क्या बच्चों को दिल की बीमारियों के लिए स्क्रीनिंग की जानी चाहिए?
बच्चों में दिल की बीमारियों की जांच पर डॉक्टरों के बीच बहस छिड़ी हुई है। यह लेख बताता है कि यूनिवर्सल स्क्रीनिंग क्यों जरूरी नहीं है और किन बच्चों को दिल की बीमारियों की जांच करवानी चाहिए।
बच्चों में दिल की बीमारियों की बढ़ती घटनाओं ने माता-पिता और डॉक्टरों दोनों के बीच चिंता बढ़ा दी है। लेकिन, क्या हर बच्चे को दिल की बीमारी के लिए स्क्रीनिंग की जानी चाहिए? इस सवाल पर चिकित्सा समुदाय में बहस छिड़ी हुई है। कुछ विशेषज्ञ यूनिवर्सल स्क्रीनिंग का समर्थन करते हैं, जबकि अधिकांश का मानना है कि यह न तो लागत प्रभावी है और न ही हमेशा आवश्यक है।
क्यों यूनिवर्सल स्क्रीनिंग आवश्यक नहीं है?
अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन (AHA) जैसे कई प्रमुख चिकित्सा निकाय बच्चों के लिए व्यापक कार्डियक स्क्रीनिंग की सिफारिश नहीं करते हैं। इसके पीछे कई ठोस कारण हैं:
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उच्च झूठे-सकारात्मक दर (High False-Positive Rate): बच्चों में ईसीजी जैसे स्क्रीनिंग टेस्ट अक्सर झूठे-सकारात्मक परिणाम देते हैं। इसका मतलब है कि रिपोर्ट में एक समस्या दिखाई देती है, लेकिन वास्तव में कोई बीमारी नहीं होती है। इससे माता-पिता में अनावश्यक तनाव और चिंता पैदा होती है और उन्हें आगे की महंगी और अनावश्यक जांचों के लिए मजबूर होना पड़ता है।
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लागत-लाभ अनुपात (Cost-Benefit Ratio): पूरे देश के सभी बच्चों की स्क्रीनिंग करना बहुत महंगा है, और इस प्रक्रिया से मिलने वाले परिणाम बहुत कम होते हैं। सार्वजनिक स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से, यह एक लागत प्रभावी रणनीति नहीं है।
किन बच्चों की स्क्रीनिंग जरूरी है?
विशेषज्ञों का मानना है कि यूनिवर्सल स्क्रीनिंग के बजाय लक्षित स्क्रीनिंग (Targeted Screening) अधिक प्रभावी है। इन स्थितियों में स्क्रीनिंग की सिफारिश की जाती है:
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पारिवारिक इतिहास: अगर परिवार में किसी को दिल की बीमारी, विशेष रूप से जन्मजात हृदय दोष (congenital heart defect) या कम उम्र में अचानक कार्डियक डेथ (sudden cardiac death) का इतिहास रहा है, तो बच्चे की जांच करवाना जरूरी है।
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लक्षण: यदि बच्चा सीने में दर्द, सांस लेने में तकलीफ, चक्कर आना या बेहोश होने जैसे लक्षण दिखाता है, तो तुरंत डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए।
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एथलीट: युवा एथलीटों को दिल की बीमारियों के लिए जांच करवाना बेहद महत्वपूर्ण है। हाइपरट्रॉफिक कार्डियोमायोपैथी (HCM), जो दिल की मांसपेशी का मोटा होना है, युवा एथलीटों में अचानक मृत्यु का सबसे बड़ा कारण है।
बच्चों में आम दिल की बीमारियां
बच्चों में दिल की कुछ सबसे आम बीमारियां हैं:
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जन्मजात हृदय दोष (Congenital Heart Defects): ये जन्म के समय दिल की संरचना में समस्याएं हैं।
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हाइपरट्रॉफिक कार्डियोमायोपैथी (HCM): यह एक ऐसी स्थिति है जिसमें दिल की मांसपेशी असामान्य रूप से मोटी हो जाती है, जिससे रक्त पंप करने में कठिनाई होती है।
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अतालता (Arrhythmias): यह दिल की धड़कन में अनियमितता है, जो कभी-कभी जानलेवा हो सकती है।
विशेषज्ञों की अंतिम सलाह
बच्चों के दिल की सुरक्षा के लिए सबसे अच्छा तरीका यह है कि माता-पिता इन बीमारियों के चेतावनी संकेतों के बारे में जागरूक हों। एक संपूर्ण शारीरिक जांच और परिवार के इतिहास की जानकारी अक्सर ईसीजी से ज्यादा प्रभावी होती है।