दिल्ली-NCR की हवा में 8 साल का सबसे बड़ा सुधार: 2025 में प्रदूषण के स्तर में भारी गिरावट
दिल्ली-एनसीआर के लिए राहत की खबर है। 2025 में जनवरी से नवंबर के बीच वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) पिछले 8 सालों में (2020 को छोड़कर) सबसे बेहतर दर्ज किया गया है। इस साल केवल 3 दिन 'गंभीर' श्रेणी में रहे। जानिए कैसे कम हुआ प्रदूषण और क्या रहे इसके मुख्य कारण।
नई दिल्ली: देश की राजधानी दिल्ली और उसके आसपास के क्षेत्रों (NCR) के लिए पर्यावरण के मोर्चे पर एक बड़ी और राहत देने वाली खबर सामने आई है। वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार, साल 2025 में जनवरी से नवंबर तक की अवधि में दिल्ली-एनसीआर की वायु गुणवत्ता (Air Quality) में पिछले 8 वर्षों की तुलना में उल्लेखनीय सुधार देखा गया है।
कोविड-19 लॉकडाउन वाले वर्ष 2020 को अगर छोड़ दिया जाए, तो 2018 के बाद से यह पहला मौका है जब दिल्ली की हवा इतनी साफ रही है। यह रिपोर्ट न केवल नीति निर्माताओं के लिए बल्कि आम जनता के लिए भी आशा की एक किरण है, जो हर साल जहरीली हवा और स्मॉग (Smog) का सामना करने को मजबूर होती है।
आंकड़ों की जुबानी: कैसा रहा सुधार?
आधिकारिक आंकड़ों पर नजर डालें तो स्थिति में स्पष्ट बदलाव दिखाई देता है। 2025 में जनवरी से नवंबर के बीच दिल्ली का औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 187 दर्ज किया गया। यह पिछले वर्षों के मुकाबले काफी बेहतर है।
तुलनात्मक अध्ययन के लिए पिछले कुछ वर्षों के आंकड़े इस प्रकार हैं:
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2025: 187
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2024: 201
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2023: 190
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2022: 199
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2021: 197
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2019: 203
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2018: 213
इन आंकड़ों से साफ है कि प्रदूषण के स्तर में लगातार गिरावट आ रही है। 2018 में जहां औसत एक्यूआई 200 के पार था, वहीं अब यह 190 से नीचे आ गया है, जो वायु गुणवत्ता सुधार की दिशा में किए गए प्रयासों की सफलता को दर्शाता है।
'गंभीर' श्रेणी वाले दिनों में भारी कमी
सबसे महत्वपूर्ण सुधार उन दिनों की संख्या में देखा गया है जब प्रदूषण का स्तर खतरनाक या 'गंभीर' (Severe - AQI 400 से ऊपर) श्रेणी में पहुंच जाता था। इस साल (2025) जनवरी से नवंबर के दौरान केवल 3 दिन ऐसे रहे जब AQI 400 के पार गया।
इसके विपरीत, पिछले वर्षों में यह संख्या काफी अधिक थी:
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2024: 11 दिन
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2023: 12 दिन
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2021: 17 दिन
इससे भी बड़ी राहत की बात यह है कि 2025 में अब तक एक भी दिन ऐसा नहीं रहा जब प्रदूषण 'गंभीर प्लस' (Severe+ या AQI > 450) श्रेणी में पहुंचा हो। यह बताता है कि प्रदूषण के चरम स्तर (Peak Pollution Levels) को नियंत्रित करने में सफलता मिली है।
प्रदूषक तत्वों (PM2.5 और PM10) में गिरावट
हवा में मौजूद सूक्ष्म कणों, जो स्वास्थ्य के लिए सबसे ज्यादा हानिकारक होते हैं, की मात्रा में भी कमी आई है।
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PM2.5: इस साल पीएम 2.5 की औसत सांद्रता 85 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर (µg/m³) रही, जो 2018 के बाद से सबसे कम है। यह स्तर 2020 के लॉकडाउन वर्ष के समान ही है। तुलना के लिए, 2024 में यह 98 और 2018 में 103 µg/m³ थी।
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PM10: इसी तरह, पीएम 10 का औसत स्तर 183 µg/m³ दर्ज किया गया, जो 2024 के 205 और 2018 के 228 µg/m³ से काफी कम है।
सुधार के पीछे क्या हैं कारण?
विशेषज्ञों और अधिकारियों का मानना है कि यह सुधार रातों-रात नहीं हुआ है, बल्कि इसके पीछे कई कारक जिम्मेदार हैं:
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अनुकूल मौसम: इस वर्ष मौसम ने दिल्ली का साथ दिया है। विशेष रूप से बारिश और हवा की गति ने प्रदूषकों को जमा होने से रोका। हालांकि नवंबर का महीना पिछले 5 वर्षों में सबसे ठंडा रहा, लेकिन बीच-बीच में चली तेज हवाओं ने स्मॉग की परत को तोड़ने में मदद की।
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GRAP का सख्त कार्यान्वयन: ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (GRAP) के तहत प्रतिबंधों को समय रहते और सख्ती से लागू किया गया। CAQM ने इस बार निर्माण कार्यों, धूल नियंत्रण और वाहनों से होने वाले प्रदूषण पर पैनी नजर रखी।
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जागरूकता और तकनीक: पराली जलाने की घटनाओं में कमी लाने के लिए तकनीकी निगरानी और किसानों को जागरूक करने के प्रयासों ने भी असर दिखाया है। साथ ही, सड़कों पर पानी का छिड़काव और एंटी-स्मॉग गन का उपयोग बढ़ा है।
राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप और जमीनी हकीकत
हालांकि आंकड़े सुधार की ओर इशारा कर रहे हैं, लेकिन जमीनी हकीकत को लेकर राजनीतिक बहस भी जारी है। आम आदमी पार्टी (AAP) और भारतीय जनता पार्टी (BJP) के बीच प्रदूषण को लेकर आरोप-प्रत्यारोप का दौर चलता रहता है। हाल ही में कुछ विपक्षी नेताओं ने आरोप लगाया था कि आंकड़ों में हेरफेर किया जा रहा है, लेकिन केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) और CAQM के डेटा ने एक वैज्ञानिक और तथ्यात्मक तस्वीर पेश की है।
चुनौतियां अब भी बरकरार
भले ही औसत आंकड़ों में सुधार हुआ है, लेकिन सर्दी का मौसम (दिसंबर-जनवरी) अभी बाकी है, जो दिल्ली की हवा के लिए सबसे कठिन समय होता है। हालिया दिनों में, हवा की गति कम होने पर AQI फिर से 'बहुत खराब' श्रेणी में देखा गया है। इसलिए, प्रशासन और नागरिकों को अभी भी सतर्क रहने की आवश्यकता है।
निष्कर्ष
साल 2025 के आंकड़े यह साबित करते हैं कि यदि सही नीति, सख्त कार्यान्वयन और प्रकृति का साथ मिले, तो दिल्ली की हवा को सांस लेने लायक बनाया जा सकता है। 8 साल का यह सबसे बेहतरीन रिकॉर्ड एक मील का पत्थर है, लेकिन मंजिल अभी दूर है। प्रदूषण मुक्त दिल्ली के लिए प्रयासों की निरंतरता बेहद जरूरी है। यह सुधार हमें यह विश्वास दिलाता है कि हम सही दिशा में आगे बढ़ रहे हैं।