इथियोपिया के ज्वालामुखी का धुआं भारत पहुंचा: क्या दिल्ली की 'जहरीली' हवा और होगी खतरनाक?

इथियोपिया में ज्वालामुखी विस्फोट के बाद निकली सल्फर डाइऑक्साइड (SO2) गैस की चादर भारत के आसमान पर पहुंच गई है। पहले से ही प्रदूषण से जूझ रही दिल्ली की हवा पर इसका क्या असर होगा? क्या इससे वायु गुणवत्ता और खराब होगी? जानिए वैज्ञानिकों और मौसम विभाग की राय।

Nov 25, 2025 - 20:23
Nov 25, 2025 - 20:26
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इथियोपिया के ज्वालामुखी का धुआं भारत पहुंचा: क्या दिल्ली की 'जहरीली' हवा और होगी खतरनाक?

लेख: इथियोपिया के ज्वालामुखी का गुबार भारत के ऊपर: क्या दिल्ली की सांसों पर मंडरा रहा है नया खतरा?

नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली और एनसीआर (Delhi-NCR) के लोग पहले से ही 'गंभीर' (Severe) श्रेणी के वायु प्रदूषण का सामना कर रहे हैं। आंखों में जलन और सांस लेने में तकलीफ यहां के निवासियों की रोजमर्रा की जिंदगी का हिस्सा बन गई है। इस बीच, एक नई आफत ने मौसम वैज्ञानिकों और पर्यावरणविदों की चिंता बढ़ा दी है। अफ्रीका के देश इथियोपिया (Ethiopia) में हुए ज्वालामुखी विस्फोट से निकली जहरीली गैसों और राख का एक विशाल बादल हजारों किलोमीटर का सफर तय करके भारत के आसमान तक पहुंच गया है।

इस घटना ने एक बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है: क्या यह ज्वालामुखी बादल दिल्ली की पहले से खराब हवा को और अधिक जहरीला बना देगा?

क्या है पूरा मामला?

हाल ही में इथियोपिया के अफ़ार क्षेत्र (Afar region) में स्थित एक ज्वालामुखी में विस्फोट हुआ था। इस विस्फोट से भारी मात्रा में सल्फर डाइऑक्साइड (SO2) और अन्य ज्वालामुखी राख वायुमंडल में फैल गई। हवा के बहाव के साथ, यह गैस का गुबार अरब सागर को पार करते हुए पश्चिमी भारत और अब उत्तरी भारत की ओर बढ़ रहा है।

उपग्रह से प्राप्त तस्वीरों (Satellite Images) में भारत के कई हिस्सों, विशेषकर महाराष्ट्र, गुजरात और अब उत्तर भारत के ऊपर SO2 की सांद्रता (Concentration) देखी गई है।

दिल्ली पर इसका क्या असर होगा?

दिल्लीवासी, जो पहले से ही 400-500 के AQI (वायु गुणवत्ता सूचकांक) के बीच जी रहे हैं, इस खबर से सहमे हुए हैं। हालांकि, वैज्ञानिकों और मौसम विशेषज्ञों की राय इस पर मिली-जुली लेकिन थोड़ी राहत देने वाली है।

  1. ऊंचाई का कारक (Altitude Factor): विशेषज्ञों के अनुसार, ज्वालामुखी से निकली यह SO2 गैस और राख वायुमंडल में काफी ऊंचाई पर (लगभग 10-12 किलोमीटर ऊपर) तैर रही है। यह क्षोभमंडल (Troposphere) के ऊपरी हिस्से या समताप मंडल (Stratosphere) में है। चूंकि दिल्ली का प्रदूषण (Smog) जमीन के करीब (निचली सतह पर) फंसा हुआ है, इसलिए इस ज्वालामुखी बादल के सीधे तौर पर दिल्ली की जमीनी हवा में मिलने की संभावना कम है।

  2. एसिड रेन (Acid Rain) का खतरा: भले ही यह गैस अभी ऊंचाई पर हो, लेकिन अगर बारिश होती है, तो यह SO2 पानी के साथ मिलकर 'अम्लीय वर्षा' (Acid Rain) के रूप में नीचे आ सकती है। यह फसलों, इमारतों और खुले में रहने वाले लोगों की त्वचा के लिए हानिकारक हो सकता है। हालांकि, मौजूदा मौसम में दिल्ली में बारिश की संभावना कम है।

  3. धुंध और दृश्यता (Haze and Visibility): ऊंचाई पर मौजूद यह बादल सूर्य की रोशनी को कुछ हद तक रोक सकता है, जिससे दिन में भी हल्का धुंधलापन महसूस हो सकता है। यह वातावरण में 'एरोसोल' (Aerosols) की मात्रा बढ़ा सकता है।

सल्फर डाइऑक्साइड (SO2) क्यों खतरनाक है?

सल्फर डाइऑक्साइड एक रंगहीन लेकिन तीखी गंध वाली गैस है।

  • स्वास्थ्य प्रभाव: यह श्वसन तंत्र (Respiratory System) के लिए बेहद हानिकारक है। इससे अस्थमा, ब्रोंकाइटिस और फेफड़ों के संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है।

  • पर्यावरणीय प्रभाव: यह वातावरण में नमी के साथ प्रतिक्रिया करके सल्फ्यूरिक एसिड बनाता है, जो पर्यावरण के लिए विषाक्त है।

क्या कहते हैं विशेषज्ञ?

यूरोपियन स्पेस एजेंसी (ESA) के कॉपरनिकस सेंटिनल-5P उपग्रह ने इस बादल को ट्रैक किया है। भारतीय मौसम विभाग (IMD) के अधिकारी स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं। उनका कहना है कि फिलहाल पैनिक करने की जरूरत नहीं है क्योंकि प्रदूषक तत्व जमीन की सतह से काफी ऊपर हैं।

एक वरिष्ठ मौसम वैज्ञानिक ने बताया, "दिल्ली का मौजूदा प्रदूषण मुख्य रूप से स्थानीय स्रोतों, वाहनों के उत्सर्जन, धूल और पराली जलाने (Stubble Burning) के कारण है। इथियोपिया के ज्वालामुखी का प्रभाव अभी तक जमीनी स्तर के AQI मॉनिटर में नहीं दिखा है। यह एक वायुमंडलीय घटना है जिसे हम मॉनिटर कर रहे हैं।"

दिल्ली की मौजूदा स्थिति: 'गैस चैंबर' बनी राजधानी

ज्वालामुखी की राख आए या न आए, दिल्ली की स्थिति पहले से ही चिंताजनक है। ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (GRAP) के चरण लागू होने के बावजूद, हवा की गुणवत्ता 'बहुत खराब' से 'गंभीर' श्रेणी में बनी हुई है। अस्पतालों में सांस के मरीजों की संख्या बढ़ रही है।

निष्कर्ष: सतर्कता जरूरी

भले ही इथियोपिया का ज्वालामुखी बादल अभी सीधा खतरा न बने, लेकिन यह याद दिलाता है कि पर्यावरण और प्रदूषण की समस्याएं वैश्विक हैं। हवाओं की कोई सीमा नहीं होती। दिल्ली को अपनी हवा सुधारने के लिए ठोस और स्थायी स्थानीय समाधानों की जरूरत है। नागरिकों को सलाह दी जाती है कि वे वायु गुणवत्ता पर नजर रखें और मास्क का प्रयोग जारी रखें।

फिलहाल, यह उम्मीद की जा रही है कि तेज हवाएं इस ज्वालामुखी बादल को भारतीय उपमहाद्वीप से दूर ले जाएंगी, जिससे भारत के लोग राहत की सांस ले सकेंगे।