दुबई दुनिया के 10 सबसे महंगे शहरों में शामिल: निवासियों पर असर

जूलियस बेयर की 2025 रिपोर्ट के अनुसार, दुबई दुनिया के अमीरों के लिए 7वां सबसे महंगा शहर बन गया है। जानिए लक्जरी संपत्तियों और कारों की बढ़ती कीमतों के कारण यह कैसे हुआ, और इसका सामान्य निवासियों, खासकर मध्यम आय वर्ग के प्रवासियों पर क्या असर पड़ रहा है।

Jul 19, 2025 - 19:48
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दुबई दुनिया के 10 सबसे महंगे शहरों में शामिल: निवासियों पर असर
दुबई दुनिया के 10 सबसे महंगे शहरों में शामिल: अमीरों के लिए स्वर्ग, आम निवासियों के लिए बढ़ती चुनौतियाँ

दुबई: संयुक्त अरब अमीरात का चमकदार शहर दुबई, अपनी भव्यता और बेजोड़ लक्जरी जीवन शैली के लिए जाना जाता है, अब वैश्विक स्तर पर अमीरों के लिए दुनिया के सबसे महंगे शहरों में से एक बन गया है। जूलियस बेयर की '2025 ग्लोबल वेल्थ एंड लाइफस्टाइल रिपोर्ट' के अनुसार, दुबई वैश्विक रैंकिंग में तेजी से ऊपर चढ़कर सातवें स्थान पर पहुंच गया है, जिससे यह मध्य पूर्व में उच्च निवल मूल्य वाले व्यक्तियों (HNWIs) के लिए सर्वोच्च रैंक वाला शहर बन गया है। यह वृद्धि मुख्य रूप से लक्जरी संपत्तियों और कारों की कीमतों में उल्लेखनीय उछाल के कारण हुई है, जो वैश्विक अभिजात वर्ग को दुबई की ओर आकर्षित कर रहा है। हालांकि, इस शानदार चमक के पीछे, आम निवासियों और मध्यम आय वर्ग के प्रवासियों के लिए बढ़ती सामर्थ्य की चिंताएं भी खड़ी हो गई हैं।

दुबई लंबे समय से एक ऐसे गंतव्य के रूप में उभरा है जो दुनिया भर के धनवानों को अपनी ओर खींचता है। इसकी कर-मुक्त नीतियां, विश्व स्तरीय बुनियादी ढांचा और एक स्थिर आर्थिक वातावरण इसे धनी व्यक्तियों के लिए एक पसंदीदा स्थान बनाते हैं। लेकिन 2025 की रिपोर्ट दिखाती है कि यह शहर अब सिर्फ आकर्षित ही नहीं कर रहा, बल्कि अपनी उच्च लागत के कारण शीर्ष लीग में भी मजबूती से स्थापित हो रहा है।

लागत में उछाल: लक्जरी संपत्ति और कारों का प्रभाव

रिपोर्ट के अनुसार, दुबई के इस उदय के पीछे दो प्रमुख कारक हैं:

  1. लक्जरी संपत्तियों की कीमतों में वृद्धि (Luxury Property Price Surge): दुबई में लक्जरी संपत्तियों की कीमतों में 17% की भारी वृद्धि दर्ज की गई है। यह वृद्धि शहर में बढ़ते निवेश, विदेशी धन के प्रवाह और उच्च-स्तरीय जीवन शैली की बढ़ती मांग का परिणाम है। बुर्ज खलीफा, पाम जुमेराह और दुबई मरीना जैसे प्रतिष्ठित स्थानों पर आलीशान अपार्टमेंट और विला की मांग हमेशा ऊंची रहती है, जिससे कीमतें आसमान छू रही हैं।

  2. लक्जरी कारों की कीमतों में वृद्धि (Luxury Car Price Climb): लक्जरी कारों की कीमतों में भी 13% की बढ़ोतरी देखी गई है। दुबई की सड़कें महंगी और आकर्षक कारों से भरी रहती हैं, जो यहां के समृद्ध जीवन का एक प्रतीक है। आयातित लक्जरी वाहनों की बढ़ती मांग और सीमित आपूर्ति ने कीमतों को ऊपर धकेला है।

ये दोनों कारक, संयुक्त रूप से, दुबई को अमीरों के लिए एक असाधारण रूप से महंगा शहर बनाते हैं। यहां की जीवन शैली में केवल संपत्ति या कारें ही नहीं, बल्कि उच्च-स्तरीय सेवाएं, निजी क्लबों की सदस्यता, बढ़िया भोजन और विशेष अनुभव भी शामिल हैं, जो सभी प्रीमियम कीमतों पर आते हैं।

दुबई की रणनीतिक नीतियां और वैश्विक धन का आकर्षण

दुबई की सरकार ने जानबूझकर ऐसी नीतियां बनाई हैं जो वैश्विक धन और प्रतिभा को आकर्षित करती हैं। इनमें से कुछ प्रमुख नीतियां और कारक शामिल हैं:

  • गोल्डन वीजा (Golden Visa): यह दीर्घकालिक निवास वीजा उच्च निवल मूल्य वाले निवेशकों, उद्यमियों, विशिष्ट प्रतिभाओं और पेशेवरों को दुबई में रहने और काम करने की अनुमति देता है। यह योजना बड़ी संख्या में धनी व्यक्तियों को आकर्षित करती है जो दुबई को अपना आधार बनाना चाहते हैं।

  • व्यक्तिगत आय पर शून्य कर (Zero Personal Income Tax): यह शायद सबसे बड़ा आकर्षण है। दुबई में व्यक्तिगत आय पर कोई कर नहीं लगता, जिससे धनी व्यक्ति अपनी कमाई का एक बड़ा हिस्सा बचा पाते हैं। यह उन्हें अन्य उच्च-कर वाले देशों से स्थानांतरित होने के लिए प्रोत्साहित करता है।

  • विकसित लक्जरी बाजार (Developed Luxury Market): दुबई में एक परिपक्व और विशाल लक्जरी बाजार है जो हर तरह की उच्च-स्तरीय वस्तुओं और सेवाओं की पेशकश करता है। इसमें डिजाइनर स्टोर, मिशेलिन-स्टार रेस्तरां, शानदार रिसॉर्ट्स और मनोरंजन के विकल्प शामिल हैं।

  • विश्व स्तरीय बुनियादी ढांचा (World-Class Infrastructure): आधुनिक हवाई अड्डे, कुशल परिवहन प्रणाली, उन्नत स्वास्थ्य सेवा और शैक्षिक सुविधाएं दुबई को एक आरामदायक और सुविधाजनक स्थान बनाती हैं, खासकर धनी व्यक्तियों के लिए।

  • राजनीतिक और आर्थिक स्थिरता (Political and Economic Stability): यूएई की मजबूत और स्थिर सरकार, साथ ही एक विविध अर्थव्यवस्था, निवेशकों को सुरक्षा और आत्मविश्वास प्रदान करती है।

इन रणनीतिक कदमों ने दुबई को सफलतापूर्वक एक लक्जरी हब के रूप में मजबूत किया है, जहां दुनिया भर के धनी लोग निवेश करने, रहने और अपने व्यवसायों को विकसित करने के लिए आते हैं।

आम निवासियों पर प्रभाव: सामर्थ्य की बढ़ती चिंताएँ

हालांकि दुबई का अमीरों के लिए स्वर्ग बनना एक आर्थिक सफलता की कहानी है, लेकिन इसका एक दूसरा पहलू भी है जो शहर में रहने वाले मध्यम आय वर्ग के प्रवासियों के लिए चुनौतियाँ खड़ी करता है। बढ़ती लागत, विशेष रूप से आवास और स्कूली शिक्षा में, इस वर्ग के लिए चिंता का विषय बन गई है।

  • आवास की बढ़ती लागत (Rising Housing Costs): जैसे-जैसे लक्जरी संपत्तियों की कीमतें बढ़ती हैं, इसका असर पूरे रियल एस्टेट बाजार पर पड़ता है। किराए में वृद्धि और किफायती आवास की कमी मध्यम आय वाले परिवारों के लिए एक बड़ी समस्या बन रही है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर कई प्रवासी अपनी जीवन शैली को बनाए रखने में कठिनाई व्यक्त कर रहे हैं, क्योंकि वेतन में ठहराव के मुकाबले खर्च बढ़ रहे हैं।

  • स्कूली शिक्षा का बोझ (Burden of Schooling): दुबई में अंतर्राष्ट्रीय स्कूलों की फीस बहुत अधिक होती है। जैसे-जैसे शहर की आबादी बढ़ती है और मांग बढ़ती है, इन फीस में भी वृद्धि होती है, जिससे परिवारों पर अतिरिक्त वित्तीय दबाव पड़ता है, खासकर जिनके बच्चे स्कूल जाते हैं।

  • वेतन का ठहराव बनाम बढ़ती महंगाई (Stagnant Wages vs. Rising Inflation): कई मध्यम आय वाले प्रवासियों का कहना है कि उनके वेतन में उस दर से वृद्धि नहीं हो रही है जिस दर से जीवन यापन की लागत बढ़ रही है। इससे उनके पास खर्च करने योग्य आय कम हो रही है और उन्हें अपनी जीवन शैली में कटौती करनी पड़ रही है।

विशेषज्ञों का मानना है कि यदि मध्य-स्तरीय वेतन में वृद्धि नहीं होती है या किफायती आवास परियोजनाओं को गति नहीं मिलती है, तो दुबई अपने कार्यबल के एक महत्वपूर्ण हिस्से को खोने का जोखिम उठा सकता है। यह चिंता का विषय है क्योंकि शहर की अर्थव्यवस्था केवल उच्च निवल मूल्य वाले व्यक्तियों पर ही नहीं, बल्कि विभिन्न क्षेत्रों में काम करने वाले व्यापक कार्यबल पर भी निर्भर करती है।

दुबई की अगली बड़ी नीतिगत चुनौती: संतुलन साधना

दुबई के नेताओं के सामने अब एक महत्वपूर्ण नीतिगत चुनौती है: अल्ट्रा-वेल्थ को आकर्षित करने और व्यापक-आधारित सामर्थ्य के बीच संतुलन स्थापित करना। शहर को अपनी वैश्विक अपील बनाए रखने की आवश्यकता है, लेकिन साथ ही यह भी सुनिश्चित करना होगा कि यह उन प्रवासियों के लिए भी रहने योग्य बना रहे जो इसकी अर्थव्यवस्था को चलाते हैं।

इस संतुलन को साधने के लिए दुबई सरकार को कई कदम उठाने पड़ सकते हैं:

  • किफायती आवास समाधान (Affordable Housing Solutions): डेवलपर्स को किफायती और मध्य-श्रेणी के आवास परियोजनाओं में निवेश करने के लिए प्रोत्साहित करना।

  • वेतन वृद्धि की नीतियां (Wage Growth Policies): यह सुनिश्चित करने के लिए नीतियां विकसित करना कि वेतन वृद्धि जीवन यापन की लागत के साथ तालमेल बिठाए।

  • शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा में निवेश (Investment in Education and Healthcare): किफायती और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा व स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच सुनिश्चित करना।

  • स्थानीय अर्थव्यवस्था का विविधीकरण (Diversification of Local Economy): केवल लक्जरी खंड पर निर्भर रहने के बजाय, अन्य क्षेत्रों में भी विकास को बढ़ावा देना जो विभिन्न आय स्तरों पर नौकरियां पैदा करते हैं।

यह चुनौती सिर्फ दुबई के लिए ही नहीं, बल्कि लंदन, न्यूयॉर्क और सिंगापुर जैसे कई अन्य वैश्विक शहरों के लिए भी आम है, जो अपनी सफलता के कारण उच्च लागत वाले बन गए हैं।