छत्रपति संभाजीनगर: फर्जी IAS अधिकारी बनकर पहुंची महिला गिरफ्तार, निकली BAMU की पूर्व कर्मचारी

छत्रपति संभाजीनगर (औरंगाबाद) में जिला कलेक्टर कार्यालय में खुद को केंद्र सरकार की वरिष्ठ IAS अधिकारी बताकर रौब झाड़ने वाली एक महिला को पुलिस ने गिरफ्तार किया है। जांच में खुलासा हुआ कि आरोपी महिला डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर मराठवाड़ा विश्वविद्यालय (BAMU) की पूर्व संविदा कर्मचारी है। जानिए इस हाई-प्रोफाइल ड्रामा की पूरी कहानी।

Nov 25, 2025 - 19:05
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छत्रपति संभाजीनगर: फर्जी IAS अधिकारी बनकर पहुंची महिला गिरफ्तार, निकली BAMU की पूर्व कर्मचारी
लेख: कलेक्टर ऑफिस में 'मैडम' का हाई-वोल्टेज ड्रामा: फर्जी IAS बनकर पहुंची महिला, पोल खुली तो निकली यूनिवर्सिटी की पूर्व क्लर्क

छत्रपति संभाजीनगर (औरंगाबाद): सत्ता का नशा और सरकारी पद का रूतबा अक्सर लोगों को गलत रास्ते पर ले जाता है। ऐसा ही एक चौंकाने वाला मामला महाराष्ट्र के छत्रपति संभाजीनगर से सामने आया है, जहां एक महिला ने खुद को केंद्र सरकार की वरिष्ठ आईएएस (IAS) अधिकारी बताकर जिला प्रशासन को भ्रमित करने की कोशिश की। हालांकि, अधिकारियों की सूझबूझ और पुलिस की तत्परता से इस फर्जीवाड़े का पर्दाफाश हो गया। जांच में जो सच्चाई सामने आई, उसने सभी को हैरान कर दिया—वह कोई आईएएस अधिकारी नहीं, बल्कि स्थानीय यूनिवर्सिटी की एक पूर्व संविदा कर्मचारी निकली।

क्या है पूरा मामला?

घटना छत्रपति संभाजीनगर के जिला कलेक्टर कार्यालय (District Collectorate) की है। आरोपी महिला की पहचान नीलिमा भाऊसाहेब घावने (40) के रूप में हुई है। यह महिला बड़े आत्मविश्वास के साथ कलेक्टर ऑफिस पहुंची और खुद को केंद्र सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्रालय में तैनात एक उच्च पदस्थ आईएएस अधिकारी बताया।

उसने अधिकारियों पर रौब जमाते हुए दावा किया कि वह एक विशेष दौरे पर आई है और जिला प्रशासन के कामकाज की समीक्षा करना चाहती है। उसकी वेशभूषा और बातचीत का तरीका इतना प्रभावशाली था कि शुरुआत में कर्मचारी भी चकमा खा गए।

कैसे हुआ शक और कैसे खुली पोल?

महिला ने निवासी उप-जिलाधिकारी (Resident Deputy Collector - RDC) से मुलाकात की मांग की। जब वह अधिकारियों से बात कर रही थी, तो उसकी बातों में विरोधाभास नजर आने लगा।

  1. प्रोटोकॉल का अभाव: एक असली आईएएस अधिकारी जब किसी जिले के दौरे पर आता है, तो उसका एक निर्धारित प्रोटोकॉल होता है। आधिकारिक सूचना (Official Communication) पहले ही भेज दी जाती है, लेकिन इस महिला के आने की कोई पूर्व सूचना प्रशासन के पास नहीं थी।

  2. दस्तावेजों में गड़बड़ी: जब अधिकारियों ने सम्मानपूर्वक उससे उसका आईडी कार्ड और विजिटिंग कार्ड मांगा, तो वह घबराने लगी। उसने जो कार्ड दिखाया, वह संदिग्ध लग रहा था और सरकारी मानकों के अनुरूप नहीं था।

  3. भाषा और व्यवहार: वरिष्ठ अधिकारियों को उसकी प्रशासनिक शब्दावली और व्यवहार में वह गंभीरता नहीं दिखी, जो एक अनुभवी आईएएस अधिकारी में होती है।

संदेह पुख्ता होने पर प्रशासन ने तुरंत सिटी चौक पुलिस स्टेशन को सूचित किया। पुलिस की एक टीम मौके पर पहुंची और महिला को हिरासत में लेकर पूछताछ शुरू की।

BAMU कनेक्शन: कौन है नीलिमा घावने?

पुलिस की कड़ी पूछताछ में महिला का झूठ ज्यादा देर नहीं टिक सका। जांच में खुलासा हुआ कि नीलिमा घावने कोई आईएएस अधिकारी नहीं है, बल्कि वह डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर मराठवाड़ा विश्वविद्यालय (BAMU) की एक पूर्व कर्मचारी है।

प्राप्त जानकारी के अनुसार:

  • नीलिमा यूनिवर्सिटी में 'अर्न एंड लर्न' (Earn and Learn) योजना और बाद में अनुबंध (Contract) के आधार पर एक क्लर्क या डेटा एंट्री ऑपरेटर के रूप में काम कर चुकी है।

  • कुछ समय पहले उसकी सेवा समाप्त हो गई थी।

  • बताया जा रहा है कि वह मानसिक तनाव या पहचान के संकट से जूझ रही थी और खुद को महत्वपूर्ण साबित करने के लिए उसने यह स्वांग रचा।

फर्जीवाड़े का मकसद क्या था?

पुलिस जांच कर रही है कि आखिर महिला ने ऐसा कदम क्यों उठाया। प्राथमिक तौर पर दो संभावनाएं सामने आ रही हैं:

  1. काम निकलवाना: अक्सर ठग सरकारी दफ्तरों में अपने या अपने जानकारों के रुके हुए काम करवाने के लिए फर्जी अधिकारी बनकर दबाव बनाते हैं।

  2. प्रभाव जमाना: कुछ लोग समाज में अपना रुतबा बढ़ाने और लोगों को प्रभावित करने के लिए भी ऐसे हथकंडे अपनाते हैं।

नीलिमा के पास से कुछ फर्जी दस्तावेज भी बरामद हुए हैं, जिनकी जांच की जा रही है। यह भी पता लगाया जा रहा है कि क्या उसने इससे पहले किसी और को इस फर्जी पहचान के जरिए ठगा है।

पुलिस की कार्रवाई और धाराएं

सिटी चौक पुलिस ने निवासी उप-जिलाधिकारी की शिकायत पर नीलिमा घावने के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (BNS) की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है। इसमें शामिल हैं:

  • प्रतिरूपण (Impersonation): लोक सेवक होने का झूठा दावा करना।

  • धोखाधड़ी (Cheating): प्रशासन को गुमराह करने का प्रयास।

  • फर्जी दस्तावेज: जाली आईडी कार्ड का उपयोग करना।

पुलिस निरीक्षक ने बताया कि महिला को गिरफ्तार कर लिया गया है और आगे की जांच जारी है। उसके परिवार के सदस्यों से भी पूछताछ की जा रही है ताकि उसकी मानसिक स्थिति और पृष्ठभूमि के बारे में और जानकारी मिल सके।

प्रशासन के लिए सबक

यह घटना सरकारी कार्यालयों की सुरक्षा व्यवस्था पर भी सवाल खड़े करती है। हालांकि अधिकारियों ने समय रहते उसे पकड़ लिया, लेकिन यह चिंता का विषय है कि कोई भी व्यक्ति फर्जी पहचान के साथ उच्च सुरक्षा वाले क्षेत्रों में प्रवेश करने की हिम्मत कर सकता है।

विशेषज्ञों का मानना है कि:

  • सरकारी कार्यालयों में आगंतुकों की जांच (Verification) प्रक्रिया को और सख्त किया जाना चाहिए।

  • डिजिटल वेरिफिकेशन सिस्टम का उपयोग बढ़ाया जाना चाहिए ताकि किसी भी अधिकारी की पहचान तुरंत सत्यापित की जा सके।

निष्कर्ष

नीलिमा घावने का मामला यह दर्शाता है कि कैसे एक पूर्व कर्मचारी ने अपनी पहचान छिपाकर सिस्टम को चुनौती देने की कोशिश की। यह घटना न केवल एक अपराध है, बल्कि यह एक सामाजिक चेतावनी भी है कि सरकारी पद और प्रतिष्ठा को हल्के में नहीं लिया जा सकता। पुलिस की त्वरित कार्रवाई ने एक बड़े फर्जीवाड़े को सफल होने से रोक दिया।

अब देखना यह होगा कि जांच में और क्या नए खुलासे होते हैं और क्या इस महिला के पीछे किसी और का हाथ है या यह उसकी व्यक्तिगत खुराफात थी।