पीएम मोदी ने बहुपक्षवाद, अर्थव्यवस्था और AI पर BRICS में दिया जोर: भारत करेगा AI शिखर सम्मेलन की मेजबानी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 17वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में बहुपक्षवाद, आर्थिक-वित्तीय मामलों और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) पर महत्वपूर्ण सत्र में भाग लिया। उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय सहयोग, NDB की भूमिका और AI के नैतिक उपयोग पर भारत के विचारों को रखा, साथ ही अगले साल भारत में होने वाले "एआई प्रभाव शिखर सम्मेलन" के लिए BRICS देशों को आमंत्रित किया। जानें PM Modi के संबोधन के मुख्य बिंदु।

छत्रपति संभाजी नगर, महाराष्ट्र: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में आयोजित 17वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में 'बहुपक्षवाद, आर्थिक-वित्तीय मामलों और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस' (Multilateralism, Economic-Financial Affairs, and Artificial Intelligence) पर हुए एक महत्वपूर्ण संपर्क सत्र में सक्रिय रूप से भाग लिया। अपने संबोधन में, प्रधानमंत्री ने वैश्विक सहयोग के भविष्य और उभरती प्रौद्योगिकियों के प्रभाव पर भारत के दृष्टिकोण को सशक्त रूप से प्रस्तुत किया। उनके विचारों ने अंतर्राष्ट्रीय संबंधों और आर्थिक विकास में ब्रिक्स समूह की बढ़ती प्रासंगिकता पर विशेष जोर दिया।
बहुपक्षीय सहयोग और BRICS का महत्व
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन की शुरुआत में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के लिए ब्रिक्स (BRICS) के महत्व और एक बहुध्रुवीय विश्व (Multipolar World) की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने रेखांकित किया कि आज की दुनिया में, जहाँ चुनौतियाँ वैश्विक हैं, वहीं समाधान भी सामूहिक प्रयासों से ही निकल सकते हैं। ब्रिक्स, जो पाँच प्रमुख उभरती अर्थव्यवस्थाओं (ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका) का एक समूह है, वैश्विक शासन में अधिक संतुलित प्रतिनिधित्व और विकासशील देशों की आवाज को मजबूत करने के लिए एक महत्वपूर्ण मंच के रूप में उभरा है। प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि ब्रिक्स को वैश्विक संस्थानों में सुधार की वकालत करनी चाहिए ताकि वे आज की वास्तविकताओं को बेहतर ढंग से दर्शा सकें।
आर्थिक-वित्तीय मामलों पर PM का दृष्टिकोण
आर्थिक-वित्तीय मामलों के सत्र में, प्रधानमंत्री मोदी ने न्यू डेवलपमेंट बैंक (New Development Bank - NDB) द्वारा संचालित परियोजनाओं में एक 'मांग-आधारित दृष्टिकोण' (demand-based approach) अपनाने का आग्रह किया। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि परियोजनाओं को सदस्य देशों की वास्तविक जरूरतों और प्राथमिकताओं के आधार पर चुना जाना चाहिए, न कि केवल पूर्व-निर्धारित एजेंडों पर। इसके अतिरिक्त, उन्होंने NDB की परियोजनाओं के लिए 'दीर्घकालिक वित्तीय स्थिरता' (long-term financial stability) सुनिश्चित करने की आवश्यकता पर भी बल दिया। यह दृष्टिकोण विकासशील देशों की वित्तीय स्वायत्तता और उनकी विकासात्मक आकांक्षाओं को पूरा करने की क्षमता को मजबूत करने की दिशा में भारत की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि विकासशील देशों को अपनी विकासात्मक जरूरतों को पूरा करने के लिए स्थायी और सुलभ वित्तपोषण प्राप्त हो।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) पर भारत की पहल और वैश्विक सहयोग का आह्वान
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) आज की दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ते और परिवर्तनकारी क्षेत्रों में से एक है। प्रधानमंत्री मोदी ने AI के संबंध में भारत द्वारा की गई विभिन्न पहलों का उल्लेख किया। उन्होंने विशेष रूप से 'कृषि-जैव प्रौद्योगिकी' (Agri-biotechnology) और 'डिजिटल शिक्षा' (Digital Education) जैसे क्षेत्रों में AI के उपयोग को बढ़ावा देने के भारत के प्रयासों पर प्रकाश डाला। भारत का मानना है कि AI में कृषि उत्पादकता बढ़ाने, स्वास्थ्य सेवा में सुधार करने और शिक्षा को अधिक सुलभ बनाने की अपार क्षमता है, खासकर ग्रामीण और वंचित क्षेत्रों में।
PM मोदी ने इस उभरती तकनीक के नैतिक उपयोग और शासन (Ethical Use and Governance) पर भी जोर दिया, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि AI मानवता की भलाई के लिए काम करे और इसके नकारात्मक प्रभावों को कम किया जा सके। इस संदर्भ में, उन्होंने ब्रिक्स देशों के बीच सहयोग को बढ़ावा देने के लिए एक 'ब्रिक्स विज्ञान और अनुसंधान कोष' (BRICS Science and Research Fund) बनाने का आह्वान किया। यह कोष AI सहित विभिन्न वैज्ञानिक और तकनीकी क्षेत्रों में संयुक्त अनुसंधान और विकास परियोजनाओं को वित्तपोषित करने में मदद करेगा, जिससे सदस्य देशों के बीच नवाचार और ज्ञान साझाकरण को बढ़ावा मिलेगा।
एक महत्वपूर्ण घोषणा के तहत, प्रधानमंत्री मोदी ने अगले वर्ष भारत की मेजबानी में आयोजित होने वाले "एआई प्रभाव शिखर सम्मेलन" (AI Impact Summit) के लिए ब्रिक्स साझेदार देशों को भी आमंत्रित किया। यह शिखर सम्मेलन AI के विभिन्न पहलुओं, इसके सामाजिक-आर्थिक प्रभावों, चुनौतियों और अवसरों पर गहन चर्चा करने के लिए एक मंच प्रदान करेगा। यह भारत की वैश्विक AI नेतृत्व की आकांक्षाओं और AI के जिम्मेदार विकास को बढ़ावा देने की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
भविष्य के लिए BRICS का दृष्टिकोण
प्रधानमंत्री मोदी का यह संबोधन ब्रिक्स समूह के लिए एक स्पष्ट रोडमैप प्रस्तुत करता है, जहाँ सदस्य देश न केवल आर्थिक और वित्तीय सहयोग को मजबूत करते हैं, बल्कि उभरती प्रौद्योगिकियों जैसे AI में भी मिलकर काम करते हैं। यह बहुपक्षीय मंचों को अधिक समावेशी और प्रभावी बनाने के लिए भारत के निरंतर प्रयासों को भी रेखांकित करता है।
वैश्विक आर्थिक स्थिरता, तकनीकी नवाचार और एक न्यायपूर्ण विश्व व्यवस्था के निर्माण में ब्रिक्स की भूमिका महत्वपूर्ण बनी रहेगी। PM मोदी के विचारों ने इन सभी क्षेत्रों में सामूहिक प्रयासों और साझा दृष्टिकोण की आवश्यकता को दोहराया है, जिससे ब्रिक्स देश एक साथ मिलकर वैश्विक चुनौतियों का सामना कर सकें और एक अधिक समृद्ध तथा संतुलित भविष्य का निर्माण कर सकें। यह देखना दिलचस्प होगा कि BRICS देश AI और अन्य क्षेत्रों में इन पहलों को कैसे आगे बढ़ाते हैं।