझ रहे हैं।

वीवीआईपी मूवमेंट: सुविधा या सिरदर्द?

कोलाबा के निवासी सुभाष मोटवानी कहते हैं, "सिद्धांत रूप में, वीआईपी क्षेत्र होने के कारण यहाँ सब कुछ सुव्यवस्थित होना चाहिए। लेकिन हकीकत यह है कि आधिकारिक वाहनों का लगातार आवागमन ही ट्रैफिक जाम का मुख्य कारण बन गया है।"

  • होटलों और कार्यक्रमों का प्रभाव: क्षेत्र में कई सितारा होटल हैं। जब भी यहाँ कोई बड़ा आयोजन होता है या कोई वीआईपी आता है, तो हेनरी रोड और बोमन कावासजी रोड जैसी जगहों पर चालकों (Chauffeurs) की गाड़ियां कतार में खड़ी हो जाती हैं।

  • निवासियों की अनदेखी: सुरक्षा कारणों और प्रोटोकॉल के चलते स्थानीय निवासियों के वाहनों को दूसरी प्राथमिकता दी जाती है, जिससे उन्हें अपने ही घर पहुंचने में घंटों लग जाते हैं।

फेरीवालों का आतंक (Hawker Menace)

कोलाबा कॉज़वे, जो पर्यटकों के बीच खरीदारी के लिए मशहूर है, अब पैदल चलने वालों के लिए एक चुनौती बन गया है। सीएसएमटी (CSMT) और चर्चगेट स्टेशनों के बाहर भी यही हाल है।

स्थानीय पूर्व पार्षद हर्षिता नार्वेकर कहती हैं, "हम फेरीवालों की आजीविका के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन प्रशासन को अवैध और अनियंत्रित अतिक्रमण रोकना होगा। कार्रवाई होती है, लेकिन फेरीवाले तुरंत वापस आ जाते हैं क्योंकि उन्हें कानून का डर नहीं है।"

पार्किंग: एक अनसुलझी पहेली

दक्षिण मुंबई की अधिकांश इमारतें 100 साल से अधिक पुरानी हैं। उस समय पार्किंग की जरूरतों को ध्यान में नहीं रखा गया था। आज, हर परिवार के पास एक या अधिक कारें हैं, लेकिन खड़ी करने की जगह नहीं है।

  • सड़क किनारे पार्किंग: मजबूरी में लोग सड़कों पर गाड़ियां खड़ी करते हैं, जिससे ट्रैफिक और धीमा हो जाता है।

  • जेटी का विरोध: रेडियो क्लब के पास प्रस्तावित जेटी (Jetty) को लेकर भी निवासियों में चिंता है कि इससे ट्रैफिक और भीड़ बढ़ेगी, हालांकि अदालत ने इसे हरी झंडी दे दी है।

राजनीतिक समीकरण और भविष्य

राजनीतिक रूप से यह क्षेत्र स्थिरता का गवाह रहा है। भाजपा के राहुल नार्वेकर (विधानसभा अध्यक्ष) यहाँ से दो बार विधायक रह चुके हैं, जबकि शिवसेना (UBT) के अरविंद सावंत तीन बार सांसद चुने गए हैं। नार्वेकर परिवार (मकरंद और हर्षिता) का स्थानीय निकाय में भी दबदबा रहा है।

लेकिन आगामी चुनावों में वार्ड आरक्षण (Ward Reservation) बदलने से समीकरण बिगड़ सकते हैं। मकरंद नार्वेकर की सीट महिला उम्मीदवार के लिए और हर्षिता की सीट ओबीसी के लिए आरक्षित हो गई है, जिससे उन्हें अपनी सीटें बदलनी पड़ सकती हैं।

पूर्व कांग्रेस पार्षद पूरन दोषी ने बैकबे बस डिपो के पास झुग्गियों (Slums) के बढ़ते अतिक्रमण को भी एक बड़ा मुद्दा बताया है।

निष्कर्ष

मुंबई का ए-वार्ड शहर का चेहरा है, लेकिन इसकी चमक के पीछे ट्रैफिक और अव्यवस्था का गहरा अंधेरा है। जब तक प्रशासन वीवीआईपी संस्कृति और आम नागरिकों की जरूरतों के बीच संतुलन नहीं बनाता और अवैध गतिविधियों पर सख्ती नहीं करता, तब तक 'पॉश' कहे जाने वाले इस इलाके की समस्याएं कम नहीं होंगी।