उत्तराखंड बादल फटने से तबाही: उत्तरकाशी में सैलाब ने मचाई भारी बर्बादी
उत्तराखंड के उत्तरकाशी में बादल फटने से अचानक आई बाढ़ (Flash Flood) ने धारली गाँव में भीषण तबाही मचाई है। कई घर और दुकानें बह गए हैं, जबकि कई लोग लापता बताए जा रहे हैं। इस प्राकृतिक आपदा के बाद राहत और बचाव कार्य जारी है। जानें इस घटना का पूरा हाल और हिमालयी क्षेत्रों में ऐसे खतरों की वजह।

पहाड़ों की शांत वादियों में अचानक आया सैलाब जिंदगी पर भारी पड़ सकता है, और उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में भी कुछ ऐसा ही मंजर देखने को मिला। खेर गंगा नदी के ऊपरी जलग्रहण क्षेत्र में बादल फटने की भयावह घटना के बाद धारली गाँव में भीषण बाढ़ आ गई, जिसने बड़े पैमाने पर तबाही मचाई। इस प्राकृतिक आपदा ने न सिर्फ घरों और दुकानों को बहा दिया, बल्कि कई लोगों को भी अपनी चपेट में ले लिया। इस त्रासदी ने पूरे गाँव में मातम और डर का माहौल बना दिया है।
यह घटना अचानक हुई, जिससे किसी को भी संभलने का मौका नहीं मिला। देखते ही देखते पानी का तेज बहाव और मलबा गाँव में घुस गया, जिसने हर चीज को अपने साथ बहा लिया। शुरुआती जानकारी के अनुसार, इस हादसे में चार लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि कई और लोगों के लापता होने की आशंका है। गाँव के लोग अपनी आंखों के सामने अपने घरों और आजीविका के साधनों को बहता देख बेबस थे। कुछ होटल और होमस्टे पूरी तरह से नष्ट हो गए हैं, और यह डर है कि मलबे के नीचे 10 से 12 मजदूर फंसे हो सकते हैं।
यह सिर्फ एक इलाका नहीं था जहाँ कुदरत का कहर टूटा। बड़कोट तहसील के बनला पट्टी इलाके में भी, कुड गधेरा नाम की एक बरसाती धारा के उफान पर आने से 18 बकरियाँ बह गईं, जिससे स्थानीय लोगों को भारी नुकसान हुआ है। इस तरह की घटनाएँ हिमालयी क्षेत्रों में मानसून के दौरान आम हो गई हैं, लेकिन हर बार इनकी तीव्रता और नुकसान हैरान करने वाला होता है।
क्या होता है बादल फटना और क्यों होता है यह हिमालयी क्षेत्रों में?
बादल फटना (Cloudburst) एक बेहद चरम मौसम की घटना है। यह तब होता है जब एक सीमित भौगोलिक क्षेत्र में बहुत कम समय में, आमतौर पर 20-30 मिनट के भीतर, अत्यधिक भारी वर्षा होती है। इस दौरान इतनी अधिक मात्रा में पानी गिरता है कि जमीन उसे सोख नहीं पाती, जिससे अचानक बाढ़ (Flash Flood) आ जाती है। यह घटना अक्सर तब होती है जब भारी वर्षा वाले बादल एक ही स्थान पर फंस जाते हैं, और गुरुत्वाकर्षण के कारण पूरा पानी एक साथ नीचे गिर जाता है।
हिमालयी क्षेत्र, अपनी ऊँची-नीची और खड़ी ढलानों के कारण, बादल फटने जैसी घटनाओं के प्रति बहुत संवेदनशील होते हैं। यहाँ की भौगोलिक स्थिति और मौसम का मिजाज दोनों ही इस तरह के हादसों के लिए अनुकूल हैं। हिमालयी क्षेत्र में आने वाले बादल अक्सर पहाड़ों की ऊँची चोटियों से टकराकर वहीं रुक जाते हैं, जिससे बादल फटने की संभावना बढ़ जाती है। इसके अलावा, यहाँ की चट्टानें और मिट्टी बहुत कमजोर होती हैं, और तेज बहाव के कारण बड़े पैमाने पर भूस्खलन (Landslide) और मलबा प्रवाह (Debris Flow) भी होता है, जो तबाही को और भी बढ़ा देता है।
राहत और बचाव कार्य: सरकार और प्रशासन की तत्परता
इस भीषण आपदा के तुरंत बाद, सरकार और विभिन्न एजेंसियों ने राहत और बचाव कार्य शुरू कर दिया। भारतीय सेना, राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF), और राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (SDRF) की टीमों को तुरंत प्रभावित क्षेत्रों में भेजा गया है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से बात की और उन्हें भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) और NDRF की मदद से राहत कार्यों को तेज करने का निर्देश दिया।
हर्सील और भटवारी से बचाव दल तुरंत धारली गाँव की ओर रवाना हुए हैं, ताकि मलबे में फंसे लोगों का पता लगाया जा सके और उन्हें सुरक्षित बाहर निकाला जा सके। यह एक अत्यंत चुनौतीपूर्ण कार्य है, क्योंकि बारिश और खराब मौसम के कारण बचाव कार्यों में बाधा आ रही है। सरकार ने प्रभावित परिवारों को हर संभव मदद का भरोसा दिया है और नुकसान का आकलन करने के लिए टीमें गठित की हैं।