संभाजीनगर वोटर लिस्ट विवाद: 6000 से ज्यादा आपत्तियां दर्ज, वार्ड शिफ्टिंग पर बवाल
छत्रपति संभाजीनगर (औरंगाबाद) में आगामी मनपा चुनाव से पहले जारी मसौदा मतदाता सूची (Draft Voter List) पर विवाद गहरा गया है। प्रशासन को 6000 से अधिक आपत्तियां और सुझाव प्राप्त हुए हैं। नागरिकों और राजनीतिक दलों ने नामों के गायब होने और बिना कारण वार्ड बदलने (Ward Shifting) के गंभीर आरोप लगाए हैं।
छत्रपति संभाजीनगर: महाराष्ट्र के छत्रपति संभाजीनगर (पूर्व में औरंगाबाद) में आगामी स्थानीय निकाय चुनावों की सुगबुगाहट के बीच मतदाता सूची (Voter List) को लेकर एक बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। राज्य चुनाव आयोग के निर्देशों पर नगर निगम प्रशासन द्वारा प्रकाशित की गई मसौदा मतदाता सूची (Draft Electoral Rolls) में भारी विसंगतियां पाई गई हैं। स्थिति की गंभीरता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि निर्धारित समय सीमा के भीतर प्रशासन को नागरिकों और राजनीतिक दलों की ओर से 6,000 से अधिक आपत्तियां और सुझाव प्राप्त हुए हैं।
यह भारी संख्या प्रशासन के लिए चिंता का विषय बन गई है, क्योंकि इतनी बड़ी तादाद में शिकायतों का निपटारा करना और एक त्रुटिहीन अंतिम सूची तैयार करना एक बड़ी चुनौती होगी।
क्या हैं प्रमुख शिकायतें?
नागरिकों और राजनीतिक कार्यकर्ताओं द्वारा दर्ज कराई गई आपत्तियों में मुख्य रूप से तीन प्रकार की त्रुटियां सामने आई हैं, जिन्होंने शहर के चुनावी माहौल को गरमा दिया है:
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वार्ड शिफ्टिंग (Ward Shifting) का मुद्दा: सबसे अधिक शिकायतें मतदाताओं के नाम एक वार्ड से दूसरे वार्ड में स्थानांतरित किए जाने को लेकर हैं। कई नागरिकों ने शिकायत की है कि वे वर्षों से एक ही पते पर रह रहे हैं, लेकिन नई सूची में उनका नाम उनके मूल वार्ड से हटाकर किसी दूरदराज के वार्ड में डाल दिया गया है। इससे न केवल मतदान के दिन उन्हें परेशानी होगी, बल्कि यह स्थानीय समीकरणों को भी प्रभावित कर सकता है।
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नामों का गायब होना (Missing Names): हजारों मतदाताओं का दावा है कि उनके नाम सूची से पूरी तरह गायब हैं। इनमें वे लोग भी शामिल हैं जिन्होंने पिछले लोकसभा और विधानसभा चुनावों में मतदान किया था। बिना किसी पूर्व सूचना या कारण के नामों का कटना लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन माना जा रहा है।
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मृतकों के नाम और डुप्लिकेट वोट: कई आपत्तियों में यह भी बताया गया है कि मृत व्यक्तियों के नाम अभी भी सूची में मौजूद हैं, जबकि कई जीवित और पात्र मतदाताओं के नाम काट दिए गए हैं। इसके अलावा, एक ही व्यक्ति का नाम कई अलग-अलग वार्डों में दर्ज होने (Duplicate Entries) की भी शिकायतें मिली हैं।
राजनीतिक दलों का आक्रोश
इस मुद्दे पर शहर की राजनीति भी गरमा गई है। विपक्षी दलों, विशेषकर शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) और AIMIM, ने प्रशासन पर जानबूझकर गड़बड़ी करने का आरोप लगाया है।
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शिवसेना (UBT) का आरोप: पार्टी नेताओं ने जिला कलेक्टर और नगर निगम आयुक्त से मुलाकात कर आरोप लगाया कि यह 'वार्ड शिफ्टिंग' एक सोची-समझी साजिश है। उनका कहना है कि सत्ताधारी दल को फायदा पहुंचाने के लिए विशेष समुदायों और क्षेत्रों के मतदाताओं को इधर-उधर किया गया है। अंबादास दानवे जैसे वरिष्ठ नेताओं ने चेतावनी दी है कि यदि इन त्रुटियों को नहीं सुधारा गया, तो वे सड़कों पर उतरेंगे।
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AIMIM की प्रतिक्रिया: एआईएमआईएम ने भी इसे प्रशासन की घोर लापरवाही बताया है। उनका कहना है कि स्लम बस्तियों और अल्पसंख्यक बहुल इलाकों में बड़े पैमाने पर नाम काटे गए हैं, जो कि संविधान विरोधी है।
प्रशासन की प्रतिक्रिया और आगे की राह
इतनी बड़ी संख्या में आपत्तियां प्राप्त होने के बाद, छत्रपति संभाजीनगर नगर निगम (CSMC) का चुनाव विभाग हरकत में आ गया है। प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि प्राप्त सभी 6,000+ आपत्तियों की व्यक्तिगत रूप से जांच की जाएगी।
अधिकारियों ने बताया कि:
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हर आपत्ति का सत्यापन बूथ लेवल अधिकारियों (BLO) के माध्यम से किया जाएगा।
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जहां भी लिपिकीय त्रुटियां (Clerical Errors) हुई हैं, उन्हें तुरंत सुधारा जाएगा।
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वार्ड शिफ्टिंग की शिकायतों की जांच GIS मैपिंग और पते के सत्यापन के जरिए की जाएगी।
प्रशासन का लक्ष्य है कि अंतिम मतदाता सूची के प्रकाशन से पहले इन सभी विसंगतियों को दूर कर लिया जाए ताकि चुनाव निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से संपन्न हो सकें।
नागरिकों के लिए सलाह
इस विवाद के बीच, सामाजिक कार्यकर्ता नागरिकों से अपील कर रहे हैं कि वे केवल प्रशासन के भरोसे न बैठें। वे अपने स्तर पर भी ऑनलाइन या वार्ड कार्यालय जाकर यह सुनिश्चित करें कि उनका और उनके परिवार का नाम सही वार्ड और सही पते के साथ सूची में दर्ज है। एक जागरूक मतदाता ही लोकतंत्र की असली ताकत है।
निष्कर्ष
6,000 आपत्तियों का आंकड़ा यह दर्शाता है कि छत्रपति संभाजीनगर की मतदाता सूची में सुधार की कितनी गुंजाइश है। यह प्रशासन के लिए एक लिटमस टेस्ट है कि वे किस तरह दबाव में काम करते हुए एक शुद्ध और त्रुटिहीन सूची जनता के सामने रखते हैं। आगामी नगर निगम चुनाव शहर के भविष्य के लिए महत्वपूर्ण हैं, और इसकी नींव एक सही मतदाता सूची पर ही टिकी है।