लघु शीर्षक: रक्षा निवेश: भारत की अर्थव्यवस्था का नया इंजन - केंद्रीय मंत्री सिंह

केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह ने रेखांकित किया है कि रक्षा क्षेत्र में निवेश अब केवल एक व्यय नहीं, बल्कि भारतीय अर्थव्यवस्था पर एक 'गुणक प्रभाव' वाला उत्प्रेरक है। उन्होंने रक्षा बजट के judicious उपयोग और पूर्व सैनिकों के लिए बेहतर सेवाओं के महत्व पर जोर दिया। यह लेख बताता है कैसे Defence sector का विकास India की आर्थिक प्रगति में सहायक है।

Jul 7, 2025 - 19:34
Jul 7, 2025 - 19:57
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लघु शीर्षक: रक्षा निवेश: भारत की अर्थव्यवस्था का नया इंजन - केंद्रीय मंत्री सिंह
रक्षा क्षेत्र में निवेश: भारत की अर्थव्यवस्था के लिए एक उत्प्रेरक शक्ति - केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह ने किया रेखांकित

छत्रपति संभाजी नगर, महाराष्ट्र: एक महत्वपूर्ण विकास में, केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह ने भारत के रक्षा क्षेत्र में किए गए निवेश के आर्थिक लाभों को विस्तार से समझाया है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि रक्षा व्यय को अब केवल एक आवश्यक लागत के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए, बल्कि इसे अर्थव्यवस्था पर 'गुणक प्रभाव' (multiplier impact) डालने वाले व्यय के रूप में पहचानना चाहिए। सिंह के इस बयान ने देश की आर्थिक विकास रणनीति में रक्षा क्षेत्र की बढ़ती भूमिका को उजागर किया है।

अतीत में, रक्षा खर्च के आर्थिक प्रभाव का आकलन उतनी गंभीरता से नहीं किया जाता था। हालांकि, राजनाथ सिंह ने बताया कि पुन: शस्त्रीकरण (re-armament) में अभूतपूर्व वृद्धि के साथ यह धारणा बदल गई है। अब 'रक्षा अर्थशास्त्र' (Defence economics) पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है, क्योंकि रक्षा क्षेत्र में होने वाले निवेश का सकल घरेलू उत्पाद (GDP) पर सीधा और सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। यह सिर्फ राष्ट्रीय सुरक्षा का मामला नहीं रहा, बल्कि अब यह राष्ट्रीय समृद्धि का भी एक अभिन्न अंग बन गया है।

रक्षा बजट का विवेकपूर्ण उपयोग: राष्ट्रीय प्राथमिकता

केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह ने इस बात पर विशेष बल दिया कि भारत का रक्षा बजट कई देशों के सकल घरेलू उत्पाद से भी बड़ा है। इस विशाल बजट का विवेकपूर्ण और कुशल उपयोग अत्यंत महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि करदाताओं के पैसे का सही समय पर और सही उद्देश्यों के लिए कुशलतापूर्वक उपयोग किया जाए। इसका अर्थ है कि खरीद प्रक्रियाओं में पारदर्शिता, दक्षता और समयबद्धता होनी चाहिए, ताकि रक्षा क्षमताओं को मजबूत करने के साथ-साथ आर्थिक विकास को भी बढ़ावा मिल सके।

यह दृष्टिकोण 'आत्मनिर्भर भारत' (Self-Reliant India) के व्यापक राष्ट्रीय लक्ष्य के अनुरूप है, विशेष रूप से रक्षा उत्पादन के क्षेत्र में। घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने, अनुसंधान और विकास में निवेश करने तथा निजी क्षेत्र की भागीदारी को प्रोत्साहित करने से न केवल आयात पर निर्भरता कम होती है, बल्कि देश के भीतर रोजगार के अवसर भी पैदा होते हैं, तकनीकी नवाचार को बढ़ावा मिलता है और एक मजबूत औद्योगिक आधार तैयार होता है।

प्रमुख पहलें और पूर्व सैनिकों का कल्याण

अपने संबोधन में, राजनाथ सिंह ने कुछ महत्वपूर्ण पहलों की सराहना की और भविष्य के लिए दिशा-निर्देश भी दिए। उन्होंने 'रक्षा अधिग्रहण परिषद' (Defence Acquisition Council) की सराहना की, जिसने 'गवर्नमेंट ई-मार्केटप्लेस' (GeM) के माध्यम से खरीद शुरू करके पारदर्शिता और दक्षता लाई है। GeM पोर्टल सरकारी विभागों को वस्तुओं और सेवाओं की खरीद के लिए एक ऑनलाइन मंच प्रदान करता है, जिससे प्रक्रियाएं सुव्यवस्थित होती हैं और भ्रष्टाचार की गुंजाइश कम होती है। यह पहल रक्षा खरीद को और अधिक प्रभावी बनाएगी, जिससे राष्ट्रीय संसाधनों का बेहतर उपयोग सुनिश्चित होगा।

इसके अतिरिक्त, केंद्रीय मंत्री ने देश की सेवा करने वाले पूर्व सैनिकों के लिए बेहतर सेवाओं की आवश्यकता पर भी जोर दिया। उन्होंने 'पूर्व सैनिकों के लिए केंद्रीकृत डेटाबेस प्रबंधन' (centralized database management) की शुरुआत की प्रशंसा की, जिसे एक महत्वपूर्ण कदम बताया। यह पहल पूर्व सैनिकों को मिलने वाले लाभों और सेवाओं को अधिक सुलभ और कुशल बनाने में मदद करेगी, जो राष्ट्र निर्माण में उनके अमूल्य योगदान के लिए एक सम्मानजनक वापसी है। पूर्व सैनिकों का कल्याण न केवल एक नैतिक दायित्व है, बल्कि यह सेना के जवानों के मनोबल और भविष्य की पीढ़ियों के लिए सैन्य सेवा को आकर्षक बनाने हेतु भी महत्वपूर्ण है।

आर्थिक गुणक प्रभाव: रोजगार, नवाचार और निर्यात

रक्षा क्षेत्र में निवेश का 'गुणक प्रभाव' कई तरीकों से प्रकट होता है:

  • रोजगार सृजन: रक्षा उपकरणों के उत्पादन, अनुसंधान और विकास, और संबंधित सेवाओं में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से बड़ी संख्या में रोजगार के अवसर पैदा होते हैं।

  • औद्योगिक विकास: यह रक्षा-संबंधित उद्योगों के विकास को बढ़ावा देता है, जिससे सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (MSMEs) को भी लाभ होता है जो घटकों और सहायक सेवाओं की आपूर्ति करते हैं।

  • प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और नवाचार: स्वदेशीकरण पर जोर देने से उन्नत प्रौद्योगिकियों के विकास और हस्तांतरण को बढ़ावा मिलता है। रक्षा प्रौद्योगिकियों का दोहरा उपयोग (dual-use) अक्सर नागरिक क्षेत्रों में भी नवाचार को जन्म देता है।

  • निर्यात क्षमता: रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भरता हासिल करने से भारत को रक्षा उपकरणों का एक महत्वपूर्ण निर्यातक बनने में मदद मिलती है, जिससे विदेशी मुद्रा अर्जित होती है और व्यापार घाटा कम होता है।

  • बुनियादी ढांचा विकास: रक्षा परियोजनाओं के लिए आवश्यक बुनियादी ढांचा विकास, जैसे सड़क, बंदरगाह, और हवाई अड्डे, नागरिक उपयोग के लिए भी उपयोगी होते हैं।

राजनाथ सिंह के बयान इस बात पर प्रकाश डालते हैं कि भारत अब रक्षा खर्च को केवल एक सुरक्षा व्यय के रूप में नहीं देखता, बल्कि इसे एक रणनीतिक आर्थिक निवेश के रूप में देखता है। यह सुनिश्चित करके कि हर रुपया कुशलता से खर्च हो, सरकार का लक्ष्य न केवल देश को सुरक्षित करना है, बल्कि आर्थिक विकास के एक नए युग को भी बढ़ावा देना है। यह दृष्टिकोण भारत को एक वैश्विक शक्ति के रूप में मजबूत करने के लिए रक्षा और अर्थव्यवस्था के बीच तालमेल को अधिकतम करने की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। यह नीतिगत बदलाव देश के भविष्य के लिए एक महत्वपूर्ण दिशा निर्धारित करता है, जहां रक्षा आत्मनिर्भरता आर्थिक समृद्धि का एक शक्तिशाली स्तंभ बन जाती है।