राहुल गांधी की 'विषाक्त बयानबाजी' पर 272 हस्तियों का खुला पत्र

272 प्रतिष्ठित नागरिकों, जिनमें सेवानिवृत्त न्यायाधीश और नौकरशाह शामिल हैं, ने राहुल गांधी और कांग्रेस पर संवैधानिक निकायों, विशेष रूप से चुनाव आयोग (ECI) की अखंडता को कमजोर करने का आरोप लगाते हुए एक खुला पत्र लिखा है। पत्र में 'विषाक्त बयानबाजी' (Venomous Rhetoric) को रोकने का आग्रह किया गया है। (A group of 272 eminent citizens, including retired judges and bureaucrats, have penned an open letter criticizing Rahul Gandhi and the Congress for allegedly undermining the integrity of constitutional bodies, particularly the ECI. The letter urges an end to the 'venomous rhetoric'.)

Nov 19, 2025 - 20:00
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राहुल गांधी की 'विषाक्त बयानबाजी' पर 272 हस्तियों का खुला पत्र
राहुल गांधी और कांग्रेस पर 272 प्रतिष्ठित हस्तियों का खुला हमला: 'विषाक्त बयानबाजी' से संवैधानिक संस्थाओं को कमजोर करने का आरोप

देश के 272 प्रतिष्ठित नागरिकों, जिनमें 16 पूर्व न्यायाधीश, 123 सेवानिवृत्त नौकरशाह, 14 पूर्व राजदूत और 133 सेवानिवृत्त सशस्त्र बलों के अधिकारी शामिल हैं, ने एक खुला पत्र जारी किया है। इस पत्र में कांग्रेस नेता राहुल गांधी और उनकी पार्टी पर चुनावी हार के बाद संवैधानिक संस्थाओं की विश्वसनीयता को कम करने की कोशिश करने का गंभीर आरोप लगाया गया है।

"राष्ट्रीय संवैधानिक प्राधिकरणों पर हमला" शीर्षक वाले इस पत्र में आरोप लगाया गया है कि विपक्षी नेता "विषाक्त बयानबाजी" (venomous rhetoric) और "आधारहीन आरोपों" के माध्यम से संस्थागत विफलता की भावना पैदा करने का प्रयास कर रहे हैं।

चुनाव आयोग निशाने पर

हस्ताक्षरकर्ताओं ने विशेष रूप से भारत निर्वाचन आयोग (ECI) को निशाना बनाने के लिए राहुल गांधी की आलोचना की। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने पहले भी सशस्त्र बलों और न्यायपालिका की निष्पक्षता पर सवाल उठाए हैं, और अब ईसीआई उनकी आलोचना का नया निशाना है।

पत्र में राहुल गांधी पर बार-बार 'वोट चोरी' का आरोप लगाने का उल्लेख किया गया है, जबकि वे अपने दावों के समर्थन में कोई औपचारिक शिकायत या शपथ पत्र (sworn affidavit) दाखिल करने में विफल रहे हैं। पत्र में उनके उन बयानों की निंदा की गई है, जिनमें उन्होंने ECI के खिलाफ "100 प्रतिशत सबूत" और "एटम बम" होने का दावा किया था, लेकिन कोई कानूनी कार्रवाई नहीं की।

'अक्षम्य आक्रोश' और राजनीति का तरीका

हस्ताक्षरकर्ताओं ने कांग्रेस और उसके सहयोगियों के इस पैटर्न को 'अक्षम्य आक्रोश' (impotent rage) बताया है। उनका तर्क है कि जब राजनीतिक नेताओं को बार-बार चुनावी हार का सामना करना पड़ता है और उनके पास लोगों से जुड़ने की कोई ठोस योजना नहीं होती है, तो वे अपनी विश्वसनीयता के पुनर्निर्माण के बजाय संवैधानिक संस्थाओं पर हमला करते हैं। पत्र में कहा गया है कि ऐसी स्थिति में "विश्लेषण की जगह नाटक ले लेता है, और जनसेवा की जगह सार्वजनिक तमाशा।"

पत्र में पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्तों टीएन शेषन और एन गोपालस्वामी की विरासत का आह्वान किया गया है, जिनकी अटूट नेतृत्व क्षमता ने ECI को एक दुर्जेय संवैधानिक प्रहरी में बदल दिया था।

ECI और राजनीतिक दलों से अपील

खुले पत्र का समापन ईसीआई और राजनीतिक नेताओं दोनों से अपील के साथ हुआ:

  • ईसीआई से अपील: पारदर्शिता और कठोरता का मार्ग जारी रखें।

  • राजनीतिक नेताओं से अपील: आधारहीन आरोपों के बजाय नीति-निर्माण के माध्यम से प्रतिस्पर्धा करें और लोकतांत्रिक जनादेश को शालीनता से स्वीकार करें।

इस पत्र ने भारत में राजनीतिक बयानबाजी के गिरते स्तर और संस्थाओं की विश्वसनीयता पर हो रहे हमलों को लेकर एक गंभीर राष्ट्रीय बहस छेड़ दी है।