एच-1बी वीज़ा शुल्क पर मिली राहत: भारत की कूटनीति ने किया कमाल

डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन द्वारा घोषित 100,000 डॉलर के एच-1बी वीज़ा शुल्क पर अमेरिका ने स्पष्टीकरण दिया है। यह लेख बताता है कि कैसे भारत के विदेश मंत्रालय (MEA) ने सप्ताहांत में अमेरिकी प्रशासन के साथ गहन बातचीत कर भारतीय पेशेवरों के लिए बड़ी राहत हासिल की।

Sep 23, 2025 - 20:38
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एच-1बी वीज़ा शुल्क पर मिली राहत: भारत की कूटनीति ने किया कमाल
एच-1बी वीज़ा शुल्क पर भारत को बड़ी राहत: विदेश मंत्रालय ने ट्रंप प्रशासन के साथ गहन बातचीत कर जीता भरोसा

डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन द्वारा एच-1बी वीज़ा के लिए 100,000 डॉलर के शुल्क की घोषणा ने भारत सहित दुनियाभर के पेशेवरों और कंपनियों में हड़कंप मचा दिया था। शुरुआती घोषणा में यह स्पष्ट नहीं था कि यह शुल्क केवल नए आवेदकों के लिए है या मौजूदा वीज़ा धारकों के लिए भी। इस अनिश्चितता ने हज़ारों भारतीय पेशेवरों के बीच घबराहट पैदा कर दी थी, जो अमेरिका में रहते हैं या वहां जाने की योजना बना रहे थे।

इस स्थिति की गंभीरता को देखते हुए, भारत के विदेश मंत्रालय (MEA) ने तुरंत सक्रियता दिखाई। अधिकारियों ने सप्ताहांत में अमेरिकी प्रशासन के साथ नई दिल्ली और वाशिंगटन दोनों में गहन बातचीत की। इन चर्चाओं का मुख्य उद्देश्य अमेरिकी अधिकारियों को यह समझाना था कि एच-1बी वीज़ा धारक अमेरिकी अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण आर्थिक मूल्य जोड़ते हैं।

भारत सरकार की कूटनीतिक कोशिशों का सकारात्मक परिणाम तब सामने आया जब व्हाइट हाउस ने एक बयान जारी कर यह स्पष्ट किया कि:

  1. यह 100,000 डॉलर का शुल्क एक वार्षिक शुल्क नहीं है, बल्कि यह एक एक-बार का शुल्क है जो केवल नए आवेदन पर लागू होगा।

  2. यह नियम मौजूदा एच-1बी वीज़ा धारकों पर लागू नहीं होगा, न ही उन लोगों पर जो अपने वीज़ा को रिन्यू करा रहे हैं।

  3. ऐसे वीज़ा धारक जो अमेरिका से बाहर हैं, उन्हें दोबारा प्रवेश करने के लिए यह शुल्क नहीं देना होगा।

यह स्पष्टीकरण भारतीय आईटी उद्योग के लिए एक बड़ी राहत बनकर आया। भारत के विदेश मंत्रालय ने अपने बयान में कहा था कि यह कदम "मानवीय परिणामों" को जन्म दे सकता है और परिवारों के लिए व्यवधान पैदा कर सकता है। अमेरिका के इस स्पष्टीकरण ने इन चिंताओं को काफी हद तक शांत कर दिया है।

यह घटना दर्शाती है कि कैसे मजबूत कूटनीति और समय पर हस्तक्षेप से भारत अपने नागरिकों के हितों की रक्षा कर सकता है। यह भी दिखाता है कि दोनों देशों के बीच संबंधों की गहराई कितनी है, जहां एक संवेदनशील मुद्दे पर तत्काल प्रतिक्रिया और समाधान संभव हुआ।