संभाजीनगर निकाय चुनाव: वोटर लिस्ट में 'हजारों' गलतियों पर शिवसेना (UBT) का हल्ला बोल
छत्रपति संभाजीनगर में आगामी नगर निगम चुनावों के लिए तैयार की गई मसौदा मतदाता सूची में भारी अनियमितताओं का आरोप लगाते हुए शिवसेना (UBT) ने जिला कलेक्टर के पास विरोध दर्ज कराया है। पार्टी का दावा है कि हजारों मतदाताओं के नाम बिना कारण दूसरे वार्डों में शिफ्ट कर दिए गए हैं और मृत लोगों के नाम अभी भी सूची में शामिल हैं। जानिए क्या है पूरा मामला और प्रशासन की प्रतिक्रिया।
छत्रपति संभाजीनगर: महाराष्ट्र में आगामी स्थानीय निकाय चुनावों की सरगर्मियां तेज हो गई हैं, लेकिन इसके साथ ही चुनावी प्रक्रिया की निष्पक्षता पर भी सवाल उठने लगे हैं। छत्रपति संभाजीनगर (Chhatrapati Sambhajinagar) में शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) ने नगर निगम चुनावों के लिए तैयार की गई मसौदा मतदाता सूची (Draft Voter List) में बड़े पैमाने पर अनियमितताओं और त्रुटियों का आरोप लगाया है। पार्टी के शीर्ष नेताओं ने जिला कलेक्टर से मुलाकात कर इसे तत्काल सुधारने की मांग की है और चेतावनी दी है कि यदि इन गलतियों को ठीक नहीं किया गया, तो यह लोकतांत्रिक प्रक्रिया के लिए घातक सिद्ध होगा।
क्या है पूरा मामला?
शिवसेना (UBT) के एक प्रतिनिधिमंडल ने, जिसमें विधान परिषद के पूर्व नेता प्रतिपक्ष अंबादास दानवे (Ambadas Danve) और पूर्व सांसद चंद्रकांत खैरे (Chandrakant Khaire) शामिल थे, जिला कलेक्टर दिलीप स्वामी को एक विस्तृत ज्ञापन सौंपा। इस ज्ञापन में आरोप लगाया गया है कि प्रशासन ने मतदाता सूची तैयार करते समय घोर लापरवाही बरती है।
पार्टी का दावा है कि हजारों मतदाताओं के नाम उनके मूल वार्डों से हटाकर दूसरे वार्डों में शिफ्ट कर दिए गए हैं, और वह भी बिना किसी उचित कारण या पूर्व सूचना के। यह न केवल मतदाताओं के लिए भ्रम की स्थिति पैदा कर रहा है, बल्कि चुनाव की पारदर्शिता पर भी गंभीर प्रश्नचिह्न लगाता है।
प्रमुख आरोप और अनियमितताएं
शिवसेना (UBT) द्वारा सौंपे गए ज्ञापन में कई गंभीर मुद्दों को उजागर किया गया है:
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मतदाताओं की 'मास शिफ्टिंग': सबसे बड़ा आरोप यह है कि हजारों मतदाताओं को एक वार्ड से दूसरे वार्ड में स्थानांतरित कर दिया गया है। स्थानीय नेताओं का कहना है कि यह बदलाव जानबूझकर किया गया लगता है ताकि चुनावी समीकरणों को प्रभावित किया जा सके।
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मृत लोगों के नाम शामिल: 2024 के विधानसभा चुनावों के दौरान जिन मतदाताओं को मृत घोषित कर दिया गया था और जिनके नाम हटाने के लिए चिह्नित किए गए थे, उनके नाम अभी भी इस नई ड्राफ्ट लिस्ट में मौजूद हैं। यह प्रशासन की डेटा अपडेट करने की प्रक्रिया पर सवाल खड़ा करता है।
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फर्जी और डुप्लिकेट नाम: कई वार्डों में एक ही मतदाता का नाम दो बार या उससे अधिक बार दिखाई दे रहा है। इसे 'डुप्लिकेट वोटर्स' की समस्या कहा जा रहा है, जो निष्पक्ष मतदान में बाधा बन सकता है।
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पते और नाम में त्रुटियां: कई प्रविष्टियों में मतदाताओं के नाम की वर्तनी गलत है, या उनके पते और वार्ड नंबर मेल नहीं खा रहे हैं। इससे मतदान के दिन पात्र मतदाताओं को अपने मताधिकार से वंचित होना पड़ सकता है।
'दफ्तर में बैठकर बनाई गई लिस्ट'
शिवसेना (UBT) के नेताओं ने प्रशासन की कार्यप्रणाली पर तीखा हमला बोला है। उनका कहना है कि चुनाव आयोग के दिशानिर्देशों के अनुसार, मतदाता सूची तैयार करने से पहले बूथ लेवल अधिकारियों (BLOs) द्वारा घर-घर जाकर सत्यापन (Door-to-Door Verification) करना अनिवार्य है।
अंबादास दानवे ने आरोप लगाया, "इस सूची को देखकर साफ लगता है कि इसे जमीनी स्तर पर जाकर नहीं, बल्कि दफ्तरों में एसी कमरों में बैठकर तैयार किया गया है। यह प्रशासनिक लापरवाही का चरम है।"
पार्टी का तर्क है कि इतनी बड़ी संख्या में त्रुटियां मानवीय भूल नहीं हो सकतीं, बल्कि यह एक सिस्टमैटिक विफलता (Systematic Failure) है। उन्होंने इसे चुनाव मशीनरी की विश्वसनीयता पर एक धब्बा बताया है।
प्रशासन की प्रतिक्रिया
जिला कलेक्टर दिलीप स्वामी ने प्रतिनिधिमंडल की बातों को गंभीरता से सुना और उन्हें आश्वासन दिया कि प्रशासन इन सभी शिकायतों की आंतरिक जांच करेगा। उन्होंने कहा कि मसौदा सूची पर प्राप्त आपत्तियों की समीक्षा की जाएगी और यदि त्रुटियां पाई जाती हैं, तो उन्हें अंतिम सूची के प्रकाशन से पहले सुधार लिया जाएगा।
राजनीतिक मायने और प्रभाव
छत्रपति संभाजीनगर नगर निगम चुनाव सभी प्रमुख राजनीतिक दलों, विशेषकर शिवसेना (UBT) और भाजपा-शिंदे गुट के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न है। ऐसे में, मतदाता सूची में गड़बड़ी का मुद्दा केवल एक प्रशासनिक चूक नहीं, बल्कि एक बड़ा राजनीतिक मुद्दा बन गया है।
विपक्षी दलों का मानना है कि यदि मतदाता सूची दोषपूर्ण रहती है, तो इसका सीधा फायदा सत्ताधारी गठबंधन को मिल सकता है। यही कारण है कि शिवसेना (UBT) इस मुद्दे को लेकर इतनी आक्रामक है। वे चाहते हैं कि चुनाव से पहले एक 'क्लीन' और त्रुटिहीन मतदाता सूची तैयार हो ताकि जनता का विश्वास चुनाव प्रक्रिया में बना रहे।
आगे की राह
अब सबकी निगाहें जिला प्रशासन पर टिकी हैं कि वे इन शिकायतों पर कितनी तेजी से कार्रवाई करते हैं। क्या चुनाव आयोग एक विशेष अभियान चलाकर इन हजारों त्रुटियों को ठीक करेगा? या फिर यह मुद्दा आगामी चुनावों में कानूनी लड़ाई और राजनीतिक विरोध का केंद्र बनेगा?
नागरिकों के लिए भी यह एक सतर्क रहने का समय है। उन्हें सलाह दी जाती है कि वे ड्राफ्ट लिस्ट में अपना नाम चेक करें और यदि कोई गलती हो, तो तुरंत सुधार के लिए आवेदन करें। लोकतंत्र की मजबूती के लिए एक शुद्ध मतदाता सूची का होना पहली और सबसे अनिवार्य शर्त है।