संसद शीतकालीन सत्र 2025: पहले दिन ही हंगामा, 'SIR' और अडाणी मुद्दे पर दोनों सदन स्थगित
संसद के शीतकालीन सत्र 2025 का पहला दिन हंगामेदार रहा। विपक्ष ने मतदाता सूची (SIR) और अडाणी मुद्दे पर जोरदार प्रदर्शन किया, जिसके चलते लोकसभा और राज्यसभा को स्थगित करना पड़ा। पीएम मोदी ने विपक्ष को 'ड्रामे' की जगह 'डिलीवरी' पर ध्यान देने की नसीहत दी। (Parliament Winter Session 2025 Day 1 witnessed heavy uproar. Opposition protests over Electoral Rolls (SIR) and Adani issue led to the adjournment of both Lok Sabha and Rajya Sabha. PM Modi advised the opposition to focus on 'delivery' instead of 'drama'.)
नई दिल्ली: संसद के शीतकालीन सत्र (Winter Session 2025) का आगाज सोमवार, 1 दिसंबर को जोरदार हंगामे के साथ हुआ। जैसा कि उम्मीद की जा रही थी, विपक्ष ने पहले ही दिन सरकार को घेरने की पूरी तैयारी कर रखी थी। मतदाता सूची के विशेष गहन संशोधन (Special Intensive Revision - SIR), अडाणी समूह पर लगे आरोपों और संभल हिंसा जैसे मुद्दों पर विपक्ष के भारी विरोध के चलते लोकसभा और राज्यसभा की कार्यवाही को दिन भर के लिए स्थगित करना पड़ा।
सत्र की शुरुआत से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विपक्ष को सकारात्मक चर्चा की सलाह दी थी, लेकिन सदन के भीतर का नजारा इसके ठीक उलट रहा।
पीएम मोदी का संदेश: "ड्रामा नहीं, डिलीवरी चाहिए"
सत्र शुरू होने से पहले मीडिया को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विपक्ष को कड़ा संदेश दिया। उन्होंने हालिया विधानसभा चुनावों में मिली हार की हताशा को संसद में न लाने की अपील की। पीएम मोदी ने कहा, "संसद का समय देश के लिए है। यहां ड्रामा नहीं, डिलीवरी होनी चाहिए। नारे नहीं, नीति चलनी चाहिए।"
उन्होंने विपक्ष से आग्रह किया कि वे सदन को अपनी खीज निकालने का मंच न बनाएं, बल्कि स्वस्थ बहस का हिस्सा बनें। पीएम ने यह भी कहा कि जिन दलों को जनता ने नकारा है, वे संसद की कार्यवाही को बाधित करके अपना राजनीतिक एजेंडा चलाने की कोशिश कर रहे हैं।
राज्यसभा में नए सभापति का स्वागत
इस सत्र का एक अहम पहलू राज्यसभा के नए सभापति और उपराष्ट्रपति सी.पी. राधाकृष्णन (C.P. Radhakrishnan) का पदभार संभालना था। यह उनका पहला सत्र था। प्रधानमंत्री मोदी ने उनका गर्मजोशी से स्वागत किया और उन्हें "एक साधारण किसान परिवार से आया हुआ समर्पित समाज सेवक" बताया। पीएम ने उम्मीद जताई कि उनके नेतृत्व में उच्च सदन की गरिमा और बढ़ेगी।
हालांकि, स्वागत भाषणों के खत्म होते ही सदन में तनाव का माहौल बन गया।
विपक्ष का हल्ला बोल: 'SIR' बना सबसे बड़ा मुद्दा
इस बार विपक्ष के तरकश में सबसे नया और बड़ा मुद्दा 'एसआईआर' (SIR - Special Intensive Revision) यानी मतदाता सूची का विशेष गहन संशोधन था। कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों का आरोप है कि चुनाव आयोग द्वारा चलाए जा रहे इस अभियान में बड़े पैमाने पर गड़बड़ियां हो रही हैं और कई जगहों पर विशेष समुदाय या वर्ग के मतदाताओं के नाम हटाए जा रहे हैं।
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लोकसभा में: जैसे ही सदन की कार्यवाही शुरू हुई, विपक्षी सांसद 'SIR' पर चर्चा की मांग करते हुए वेल (Well) में आ गए। नारेबाजी इतनी तेज थी कि प्रश्नकाल (Question Hour) सुचारू रूप से नहीं चल सका।
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राज्यसभा में: विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने नियम 267 के तहत अन्य सभी कार्यों को रोककर 'SIR' और अडाणी मुद्दे पर चर्चा की मांग की। सभापति ने जब इसे अस्वीकार कर दिया, तो विपक्ष ने भारी हंगामा शुरू कर दिया।
अडाणी और संभल हिंसा पर भी तकरार
मतदाता सूची के अलावा, विपक्ष ने अडाणी समूह पर लगे रिश्वतखोरी के अमेरिकी आरोपों और उत्तर प्रदेश के संभल में हुई हिंसा को लेकर भी सरकार को घेरने की कोशिश की। कांग्रेस ने अडाणी मामले की संयुक्त संसदीय समिति (JPC) से जांच की अपनी पुरानी मांग को फिर से दोहराया। संभल में जामा मस्जिद सर्वे को लेकर हुए बवाल पर भी विपक्ष ने सरकार से जवाब मांगा।
विधायी कार्य: मणिपुर GST बिल पेश
शोर-शराबे के बीच, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकसभा में कुछ महत्वपूर्ण विधेयक पेश किए। इनमें सबसे प्रमुख मणिपुर माल और सेवा कर (दूसरा संशोधन) विधेयक, 2025 (Manipur Goods and Services Tax (Second Amendment) Bill, 2025) था। इस बिल का उद्देश्य मणिपुर में जीएसटी कानूनों को अद्यतन करना है। हालांकि, बिना किसी सार्थक चर्चा के इसे पेश किया गया और हंगामे के कारण कार्यवाही आगे नहीं बढ़ सकी।
आगे क्या?
पहला दिन पूरी तरह से हंगामे की भेंट चढ़ गया। सरकार के पास इस सत्र के लिए वक्फ संशोधन बिल (Waqf Amendment Bill) और 'वन नेशन, वन इलेक्शन' जैसे कई महत्वपूर्ण एजेंडे हैं, लेकिन जिस तरह से विपक्ष ने तेवर दिखाए हैं, उससे लगता है कि आने वाले दिन भी आसान नहीं होंगे।
सरकार जहां सुधारों और विकास के एजेंडे को आगे बढ़ाना चाहती है, वहीं विपक्ष चुनावी प्रक्रिया की निष्पक्षता और कॉर्पोरेट भ्रष्टाचार को लेकर आर-पार की लड़ाई के मूड में है। अब देखना यह होगा कि क्या मंगलवार को दोनों पक्ष किसी सहमति पर पहुंच पाते हैं या संसद का यह सत्र भी शोरगुल में ही बीतेगा।
निष्कर्ष: लोकतंत्र के मंदिर में पहले दिन की तस्वीर चिंताजनक रही। जनता के करोड़ों रुपये खर्च करके चलने वाली संसद में मुद्दों पर बहस की जगह नारेबाजी ने ले ली। जहां पीएम मोदी 'विकसित भारत' के लिए संसद के उपयोग की बात कर रहे हैं, वहीं विपक्ष 'लोकतंत्र बचाने' के नाम पर सड़क से संसद तक संघर्ष का दावा कर रहा है।
Parliament Winter Session 2025: Rajya Sabha Adjourned AGAIN Amid Opposition Chants On Adani, Sambhal