जायकवाड़ी बांध 83% भरा: मराठवाड़ा की जीवनरेखा लबालब, एकतरफा जल निकासी शुरू, किसानों और शहरों को राहत

मराठवाड़ा क्षेत्र की जीवनरेखा कहे जाने वाले जायकवाड़ी प्रमुख सिंचाई परियोजना का जलस्तर बढ़कर 83% हो गया है। जलग्रहण क्षेत्रों में लगातार बारिश और ऊपरी इलाकों से मजबूत प्रवाह के कारण बांध लबालब भर गया है, जिसके बाद बांध से एकतरफा जल निकासी (दाहिनी नहर से 1,100 क्यूसेक) शुरू कर दी गई है। यह खबर क्षेत्र के किसानों और शहरी आबादी के लिए बड़ी राहत लेकर आई है, जो पानी की कमी की चिंताओं से जूझ रहे थे।

Jul 28, 2025 - 22:33
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जायकवाड़ी बांध 83% भरा: मराठवाड़ा की जीवनरेखा लबालब, एकतरफा जल निकासी शुरू, किसानों और शहरों को राहत
जायकवाड़ी बांध लबालब: मराठवाड़ा की जीवनरेखा हुई हरी-भरी, 83% भंडारण के साथ जल निकासी आरंभ

महाराष्ट्र के मराठवाड़ा क्षेत्र की जीवनरेखा माने जाने वाले जायकवाड़ी प्रमुख सिंचाई परियोजना में पानी का स्तर रविवार शाम तक प्रभावशाली ढंग से 83% तक पहुंच गया है। जलग्रहण क्षेत्रों में हुई लगातार बारिश और ऊपरी इलाकों से आ रहे मजबूत जल प्रवाह के कारण बांध का जलाशय, जिसे नाथसागर के नाम से भी जाना जाता है, अब लबालब भरा हुआ है, जिससे पूरे क्षेत्र में खुशी और राहत की लहर दौड़ गई है। यह पिछले साल की इसी अवधि की तुलना में एक नाटकीय सुधार है, जब बांध में केवल 5% ही पानी का भंडारण था।

मानसून की bountiful कृपा: एक साल में बदला परिदृश्य

जायकवाड़ी बांध में जलस्तर की यह वृद्धि सीधे तौर पर मौजूदा मानसून सत्र की देन है। बांध के मुख्य जलग्रहण क्षेत्र, जो नासिक और अहमदनगर जिलों में फैले हुए हैं, में लगातार अच्छी बारिश हुई है। इसके साथ ही, गोदावरी नदी प्रणाली पर स्थित ऊपरी बांधों, जैसे कि गंगापुर, दारणा और भंडारदरा से भी जायकवाड़ी में भारी मात्रा में पानी छोड़ा गया है। रविवार शाम 6 बजे तक, नाथसागर जलाशय में 18,965 क्यूसेक का महत्वपूर्ण प्रवाह दर्ज किया जा रहा था, जो पानी की आवक की तीव्रता को दर्शाता है। यह आंकड़ा पिछले साल की निराशाजनक स्थिति के विपरीत है, जब मराठवाड़ा को गंभीर जल संकट का सामना करना पड़ा था। 5% से 83% तक का यह उछाल मानसून की अप्रत्याशित कृपा और जल प्रबंधन के महत्व को उजागर करता है।

सतर्क जल निकासी: किसानों की मांगों पर विचार

बांध में पानी के बढ़ते स्तर को देखते हुए, जायकवाड़ी बांध प्रबंधन ने अब जल निकासी शुरू कर दी है। वर्तमान में, पानी केवल दाहिनी नहर से 1,100 क्यूसेक की दर से छोड़ा जा रहा है। जायकवाड़ी बांध के प्रभारी अधिकारी मंगेश शेलार ने बताया कि बाईं नहर से पानी की निकासी रोकने का निर्णय किसानों के अनुरोध के बाद लिया गया था। शेलार ने समझाया कि नवीनतम मानसून के पुनरुद्धार से पहले कमांड क्षेत्र में अपर्याप्त वर्षा के कारण खरीफ फसलों के लिए पहले ही पानी छोड़ा जा चुका था। किसानों ने आगे पानी छोड़ने के बजाय मौजूदा पानी का बेहतर उपयोग करने और उसे भविष्य के लिए आरक्षित रखने का आग्रह किया था। बांध अधिकारी मौसम की स्थिति और ऊपरी प्रवाह की मात्रा के आधार पर बांध से भविष्य में होने वाली निकासी को गतिशील रूप से समायोजित करेंगे, ताकि जल का अधिकतम और कुशल उपयोग सुनिश्चित किया जा सके।

किसानों और शहरी आबादी को मिली बड़ी राहत

जायकवाड़ी बांध का भरना मराठवाड़ा क्षेत्र के किसानों के लिए एक बड़ी राहत लेकर आया है। यह क्षेत्र अक्सर सूखे और पानी की कमी से जूझता रहा है, जिससे कृषि उत्पादन और किसानों की आजीविका पर सीधा असर पड़ता है। बांध में पर्याप्त पानी होने से अब खरीफ फसलों को पर्याप्त सिंचाई मिल सकेगी, और आगामी रबी फसलों के लिए भी पानी की उपलब्धता सुनिश्चित होगी। इससे किसानों को अपनी फसलों के खराब होने की चिंता से मुक्ति मिलेगी और कृषि उत्पादन में वृद्धि की उम्मीद की जा सकेगी।

कृषि के अलावा, जायकवाड़ी बांध मराठवाड़ा के प्रमुख शहरों और कस्बों के लिए पीने के पानी का भी एक महत्वपूर्ण स्रोत है, जिसमें छत्रपति संभाजीनगर (औरंगाबाद) और जालना जैसे शहर शामिल हैं। बांध के लबालब भरने से इन शहरी केंद्रों के लिए अगले पूरे वर्ष के लिए पीने के पानी की आपूर्ति सुनिश्चित हो गई है, जिससे जल संकट की आशंकाएं फिलहाल दूर हो गई हैं। यह लाखों लोगों के जीवन पर सीधा और सकारात्मक प्रभाव डालेगा।

मराठवाड़ा के अन्य प्रमुख परियोजनाओं में भी सुधार

जायकवाड़ी बांध की यह स्थिति पूरे मराठवाड़ा क्षेत्र के लिए एक सकारात्मक संकेत है। हाल ही में हुई बारिश के कारण, जायकवाड़ी बांध सहित मराठवाड़ा की 11 प्रमुख सिंचाई परियोजनाओं में भी जलस्तर में उल्लेखनीय सुधार देखा गया है। रविवार सुबह तक, इन सभी परियोजनाओं में कुल मिलाकर 68% लाइव भंडारण दर्ज किया गया, जबकि पिछले साल इसी अवधि में यह केवल 18% था। यह दर्शाता है कि मानसून ने पूरे क्षेत्र को राहत प्रदान की है, जिससे जल सुरक्षा में काफी सुधार हुआ है। इन परियोजनाओं में मजलगांव, लोअर तेरना, सिनाकोलेगम, येलदरी, सिद्धेश्वर, और मांजरा बांध शामिल हैं, जो मराठवाड़ा के विभिन्न हिस्सों में सिंचाई और पेयजल आपूर्ति के लिए महत्वपूर्ण हैं।

स्थिरता और आगे की राह: सतत जल प्रबंधन की आवश्यकता

जायकवाड़ी बांध का भरना मराठवाड़ा के लिए एक वरदान है, लेकिन यह जल प्रबंधन के सतत प्रयासों की आवश्यकता को भी रेखांकित करता है। अतीत में इस क्षेत्र ने कई गंभीर सूखे देखे हैं, जिससे यह सबक मिलता है कि जल एक अनमोल संसाधन है जिसका बुद्धिमानी से उपयोग किया जाना चाहिए। अधिकारियों को पानी के नुकसान को कम करने, सिंचाई के आधुनिक तरीकों को बढ़ावा देने और जल संरक्षण के उपायों को लागू करने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। सामुदायिक भागीदारी और जल साक्षरता भी इस प्रयास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी, ताकि हर बूंद का सदुपयोग हो सके।

कुल मिलाकर, जायकवाड़ी बांध का लबालब भरना मराठवाड़ा के लोगों के लिए एक बड़ी खुशी और आश्वासन का स्रोत है। यह अच्छी फसल, पर्याप्त पीने के पानी और एक समृद्ध भविष्य की उम्मीदें जगाता है, यह साबित करते हुए कि सही समय पर मिली बारिश किसी भी क्षेत्र की तस्वीर बदल सकती है।