दिल्ली कार ब्लास्ट: ईडी की फरीदाबाद में छापेमारी, 'व्हाइट कॉलर' टेरर मॉड्यूल का पर्दाफाश
दिल्ली कार ब्लास्ट जांच में एक बड़ा मोड़ आया है। ईडी (ED) ने फरीदाबाद स्थित अल-फलाह विश्वविद्यालय और उसके प्रमोटरों के 25 ठिकानों पर छापेमारी की है। इस कार्रवाई में विश्वविद्यालय के एक पूर्व छात्र और कई डॉक्टरों के 'व्हाइट कॉलर' टेरर नेटवर्क में शामिल होने के संकेत मिले हैं। (A major turn in the Delhi car blast investigation. The ED has raided 25 locations linked to Al-Falah University in Faridabad and its promoters. The operation indicates the involvement of a former student and several doctors in a 'white-collar' terror network.)
दिल्ली के लाल किले के पास हुए भीषण कार ब्लास्ट की जांच अब फरीदाबाद तक पहुंच गई है। इस मामले में एक बड़ी कार्रवाई करते हुए, प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने मंगलवार सुबह फरीदाबाद स्थित अल-फलाह विश्वविद्यालय (Al-Falah University) और उसके ओखला स्थित कार्यालय सहित दिल्ली-एनसीआर के 25 ठिकानों पर एक साथ छापेमारी की। इस कार्रवाई ने एक कथित 'व्हाइट कॉलर' टेरर मॉड्यूल का पर्दाफाश किया है, जिसमें विश्वविद्यालय से जुड़े लोगों और चिकित्सा पेशेवरों की भूमिका संदिग्ध पाई गई है।
जांच एजेंसियों का ध्यान विश्वविद्यालय पर तब केंद्रित हुआ जब 10 नवंबर को हुए धमाके के मुख्य आरोपी, डॉ. उमर उन नबी, का संबंध इस संस्थान से निकला। डॉ. उमर विश्वविद्यालय का पूर्व छात्र बताया जा रहा है। इस खुलासे के बाद से ही विश्वविद्यालय और उसका प्रशासन जांच के दायरे में है। जांच में अब तक क्या मिला?
ईडी की शुरुआती जांच में कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। विश्वविद्यालय से जुड़ी नौ शेल कंपनियों (Shell Companies) का पता चला है, जो एक ही पते पर पंजीकृत थीं। इन कंपनियों में कोई वास्तविक कार्यालय या कर्मचारी नहीं मिले, लेकिन बड़े पैमाने पर वित्तीय लेनदेन का दावा किया गया था। जांचकर्ताओं ने पाया कि कई कंपनियों के लिए एक ही फोन नंबर और ईमेल आईडी का उपयोग किया जा रहा था, और निदेशकों के केवाईसी दस्तावेजों में भी गड़बड़ी थी। यह सब एक संगठित वित्तीय धोखाधड़ी और संभावित रूप से आतंकी फंडिंग (Terror Funding) की ओर इशारा करता है।
'व्हाइट कॉलर' टेरर नेटवर्क
इस मामले में सबसे चिंताजनक पहलू यह है कि आतंकी गतिविधियों में अब 'व्हाइट कॉलर' पेशेवरों, विशेष रूप से डॉक्टरों की संलिप्तता सामने आ रही है। जांच एजेंसियों का मानना है कि यह नेटवर्क केवल एक धमाके तक सीमित नहीं था, बल्कि इसके तार और भी गहरे जुड़े हो सकते हैं। छापेमारी के दौरान एक वाहन और भारी मात्रा में विस्फोटक सामग्री भी बरामद की गई है, जो एक बड़ी साजिश का संकेत देती है।
कुलपति पर कड़ा शिकंजा
दिल्ली पुलिस ने विश्वविद्यालय के चांसलर को भी समन जारी किया है। उनसे संस्थान के कामकाज में विसंगतियों और संदिग्ध व्यक्तियों की भूमिका के बारे में पूछताछ की जाएगी। इससे पहले, चांसलर के भाई को भी हैदराबाद से गिरफ्तार किया गया था, जिनका नाम पुराने धोखाधड़ी के मामलों में भी सामने आया है।
अल-फलाह विश्वविद्यालय ने अपने बयान में धमाके की निंदा की है और राष्ट्रहित के साथ खड़े होने की बात कही है। लेकिन, ईडी की यह छापेमारी और उसमें मिले सबूत विश्वविद्यालय प्रशासन के लिए गंभीर मुश्किलें खड़ी कर सकते हैं। यह जांच अब सिर्फ एक धमाके तक सीमित नहीं रही है, बल्कि यह शैक्षणिक संस्थानों की आड़ में चल रही अवैध गतिविधियों और आतंकी नेटवर्क की जड़ों को खोदने की दिशा में बढ़ रही है।