पश्चिम बंगाल: वक्फ संपत्तियों का डिजिटलीकरण शुरू, 'उम्मीद' पोर्टल पर अपलोड होंगे दस्तावेज

पश्चिम बंगाल सरकार ने राज्य की सभी वक्फ संपत्तियों को केंद्र सरकार के 'उम्मीद' पोर्टल पर डिजिटाइज करने का निर्देश दिया है। यह कदम ऐसे समय में उठाया गया है जब तृणमूल कांग्रेस (TMC) केंद्र के वक्फ संशोधन विधेयक का विरोध कर रही है। जानिए इस फैसले के पीछे की वजह और इसके मायने। (The West Bengal government has directed the digitization of all Waqf properties in the state on the central government's 'Umeed' portal. This move comes at a time when the Trinamool Congress (TMC) is opposing the Centre's Waqf Amendment Bill. Know the reason behind this decision and its implications.)

Dec 1, 2025 - 20:11
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पश्चिम बंगाल: वक्फ संपत्तियों का डिजिटलीकरण शुरू, 'उम्मीद' पोर्टल पर अपलोड होंगे दस्तावेज
पश्चिम बंगाल सरकार का बड़ा फैसला: वक्फ संपत्तियों का होगा डिजिटलीकरण, 'उम्मीद' पोर्टल पर दर्ज होगा हर ब्योरा

कोलकाता: केंद्र सरकार के वक्फ संशोधन विधेयक (Waqf Amendment Bill) को लेकर चल रही राजनीतिक रस्साकशी के बीच, पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार ने एक प्रशासनिक कदम उठाते हुए राज्य की सभी वक्फ संपत्तियों के डिजिटलीकरण (Digitization) का आदेश जारी किया है। राज्य के अल्पसंख्यक मामलों और मदरसा शिक्षा विभाग ने निर्देश दिया है कि सभी वक्फ संपत्तियों का विवरण केंद्र सरकार के 'उम्मीद' (Umeed) पोर्टल पर अपलोड किया जाए।

यह कदम राजनीतिक हलकों में चर्चा का विषय बना हुआ है क्योंकि तृणमूल कांग्रेस (TMC) संसद में वक्फ संशोधन विधेयक का कड़ा विरोध कर रही है, लेकिन प्रशासनिक स्तर पर वह मौजूदा डिजिटल ढांचे (WAMSI) को अपनाने के लिए आगे बढ़ रही है।

क्या है सरकार का निर्देश?

पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा जारी निर्देश के अनुसार, राज्य वक्फ बोर्ड (Board of Auqaf) और सभी जिलाधिकारियों को यह सुनिश्चित करने के लिए कहा गया है कि वक्फ संपत्तियों का डेटाबेस अद्यतन (Update) किया जाए।

  1. पोर्टल: सभी संपत्तियों को WAMSI (Waqf Assets Management System of India) के नए इंटरफेस, जिसे 'उम्मीद' (Umeed) नाम दिया गया है, पर पंजीकृत किया जाना है।

  2. जिम्मेदारी: संपत्तियों के मुतवल्लियों (Mutawallis) या देखभाल करने वालों को अपनी संपत्तियों के दस्तावेज, नक्शे और अन्य कानूनी कागजात पोर्टल पर अपलोड करने होंगे।

  3. जियो-टैगिंग: संपत्तियों की जीआईएस मैपिंग (GIS Mapping) और जियो-टैगिंग भी इस प्रक्रिया का हिस्सा हो सकती है ताकि अतिक्रमण को रोका जा सके।

राजनीतिक विरोधाभास या प्रशासनिक जरूरत?

इस फैसले को लेकर एक दिलचस्प राजनीतिक स्थिति बन गई है।

  • विरोध: ममता बनर्जी की पार्टी TMC ने वक्फ संशोधन विधेयक, 2024 को "असंवैधानिक" और "मुस्लिम समुदाय के अधिकारों पर हमला" बताते हुए इसका विरोध किया है। उन्होंने संयुक्त संसदीय समिति (JPC) में भी इसके खिलाफ आवाज उठाई है।

  • अनुपालन: दूसरी ओर, राज्य सरकार 'उम्मीद' पोर्टल पर डेटा अपलोड करने के केंद्र के निर्देश का पालन कर रही है।

विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम राज्य सरकार द्वारा वक्फ संपत्तियों पर अपनी पकड़ मजबूत करने और पारदर्शिता लाने का प्रयास हो सकता है। डिजिटलीकरण से संपत्तियों का रिकॉर्ड सुरक्षित रहेगा, जिससे भविष्य में अवैध कब्जे या विवादों से निपटने में मदद मिलेगी। शायद राज्य सरकार यह सुनिश्चित करना चाहती है कि केंद्र के किसी भी नए कानून के लागू होने से पहले राज्य के पास अपनी संपत्तियों का पुख्ता डिजिटल रिकॉर्ड मौजूद हो।

'उम्मीद' पोर्टल क्या है?

'उम्मीद' पोर्टल भारत सरकार के अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय द्वारा शुरू की गई एक पहल है। इसका उद्देश्य देश भर की लाखों वक्फ संपत्तियों का एक केंद्रीय डिजिटल डेटाबेस तैयार करना है।

  • इससे संपत्तियों की ट्रैकिंग आसान होगी।

  • वक्फ की आय और व्यय में पारदर्शिता आएगी।

  • आम जनता और सरकार के लिए वक्फ रिकॉर्ड तक पहुंच सुगम होगी।

चुनौतियां और आगे की राह

पश्चिम बंगाल में वक्फ संपत्तियों की संख्या बहुत अधिक है, और उनमें से कई के दस्तावेज पुराने या अस्पष्ट हैं। मुतवल्लियों के लिए तकनीकी रूप से इस प्रक्रिया को पूरा करना एक चुनौती हो सकती है। इसके अलावा, कई संपत्तियों पर अवैध कब्जे या कानूनी विवाद चल रहे हैं, जिनका डिजिटलीकरण करते समय सामना करना पड़ेगा।

राज्य सरकार ने जिला प्रशासन को निर्देश दिया है कि वे इस प्रक्रिया में वक्फ संस्थानों की मदद करें और समयबद्ध तरीके से डेटा अपलोड सुनिश्चित करें।

निष्कर्ष: पश्चिम बंगाल सरकार का यह कदम संकेत देता है कि राजनीतिक मतभेदों के बावजूद, प्रशासन और तकनीक के स्तर पर केंद्र और राज्य के बीच सहयोग जारी है। वक्फ संपत्तियों का डिजिटलीकरण न केवल पारदर्शिता के लिए जरूरी है, बल्कि यह समुदाय की धरोहर को सुरक्षित रखने की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण कदम है। अब देखना यह होगा कि जमीनी स्तर पर इस आदेश का कितना पालन हो पाता है।