CBSE ने 2025-26 बोर्ड परीक्षाओं में किए बड़े बदलाव: 10वीं के लिए दो परीक्षा और 'अपार ID' अनिवार्य

केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) ने 2025-26 शैक्षणिक सत्र की बोर्ड परीक्षाओं के लिए कई महत्वपूर्ण बदलावों की घोषणा की है। इनमें 10वीं कक्षा के लिए 'डुअल एग्जाम पॉलिसी' (Dual Exam Policy) और APAAR ID (Automated Permanent Academic Account Registry) को LOC (List of Candidates) के साथ अनिवार्य रूप से जोड़ना शामिल है। जानें कैसे ये बदलाव छात्रों के तनाव को कम करेंगे और शिक्षा प्रणाली को आधुनिक बनाएंगे।

Aug 27, 2025 - 23:03
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CBSE ने 2025-26 बोर्ड परीक्षाओं में किए बड़े बदलाव: 10वीं के लिए दो परीक्षा और 'अपार ID' अनिवार्य
सीबीएसई का ऐतिहासिक फैसला: 10वीं के लिए अब दो बार बोर्ड परीक्षा, 'अपार ID' लिंकिंग भी अनिवार्य

चंडीगढ़, भारत: केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) ने 2025-26 शैक्षणिक सत्र से शुरू होने वाली बोर्ड परीक्षाओं के लिए कई ऐतिहासिक और छात्र-हितैषी बदलावों की घोषणा की है। ये बदलाव विशेष रूप से 10वीं कक्षा के छात्रों के लिए किए गए हैं, जिनका उद्देश्य परीक्षा के तनाव को कम करना, लचीलापन बढ़ाना और शिक्षा प्रणाली को राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP 2020) के दृष्टिकोण के अनुरूप बनाना है। इन महत्वपूर्ण बदलावों में 'डुअल एग्जाम पॉलिसी' (Dual Exam Policy) और अपार ID (APAAR ID) को अनिवार्य रूप से लिंकिंग करना शामिल है।

10वीं के लिए 'डुअल एग्जाम पॉलिसी': तनाव होगा कम, प्रदर्शन होगा बेहतर

सीबीएसई की 'डुअल एग्जाम पॉलिसी' 10वीं कक्षा के छात्रों के लिए एक गेम-चेंजर साबित हो सकती है। इस नीति के तहत, छात्र एक ही शैक्षणिक सत्र में दो बार बोर्ड परीक्षा में बैठ सकते हैं।

  • पहली परीक्षा: पहली परीक्षा फरवरी 2026 के मध्य में आयोजित की जाएगी, जैसा कि पारंपरिक रूप से होता आया है।

  • दूसरी परीक्षा: दूसरी और वैकल्पिक परीक्षा उसी शैक्षणिक वर्ष में मई के महीने में आयोजित की जाएगी।

इस नीति का सबसे बड़ा लाभ यह है कि छात्र दोनों परीक्षाओं में से जिसमें भी बेहतर अंक प्राप्त करेंगे, उन्हें उन अंकों को बनाए रखने का विकल्प मिलेगा। उदाहरण के लिए, यदि कोई छात्र फरवरी की परीक्षा में विज्ञान में कम अंक प्राप्त करता है, लेकिन मई की परीक्षा में बेहतर प्रदर्शन करता है, तो वह अपने फाइनल रिजल्ट के लिए मई के अंक का चयन कर सकता है। इससे छात्रों को एक दूसरा मौका मिलेगा, उनके प्रदर्शन में सुधार होगा और परीक्षा से जुड़ा डर और तनाव काफी हद तक कम होगा। यह छात्रों को साल भर सीखने पर ध्यान केंद्रित करने के लिए प्रोत्साहित करेगा, न कि सिर्फ एक ही परीक्षा के लिए।

अपार ID को LOC से जोड़ना अनिवार्य: डिजिटल होगा शैक्षणिक रिकॉर्ड

बोर्ड ने एक और महत्वपूर्ण बदलाव की घोषणा की है, जिसके तहत छात्रों की अपार ID (APAAR ID) को अनिवार्य रूप से उम्मीदवारों की सूची (List of Candidates - LOC) के साथ जोड़ा जाएगा। यह एक तकनीकी और प्रशासनिक सुधार है जिसका उद्देश्य छात्रों के शैक्षणिक रिकॉर्ड को आधुनिक और सुव्यवस्थित बनाना है।

  • क्या है अपार ID?: APAAR ID एक 12 अंकों की डिजिटल पहचान है जो 'एक राष्ट्र, एक छात्र ID' के विज़न के तहत बनाई गई है। इसका उद्देश्य छात्रों के शैक्षणिक रिकॉर्ड को समेकित (consolidate) करना है, जिसमें उनकी शिक्षा, योग्यता और उपलब्धियों का विवरण एक ही जगह पर सुरक्षित रखा जा सकेगा।

  • क्या है LOC?: LOC वह सूची है जो स्कूलों द्वारा बोर्ड को भेजी जाती है, जिसमें उन छात्रों के नाम होते हैं जो बोर्ड परीक्षा में बैठने के पात्र होते हैं।

  • नई प्रक्रिया: नए नियमों के अनुसार, भारत के बाहर के स्कूलों को छोड़कर, स्कूल केवल उन्हीं छात्रों के लिए LOC भर सकते हैं जिनके पास एक वैध अपार ID होगी। यह कदम यह सुनिश्चित करेगा कि प्रत्येक छात्र का शैक्षणिक रिकॉर्ड एक मानकीकृत और डिजिटल प्रारूप में उपलब्ध हो, जो भविष्य में उनके लिए बहुत फायदेमंद होगा। इससे छात्रों को अपने शैक्षणिक प्रमाणपत्रों को भौतिक रूप से ले जाने की आवश्यकता नहीं होगी, और सत्यापन प्रक्रिया भी आसान हो जाएगी।

विशेष आवश्यकता वाले बच्चों (CWSN) के लिए नए दिशानिर्देश

CBSE ने विशेष आवश्यकता वाले बच्चों (Children With Special Needs - CWSN) के लिए भी विशेष दिशानिर्देश जारी किए हैं। स्कूलों को अब इन छात्रों के लिए दस्तावेज़ अपलोड करने और विशेष रियायतों (concessions) का अनुरोध करने के लिए एक समर्पित पोर्टल का उपयोग करना होगा। यह कदम यह सुनिश्चित करेगा कि ऐसे छात्रों को परीक्षा में उचित और समय पर सहायता मिले, जिससे उन्हें समान अवसर मिल सकें। यह समावेशी शिक्षा के प्रति बोर्ड की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

इन बदलावों का उद्देश्य और प्रभाव

सीबीएसई द्वारा किए गए इन बदलावों का मुख्य उद्देश्य राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के प्रमुख सिद्धांतों को लागू करना है।

  • परीक्षा तनाव में कमी: दो बार बोर्ड परीक्षा देने का विकल्प छात्रों को तनाव मुक्त वातावरण में सीखने का मौका देगा।

  • लचीलापन और छात्र-केंद्रित दृष्टिकोण: छात्रों को अपने प्रदर्शन को सुधारने का अवसर मिलेगा, जिससे वे एक ही प्रयास के दबाव से मुक्त हो जाएंगे।

  • शैक्षणिक रिकॉर्ड का डिजिटलीकरण: अपार ID का उपयोग भारत की शिक्षा प्रणाली को तकनीकी रूप से उन्नत और भविष्य के लिए तैयार करेगा।

  • पारदर्शिता और दक्षता: LOC के साथ अपार ID को जोड़ना प्रशासनिक प्रक्रियाओं में पारदर्शिता और दक्षता लाएगा।

  • समावेशी शिक्षा: CWSN छात्रों के लिए विशेष दिशानिर्देश समावेशी शिक्षा को बढ़ावा देंगे और यह सुनिश्चित करेंगे कि कोई भी पीछे न छूटे।

निष्कर्ष: शिक्षा का नया युग

CBSE का यह फैसला भारतीय शिक्षा प्रणाली में एक नए युग की शुरुआत है। 'डुअल एग्जाम पॉलिसी' जैसी पहल एक कठोर, परीक्षा-केंद्रित व्यवस्था से एक अधिक मानवीय, लचीली और छात्र-केंद्रित व्यवस्था की ओर एक महत्वपूर्ण कदम है। अपार ID का अनिवार्यीकरण भारत की शिक्षा प्रणाली को डिजिटलीकरण और आधुनिकीकरण के पथ पर आगे बढ़ाएगा। ये सभी बदलाव मिलकर एक ऐसी शिक्षा प्रणाली की नींव रख रहे हैं जो न केवल ज्ञान प्रदान करती है, बल्कि छात्रों को 21वीं सदी की चुनौतियों का सामना करने के लिए आवश्यक कौशल और आत्मविश्वास भी प्रदान करती है। यह आने वाले वर्षों में भारतीय छात्रों के लिए सीखने के अनुभव को पूरी तरह से बदल देगा, जिससे वे एक उज्ज्वल और सफल भविष्य की ओर अग्रसर हो सकेंगे।