लातूर में शिवसेना (UBT) को झटका: रेनापुर चुनाव से उम्मीदवारों ने वापस लिए नाम, पार्टी पर लगाए गंभीर आरोप

लातूर जिले की रेनापुर नगर पंचायत चुनाव में उद्धव ठाकरे गुट (Shiv Sena UBT) को शर्मनाक स्थिति का सामना करना पड़ा है। पार्टी के उम्मीदवारों ने नेतृत्व से सहयोग न मिलने का आरोप लगाते हुए सामूहिक रूप से अपने नामांकन वापस ले लिए हैं। जानिए क्या है पूरा मामला और इसके राजनीतिक मायने।

Nov 25, 2025 - 19:09
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लातूर में शिवसेना (UBT) को झटका: रेनापुर चुनाव से उम्मीदवारों ने वापस लिए नाम, पार्टी पर लगाए गंभीर आरोप
लेख: रेनापुर नगर पंचायत चुनाव: शिवसेना (UBT) के उम्मीदवारों का 'सरेंडर', पार्टी नेतृत्व पर सहयोग न देने का आरोप लगाकर मैदान छोड़ा

लातूर/छत्रपति संभाजीनगर: महाराष्ट्र की राजनीति में महाविकास अघाड़ी (MVA) और महायुति के बीच चल रहे सत्ता संघर्ष के बीच, लातूर जिले से उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना (UBT) के लिए एक बेहद असहज और चिंताजनक खबर सामने आई है। रेनापुर नगर पंचायत चुनाव (Renapur Nagar Panchayat Polls) में पार्टी को अपने ही उम्मीदवारों की नाराजगी का सामना करना पड़ा है। पार्टी द्वारा उचित समर्थन और संसाधन न मिलने का आरोप लगाते हुए शिवसेना (UBT) के आधिकारिक उम्मीदवारों ने ऐन मौके पर चुनाव से अपने नाम वापस ले लिए हैं।

इस घटना ने न केवल स्थानीय स्तर पर पार्टी के संगठन की पोल खोल दी है, बल्कि यह आगामी विधानसभा और स्थानीय निकाय चुनावों के लिए भी एक खतरे की घंटी है।

क्या हुआ नामांकन वापसी के दिन?

रेनापुर नगर पंचायत के चुनाव के लिए नामांकन वापसी का आखिरी दिन एक बड़े राजनीतिक ड्रामे का गवाह बना। उम्मीद की जा रही थी कि शिवसेना (UBT) भारतीय जनता पार्टी (BJP) और अन्य विरोधियों को कड़ी टक्कर देगी। लेकिन, पासा उल्टा पड़ गया।

पार्टी के आधिकारिक उम्मीदवारों ने आरोप लगाया कि उन्हें चुनाव लड़ने के लिए पार्टी के वरिष्ठ नेताओं और जिला नेतृत्व से कोई मदद नहीं मिल रही थी। हताशा में, उन्होंने रिटर्निंग ऑफिसर के पास जाकर अपने नामांकन पत्र वापस ले लिए। इस कदम से रेनापुर की कई सीटों पर अब शिवसेना (UBT) का कोई उम्मीदवार ही नहीं बचा है, जिससे विपक्षी दलों, विशेषकर भाजपा को सीधा लाभ (Walkover) मिलने की संभावना बढ़ गई है।

उम्मीदवारों का दर्द: 'हथियार डालना मजबूरी थी'

चुनाव से हटने वाले उम्मीदवारों ने मीडिया से बातचीत में अपना दर्द बयां किया। उनका कहना था कि चुनाव लड़ने के लिए केवल 'टिकट' (AB Form) मिलना काफी नहीं होता। जमीनी स्तर पर प्रचार, धन (Funds), और वरिष्ठ नेताओं की उपस्थिति बेहद जरूरी होती है।

एक उम्मीदवार ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, "हम मैदान में उतरने को तैयार थे, लेकिन हमें अकेला छोड़ दिया गया। न तो चुनाव प्रचार के लिए कोई सामग्री मिली, न ही जिला स्तर के नेताओं ने हमारे लिए कोई रणनीति बनाई। विरोधी पूरी ताकत और धन-बल के साथ चुनाव लड़ रहे हैं, ऐसे में बिना किसी 'रसद' के हम कब तक टिकते? इसलिए हमने इज्जत बचाने के लिए पीछे हटना ही ठीक समझा।"

जिला नेतृत्व पर सवालिया निशान

इस सामूहिक इस्तीफे ने लातूर में शिवसेना (UBT) के जिला नेतृत्व की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। सवाल उठ रहे हैं कि:

  1. क्या पार्टी आलाकमान (मातोश्री) को जमीनी हकीकत का पता नहीं था?

  2. जिला प्रमुख और संपर्क प्रमुख चुनाव के दौरान क्या कर रहे थे?

  3. क्या यह पार्टी के भीतर किसी गुटबाजी का नतीजा है?

रेनापुर को भाजपा का गढ़ माना जाता है, और यहाँ मुकाबला करने के लिए शिवसेना को एक मजबूत रणनीति की जरूरत थी। लेकिन, उम्मीदवारों का यह कदम बताता है कि संगठन के भीतर समन्वय (Coordination) की भारी कमी है।

विरोधियों की बल्ले-बल्ले

शिवसेना (UBT) के उम्मीदवारों के पीछे हटने से सबसे ज्यादा खुशी भाजपा और महायुति के खेमे में है। जिन सीटों पर कड़े मुकाबले के आसार थे, वहां अब रास्ता साफ हो गया है। स्थानीय भाजपा नेताओं ने इसे "शिवसेना के अंत की शुरुआत" करार दिया है और कहा है कि जनता का मूड भांपकर ही उम्मीदवार भाग खड़े हुए हैं।

पार्टी की प्रतिक्रिया

अभी तक मातोश्री या मुंबई स्थित पार्टी मुख्यालय से इस पर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। हालांकि, सूत्रों का कहना है कि इस घटना को गंभीरता से लिया गया है और जिला पदाधिकारियों से रिपोर्ट तलब की जा सकती है। स्थानीय शिवसैनिकों में इस घटना को लेकर भारी रोष और निराशा है।