AI ने बनाया किशोर कुमार की आवाज़ में 'सैयारा': जब अमिताभ-मौसमी का रोमांस हुआ वायरल
एआई टेक्नोलॉजी का कमाल, जब नई फिल्म 'सैयारा' का गाना दिग्गज गायक किशोर कुमार की आवाज़ में वायरल हुआ। जानें कैसे अमिताभ बच्चन और मौसमी चटर्जी की फिल्म 'मंज़िल' के 'रिमझिम गिरे सावन' के वीडियो के साथ इस गाने ने इंटरनेट पर मचाई धूम। फैंस की प्रतिक्रिया और एआई के इस रचनात्मक उपयोग पर एक विस्तृत विश्लेषण।

बॉलीवुड हमेशा से ही अपनी संगीत और अदाकारी के बेमिसाल संगम के लिए जाना जाता है। हर दशक में कुछ गाने ऐसे बन जाते हैं, जो समय की सीमाओं को लांघकर अमर हो जाते हैं। लेकिन आजकल एक नया ट्रेंड सामने आया है, जहाँ नई टेक्नोलॉजी, खासकर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), ने पुराने गानों और कलाकारों को एक नई पहचान दी है। हाल ही में ऐसा ही एक कमाल देखने को मिला है, जब युवा सितारों अहान पांडे और अनेट पड्डा की नई फिल्म 'सैयारा' का टाइटल ट्रैक लीजेंडरी गायक किशोर कुमार की आवाज़ में दोबारा बनाया गया। इस गाने को दिग्गज अभिनेता अमिताभ बच्चन और मौसमी चटर्जी पर फिल्माए गए क्लासिक सॉन्ग 'रिमझिम गिरे सावन' के वीडियो के साथ मिलाकर सोशल मीडिया पर पोस्ट किया गया, जिसके बाद यह वीडियो जंगल में आग की तरह फैल गया।
यह वीडियो न केवल संगीत प्रेमियों के लिए एक सुखद अनुभव था, बल्कि यह एआई की असीमित क्षमताओं का एक शानदार उदाहरण भी बन गया है। इस वायरल वीडियो को देखकर लाखों फैंस जहां खुशी से झूम उठे, वहीं कुछ लोगों ने इसे किशोर कुमार की विरासत के साथ खिलवाड़ भी बताया। तो आइए जानते हैं, इस पूरे मामले की गहराई और इसने कैसे बॉलीवुड में एआई के भविष्य पर एक नई बहस छेड़ दी है।
'सैयारा' और 'रिमझिम गिरे सावन' का अद्भुत संगम
हाल ही में रिलीज हुई फिल्म 'सैयारा' का टाइटल ट्रैक, जिसे गायक फ़हीम अब्दुल्ला ने अपनी मधुर आवाज़ दी है, पहले से ही दर्शकों के बीच काफी लोकप्रिय है। यह गाना Spotify के Global Viral 50 चार्ट पर पहले नंबर पर पहुँचकर एक नया कीर्तिमान भी स्थापित कर चुका है। लेकिन इसकी लोकप्रियता में असली उछाल तब आया जब संगीतकार आरजे कृष्णा और अंशुमन शर्मा ने एआई का इस्तेमाल करके इसे किशोर कुमार की आवाज़ में दोबारा तैयार किया।
इस नए AI-जनरेटेड वर्जन को 1979 की क्लासिक फिल्म 'मंज़िल' के सदाबहार गाने 'रिमझिम गिरे सावन' के विजुअल्स के साथ जोड़ा गया। यह गाना, जिसे मूल रूप से लम्बे बालों वाले अमिताभ बच्चन और मौसमी चटर्जी पर फिल्माया गया था, मुंबई की बारिश में रोमांस का सबसे यादगार दृश्य प्रस्तुत करता है। जब 'सैयारा' का नयापन और 'रिमझिम गिरे सावन' का नॉस्टैल्जिक फील एक साथ मिला, तो इसने इंटरनेट पर तहलका मचा दिया। फैंस को यह कॉम्बिनेशन इतना पसंद आया कि वीडियो देखते ही देखते वायरल हो गया।
इस वीडियो को देखकर ऐसा लगा मानो यह गाना किशोर दा ने उसी दौर में गाया हो। रेट्रो म्यूजिक अरेंजमेंट और किशोर कुमार की आवाज़ का जादू, यह सब मिलकर एक ऐसा अनुभव दे रहे थे जिसे फैंस सालों से मिस कर रहे थे।
फैंस की मिली-जुली प्रतिक्रियाएं: तारीफ़ और आलोचना
जैसे ही यह वीडियो सोशल मीडिया पर आया, फैंस की प्रतिक्रियाओं का सिलसिला शुरू हो गया। अधिकतर लोग इस नए प्रयोग की तारीफ कर रहे थे। कई यूजर्स ने लिखा कि एआई का यह सबसे सही इस्तेमाल है और किशोर कुमार की आवाज़ में यह गाना ओरिजिनल से भी बेहतर लग रहा है। एक फैन ने कमेंट किया, "पहली बार AI का सही इस्तेमाल देखा है। यह गाना किशोर दा की आवाज़ में और भी शानदार लग रहा है।" वहीं, एक अन्य यूजर ने लिखा, "यह बहुत सुकून देने वाला है। पहले तो मुझे लगा कि यह ओरिजिनल गाना ही है।"
दूसरी तरफ, संगीत के कुछ शुद्धतावादी और किशोर कुमार के डाई-हार्ड फैंस को यह प्रयोग रास नहीं आया। उनका मानना था कि कोई भी टेक्नोलॉजी महान कलाकारों की कला और आत्मा को कॉपी नहीं कर सकती। एक यूजर ने लिखा, "किसी भी एआई वर्जन से 'रिमझिम गिरे सावन' की जगह नहीं ली जा सकती।" एक अन्य यूजर ने इसे किशोर कुमार और अन्य कलाकारों का अपमान बताया। इस तरह की प्रतिक्रियाओं ने एक महत्वपूर्ण सवाल उठाया है: क्या टेक्नोलॉजी को क्लासिक कलाकृतियों के साथ इतना प्रयोग करना चाहिए? क्या एआई सिर्फ एक टूल है या यह कला की मौलिकता को चुनौती दे रहा है?
एआई और बॉलीवुड का भविष्य: संभावनाएं और चुनौतियां
'सैयारा' का यह वायरल AI वर्जन बॉलीवुड में भविष्य के लिए कई दरवाज़े खोल रहा है। यह दिखाता है कि कैसे एआई का उपयोग करके पुराने कलाकारों को फिर से दर्शकों के सामने लाया जा सकता है, जिससे उनकी विरासत जीवित रह सके। इसके अलावा, संगीत और फिल्म इंडस्ट्री में एआई का इस्तेमाल प्रोडक्शन की लागत कम करने, क्रिएटिव प्रोसेस को तेज़ करने और नए तरह के कंटेंट बनाने के लिए किया जा सकता है। हालांकि, इसके साथ ही कई चुनौतियाँ भी सामने आती हैं। सबसे बड़ी चुनौती है मौलिकता और कॉपीराइट का मुद्दा। अगर एआई किसी गायक की आवाज़ का इस्तेमाल करता है, तो क्या उसे रॉयल्टी दी जानी चाहिए? क्या एआई द्वारा बनाया गया कंटेंट कानूनी रूप से सुरक्षित होगा? यह सवाल इसलिए भी महत्वपूर्ण हैं क्योंकि आज की तारीख में इन सवालों का कोई स्पष्ट जवाब नहीं है।
दूसरा, एआई का यह प्रयोग कलाकारों और उनकी कला की आत्मा पर भी सवाल उठाता है। जैसा कि एक फैन ने लिखा, "टेक्नोलॉजी सिर्फ रूप की नकल कर सकती है, आत्मा की नहीं।" किशोर कुमार की आवाज़ में सिर्फ स्वर ही नहीं, बल्कि शरारत, भावना और जुनून भी था, जिसे एआई पूरी तरह से दोहरा नहीं सकता।
इस पूरे प्रकरण ने बॉलीवुड और उसके फैंस को सोचने पर मजबूर किया है कि एआई का उपयोग कैसे किया जाना चाहिए। क्या इसे सिर्फ श्रद्धांजलि देने और मनोरंजन के लिए इस्तेमाल किया जाए, या इसे एक नए रचनात्मक टूल के रूप में अपनाया जाए जो कलाकारों को और भी आगे बढ़ने में मदद करे?