Sambhajinagar New Water Scheme: A Ray of Hope
छत्रपती संभाजीनगर में नई जल आपूर्ति योजना से शहरवासियों को जल्द ही बेहतर और नियमित पानी मिलने की उम्मीद है। इस योजना के तहत, 2,500 मिमी और 900 मिमी व्यास की नई पाइपलाइनों और जल शुद्धिकरण संयंत्र का काम तेजी से चल रहा है। जानें इस प्रोजेक्ट की ताजा स्थिति, चुनौतियाँ और भविष्य की योजनाएँ। Sambhajinagar new water supply project is progressing, promising better water frequency for residents. Learn about the latest status and challenges.

छत्रपती संभाजीनगर, जिसे पहले औरंगाबाद के नाम से जाना जाता था, मराठवाड़ा क्षेत्र का एक प्रमुख शहर है। हालांकि, यहां के निवासियों को लंबे समय से जल संकट का सामना करना पड़ रहा है। अनियमित और कम पानी की आपूर्ति यहां की सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक रही है। इस गंभीर समस्या के समाधान के लिए, राज्य सरकार ने एक महत्वाकांक्षी नई जल आपूर्ति योजना शुरू की है। यह योजना न केवल शहर के पुराने हिस्सों में पानी की आपूर्ति को बेहतर बनाएगी, बल्कि उन क्षेत्रों तक भी पानी पहुंचाएगी जो अभी तक इस सुविधा से वंचित हैं।
योजना की पृष्ठभूमि और उद्देश्य
वर्षों से, शहर को सप्ताह में केवल एक बार या उससे भी कम अंतराल पर पानी मिलता रहा है। कई क्षेत्र, खासकर वे जो हाल ही में नगर निगम की सीमा में शामिल हुए हैं, अभी भी निजी पानी के टैंकरों पर निर्भर हैं। इस स्थिति को बदलने के लिए, महाराष्ट्र जीवन प्राधिकरण (MJP) ने केंद्र सरकार की AMRUT 2.0 योजना के तहत एक विशाल परियोजना का जिम्मा उठाया। इस योजना का मुख्य उद्देश्य शहर के हर घर में स्वच्छ और पर्याप्त पानी पहुंचाना है।
परियोजना की प्रगति और प्रमुख घटक
यह परियोजना कई हिस्सों में विभाजित है, जिसमें दो मुख्य पाइपलाइनें, एक जल शुद्धिकरण संयंत्र (Water Treatment Plant) और कई ओवरहेड पानी की टंकियां शामिल हैं।
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900 मिमी व्यास की पाइपलाइन: इस पाइपलाइन का काम पूरा हो चुका है, और हाल ही में 26 मिलियन लीटर प्रति दिन (MLD) क्षमता वाले जल शुद्धिकरण संयंत्र का सफल परीक्षण भी किया गया है। अधिकारियों के अनुसार, इससे शहर के उन हिस्सों में पानी की आपूर्ति की आवृत्ति में सुधार होगा जहां पहले से ही पानी का नेटवर्क मौजूद है। उम्मीद है कि 15 अगस्त तक इन क्षेत्रों में पानी की आपूर्ति हर तीन से चार दिन में एक बार हो सकेगी।
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2,500 मिमी व्यास की मुख्य पाइपलाइन: यह परियोजना का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है, जिसे विशेष रूप से उन "नो-नेटवर्क" क्षेत्रों के लिए डिजाइन किया गया है जो दशकों से पानी की समस्या से जूझ रहे हैं। यह पाइपलाइन जायकवाड़ी बांध से पानी को मुख्य शहर तक पहुंचाएगी। इस पाइपलाइन का काम भी तेजी से चल रहा है, और अधिकारियों ने अगले कुछ महीनों में इसे चालू करने का लक्ष्य रखा है। हालांकि, पहले इसकी समय सीमा मार्च 2024 थी, जिसे बढ़ाकर दिसंबर 2024 कर दिया गया था। अब, मुख्य मंत्री द्वारा इसकी समीक्षा के बाद, नवंबर 2024 तक इसे शुरू करने की उम्मीद है।
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जल शुद्धिकरण संयंत्र और वितरण नेटवर्क: योजना में कई जल शुद्धिकरण संयंत्रों का निर्माण भी शामिल है। इसके अलावा, शहर में कुल 53 ओवरहेड पानी की टंकियां बनाई जा रही हैं, जिनमें से 11 का काम दिसंबर 2024 तक पूरा होने की उम्मीद है। ये टंकियां शहर के अलग-अलग हिस्सों में पानी के वितरण को सुनिश्चित करेंगी।
चुनौतियाँ और समाधान
परियोजना को पूरा करने में कई चुनौतियाँ सामने आई हैं, जिनमें से एक बड़ी चुनौती राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) और MJP के बीच समन्वय की कमी थी। कई जगहों पर जल पाइपलाइन बिछाने के बाद उसके ऊपर सड़क बना दी गई थी, जिससे भविष्य में मरम्मत का काम मुश्किल हो सकता था। इस समस्या को हल करने के लिए एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया गया, जिसने इन गलतियों को सुधारने के लिए विकल्प सुझाए।
इसके अलावा, परियोजना की लागत में भी वृद्धि हुई है। शुरुआत में 1,680 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत वाली इस योजना का संशोधित अनुमान अब 2,714 करोड़ रुपये हो गया है। स्टील की कीमतों में वृद्धि और जीएसटी दर में बदलाव जैसे कारणों से यह लागत बढ़ी है। हालांकि, AMRUT 2.0 योजना के तहत केंद्र सरकार इस बढ़ी हुई लागत का एक हिस्सा वहन करेगी, जिससे परियोजना को आगे बढ़ाने में मदद मिलेगी।
उम्मीदें और भविष्य की तस्वीर
इस योजना के पूरा होने से छत्रपती संभाजीनगर के नागरिकों के जीवन में एक बड़ा बदलाव आएगा। नियमित पानी की आपूर्ति से स्वास्थ्य और स्वच्छता में सुधार होगा, और निजी टैंकरों पर निर्भरता कम होगी। यह शहर के औद्योगिक विकास के लिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि औद्योगिक क्षेत्रों (जैसे कि Auric) में पानी की निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित होगी।
योजना के सफल क्रियान्वयन से न केवल पानी की समस्या का हल होगा, बल्कि यह शहर के समग्र विकास के लिए भी एक मील का पत्थर साबित होगा। उम्मीद है कि अधिकारियों द्वारा तय की गई नई समय सीमा के भीतर यह परियोजना पूरी हो जाएगी और छत्रपती संभाजीनगर के लोग जल्द ही पानी की किल्लत से मुक्त हो पाएंगे। यह एक बेहतर और उज्जवल भविष्य की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।